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संदर्भ:
चीन के एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामक (EAST) ने जनवरी 2025 में 70 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पर 1,066 सेकंड तक निरंतर प्लाज्मा संचालन करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह उपलब्धि नाभिकीय संलयन ऊर्जा (nuclear fusion energy) के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
EAST टोकामक (Experimental Advanced Superconducting Tokamak):
EAST एक नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) अनुसंधान रिएक्टर है, जिसे नियंत्रित संलयन के लिए चुंबकीय परिरक्षण (Magnetic Confinement) को परीक्षण और सुधारने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। यह ITER (International Thermonuclear Experimental Reactor) के लिए एक परीक्षण मंच के रूप में कार्य करता है और निरंतर प्लाज़्मा स्थिरता (Sustained Plasma Stability) विकसित करने में मदद करता है।
EAST टोकामक की मुख्य विशेषताएँ:
- सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट्स (Superconducting Magnets): टोरॉइडल (Toroidal) और पोलॉइडल (Poloidal) दोनों प्रकार के चुंबकीय क्षेत्रका उपयोग करता है ताकि प्लाज़्मा को प्रभावी ढंग से संलग्न किया जा सके।
- उच्च–तापमान प्लाज़्मा (High-Temperature Plasma): संलयन अभिक्रियाओं को सक्षम बनाने के लिए100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान प्राप्त करता है।
- लंबे समय तक प्लाज़्मा परिरक्षण (Longer Plasma Confinement): स्थिर अवस्था (Steady-State) में उच्च परिरक्षण प्लाज़्माको लंबे समय तक बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- वैश्विक संलयन अनुसंधान का समर्थन (Supports Global Fusion Research): अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Collaboration) के लिए एकखुला परीक्षण मंच (Open Testing Platform) प्रदान करता है।
- ITER के साथ एकीकरण (Integration with ITER): भविष्य केITER फ्यूजन रिएक्टर के विकास के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है।
EAST रिएक्टर की प्रमुख उपलब्धियाँ:
- विश्व रिकॉर्ड (World Record Achievement): जनवरी 2025 में 1,066 सेकंड तक प्लाज़्मा बनाए रखा, जो 2023 में हासिल किए गए403 सेकंड के पिछले रिकॉर्ड से कहीं अधिक है।
- दोगुनी हीटिंग सिस्टम क्षमता (Doubled Heating System Power Output): हीटिंग सिस्टम कीशक्ति दोगुनी कर दी, जिससे प्लाज़्मा को अधिक समय तक स्थिर रखा जा सका।
- सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट दक्षता में सुधार: स्व-निरंतर (Self-Sustaining) नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम।
नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)
नाभिकीय संलयन वह प्रक्रिया है जिसमें दो हल्के परमाणु नाभिक एक साथ मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं और इस दौरान विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
- प्रक्रिया (Process):
- ड्यूटीरियम (H-2)और ट्रिटियम (H-3) परमाणु एक साथ मिलकर हीलियम (He-4) बनाते हैं।
- इस संलयन के परिणामस्वरूप एकस्वतंत्र और तीव्र न्यूट्रॉन भी उत्सर्जित होता है।
- यह न्यूट्रॉनकाइनेटिक ऊर्जा द्वारा प्रेरित होता है, जो ड्यूटीरियम और ट्रिटियम के हल्के नाभिकों के मिलन से बची हुई अतिरिक्त मास से उत्पन्न होती है।
- प्लाज्मा (Plasma): यह एक गर्म, चार्ज गैस है जिसमें सकारात्मक आयन और स्वतंत्र रूप से गतिमान इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह पदार्थ के अन्य रूपों (ठोस, द्रव, गैस) से अलग विशेष गुण प्रदर्शित करता है।
- सूर्य का ऊर्जा स्रोत: सूर्य सहित सभी तारे नाभिकीय संलयन के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
नाभिकीय संलयन विकास की चुनौतियाँ (Challenges to Nuclear Fusion Development)
- ऊर्जा की उच्च खपत: संलयन प्रतिक्रिया को बनाए रखने के लिए अत्यधिक तापमान की आवश्यकता होती है, जो अधिक ऊर्जा खपत का कारण बनती है।
- ट्रिटियम की कमी: प्राकृतिक ट्रिटियम जमा की कमी के कारण बड़े पैमाने पर संलयन ईंधन की आपूर्ति में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- प्रौद्योगिकीय जटिलताएँ: प्लाज्मा स्थिरता बनाए रखना और हीट लॉस को रोकना एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
- वित्तीय बाधाएँ: ITER जैसे परियोजनाओं के लिए बजट में अत्यधिक वृद्धि हुई है (18 बिलियन यूरो से अधिक खर्च हो चुका है) और पहली प्लाज्मा की उम्मीद 2033 तक है, जिससे समय सीमा में देरी हो रही है।
- अवसंरचना आवश्यकताएँ: एक संलयन रिएक्टर बनाने और बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं और विशेष प्रकार की सामग्रियों की आवश्यकता होती है।