Enabling Voting Rights for Migrants
Enabling Voting Rights for Migrants –
संदर्भ:
भारत में लाखों आंतरिक प्रवासी जो आजीविका, शिक्षा या पारिवारिक कारणों से एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित होते हैं—अब भी लोकतांत्रिक भागीदारी के मूल अधिकार, यानी मतदान के अधिकार, से वंचित रह जाते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में, यह एक गंभीर चिंता का विषय है जो समावेशी शासन और निर्वाचनीय न्याय की भावना को चुनौती देता है।
प्रवासन और इसके चुनावी प्रभाव:
प्रवासन की परिभाषा:
- प्रवासी वे व्यक्ति या समूह होते हैं जो रोज़गार, शिक्षा, विवाह, विस्थापन या पर्यावरणीय तनाव जैसे कारणों से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित होते हैं।
- यह स्थानांतरण देश के भीतर (आंतरिक प्रवासन) या राष्ट्रीय सीमाओं के पार (अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन) हो सकता है।
भारत में प्रवासन की स्थिति:
- जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 450 मिलियन (45 करोड़) से अधिक आंतरिक प्रवासी हैं।
- 2021 तक, भारत की 9% जनसंख्या प्रवासी के रूप में चिन्हित की गई थी।
- 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 600 मिलियन (60 करोड़) से अधिक हो गया।
प्रमुख प्रवासन–प्रभावित राज्य: बिहार देश का सबसे अधिक आउट–माइग्रेशन वाला राज्य है, जहां बड़ी संख्या में लोग अन्य राज्यों में रोज़गार के लिए पलायन करते हैं।
चुनावी प्रभाव:
- प्रवासी अक्सर अपने गृह राज्य में मतदान नहीं कर पाते, जिससे मतदाता सूची में असमानता आती है।
- इससे प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों की राजनीतिक प्रतिनिधित्व क्षमता कमजोर हो जाती है।
- चुनाव सुधारों में रिमोट वोटिंग जैसे उपायों की चर्चा इसी संदर्भ में हो रही है ताकि प्रवासियों को भी मतदान का अधिकार सुनिश्चित किया जा सके।
भारत में प्रवासन से जुड़ी एक प्रमुख चुनौती: प्रवासियों की कम चुनावी भागीदारी:
स्थिति का अवलोकन:
- भारत में प्रवासियों की कम मतदान भागीदारी लोकतंत्र की समावेशिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।
- 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार का वोटर टर्नआउट केवल 56% रहा, जबकि राष्ट्रीय औसत 66% था।
- इसका एक बड़ा कारण यह है कि बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र लौटकर मतदान नहीं कर पाए।
कम चुनावी भागीदारी के प्रमुख कारण:
- बाह्य राज्य प्रवासन का उच्च स्तर:
- भारत में लगभग 85% प्रवासी अन्य राज्यों में काम करते हैं।
- लंबी दूरी और यात्रा की ऊँची लागत उन्हें मतदान के लिए लौटने से रोकती है।
- अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी:
- अधिकांश प्रवासी दैनिक वेतनभोगी हैं जिन्हें भुगतान युक्त अवकाश नहीं मिलता।
- एक दिन की छुट्टी का अर्थ होता है आय की हानि, जिससे वे यात्रा नहीं कर पाते।
- स्थानीय पते का अभाव: प्रवासी गंतव्य क्षेत्र में स्थायी पते का प्रमाण नहीं दे पाते, जिससे वोटर लिस्ट में नाम जोड़ना कठिन हो जाता है।
- महिला प्रवासी और विवाह के बाद का पंजीकरण: विवाह के बाद महिला प्रवासी अक्सर नए पते पर मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं होतीं, जिससे वे मतदान से वंचित रह जाती हैं।
- राजनीतिक अदृश्यता:
- प्रवासियों की राजनीतिक दृश्यता बेहद कम होती है।
- राजनीतिक दल और चुनावी अभियानों द्वारा उन्हें निशाना नहीं बनाया जाता, जिससे उनकी भागीदारी और कम हो जाती है।
आगे का रास्ता:
- दूरस्थ या अनौपचारिक प्रवासियों के लिए
- पंजीकृत अस्थायी श्रमिकों के लिए
- स्थायी रूप से बसे श्रमिकों के लिए
- राज्य के भीतर प्रवासियों के लिए (Intra-state Migrants)
- विवाह के बाद स्थानांतरित महिलाओं के लिए