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मसौदा अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025

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संदर्भ:

भारत सरकार ने वकील अधिनियम, 1961 में संशोधन के लिए मसौदा अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 पर सार्वजनिक परामर्श शुरू किया है।

मसौदा अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2025 की प्रमुख विशेषताएँ:

  • विधि फर्मों का विनियमन (BCI की भूमिका):
    • भारतीय बार काउंसिल (BCI) अब एक से अधिक राज्यों में काम करने वाली विधि फर्मों को नियंत्रित करेगी।
    • यदि BCI के नियम केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप नहीं हैं, तो सरकार उन्हें निरस्त कर सकती है।
  • विदेशी विधि फर्मों के लिए रूपरेखा: इस संशोधन के तहत विदेशी विधि फर्मों को भारत में काम करने की अनुमति देने के लिए एक नियामक ढांचा तैयार किया जाएगा।
  • BCI में केंद्र सरकार के सदस्यों की नियुक्ति:
    • केंद्र सरकार को BCI में तीन सदस्यों को नामांकित करने की शक्ति दी गई है।
    • महान्यायवादी (Attorney General) और सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) जैसे मौजूदा सदस्य बने रहेंगे।
    • अनुच्छेद 49B के तहत केंद्र सरकार BCI को कानून के प्रावधानों को लागू करने के निर्देश दे सकती है।
  • हड़ताल और बहिष्कार पर प्रतिबंध:
    • अनुच्छेद 35A के तहत वकीलों को हड़ताल या बहिष्कार करने से रोका गया है, यदि इससे न्यायालय का कार्य बाधित होता है।
    • प्रतीकात्मक या एक दिन की हड़ताल की अनुमति होगी, बशर्ते कि इससे ग्राहकों के अधिकार प्रभावित न हों।
  • बार काउंसिल पंजीकरण का स्थानांतरण: वकीलों को एक राज्य से दूसरे राज्य में अपना पंजीकरण स्थानांतरित करने के लिए शुल्क देना होगा और BCI से अनुमोदन लेना होगा।
  • गंभीर अपराधों के दोषी वकीलों को हटाने का प्रावधान:
    • यदि कोई वकील तीन या अधिक वर्षों की सजा वाले अपराध में दोषी ठहराया जाता है, तो उसका नाम राज्य की सूची से हटा दिया जाएगा।
    • हालांकि, यह केवल तभी लागू होगा जब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा की पुष्टि की गई हो।
  • परिभाषाओं का विस्तार:
    • “विधि स्नातक (Law Graduate)” की परिभाषा में BCI द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों से बैचलर ऑफ लॉ (LLB) प्राप्त करने वाले छात्र शामिल किए गए हैं।
    • “कानूनी पेशेवर (Legal Practitioner)” की परिभाषा में कॉर्पोरेट वकील और विदेशी विधि फर्मों में कार्यरत वकील भी शामिल होंगे।
  • गैरअधिवक्ता द्वारा कानून का अभ्यास करने पर कड़ी सजा:
    • यदि कोई व्यक्ति बिना अधिवक्ता (Advocate) बने कानून का अभ्यास करता है, तो उसे:
      • एक वर्ष तक की कैद (पहले 6 महीने थे)
      • ₹2 लाख तक का जुर्माना।

वकील अधिनियम, 1961 (Advocates Act, 1961):

  • परिचय: वकील अधिनियम, 1961 को विधि व्यवसायियों (Legal Practitioners) से संबंधित कानून में संशोधन और समेकन के लिए लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य बार काउंसिल (Bar Council) और अखिल भारतीय बार (All-India Bar) की स्थापना करना है।
  • मुख्य बिंदु:
    • यह अधिनियम विधि व्यवसायियों अधिनियम, 1879 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करता है।
    • हालांकि, इसने परिभाषाएँ, क्षेत्राधिकार और दलालों (Touts) की सूची तैयार करने के अधिकार से जुड़े कुछ प्रावधानों को बनाए रखा।

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