Energy Transition Index 2025
संदर्भ:
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index – ETI) में भारत को 118 देशों में 71वां स्थान प्राप्त हुआ है।
Energy Transition Index 2025:
विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी इस सूचकांक में 118 देशों का मूल्यांकन ऊर्जा प्रणाली के स्थायित्व, समावेशन और सुरक्षा के आधार पर किया गया है।
वैश्विक मुख्य बिंदु–
- स्वीडन (स्कोर: 77.5) ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया, इसके बाद फिनलैंड और डेनमार्क क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
- चीन 12वें और अमेरिका 17वें स्थान पर रहा।
- अधिकांश देशों ने अपने स्कोर में सुधार किया, लेकिन सिर्फ 28% देश ही तीनों ऊर्जा आयामों (सततता, समावेशन, और सुरक्षा) में समान रूप से प्रगति कर सके, जो असमान विकास को दर्शाता है।
प्रदूषण और निवेश:
- वर्ष 2024 में स्वच्छ ऊर्जा में $2 ट्रिलियन का निवेश हुआ, फिर भी वैश्विक उत्सर्जन बढ़कर 37.8 अरब टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया — जो अब तक का सबसे गर्म वर्ष था।
- ऊर्जा मांग में 2.2% की वृद्धि देखी गई, जिसका मुख्य कारण AI, डेटा सेंटर्स, कूलिंग और विद्युतीकरण था।
भारत संबंधी मुख्य बिंदु:
- भारत की रैंक 2024 में 63वें स्थान से गिरकर 2025 में 71वें स्थान पर आ गई (कुल 118 देशों में), भारत का कुल स्कोर 53.3 रहा।
जहाँ प्रगति हुई:
- ऊर्जा तीव्रता (Energy Intensity) और मीथेन (CH₄) उत्सर्जन में कमी।
- अनुकूल ऊर्जा विनियमन, और स्वच्छ ऊर्जा निवेश में वृद्धि।
जहाँ सुधार की आवश्यकता है:
- ग्रिड विश्वसनीयता (grid reliability)
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा पहुंच
- आयातित ऊर्जा पर निर्भरता को और कम करना
- इसके लिए अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, श्रमशक्ति विकास और वित्त पोषण में और निवेश आवश्यक है।
ऊर्जा संक्रमण सूचकांक–
लॉन्च किया गया: विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum)
उद्देश्य: देशों को जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण में उनकी प्रगति के आधार पर रैंक करना।
सूचकांक की प्रमुख विशेषताएँ:
- मूल्यांकन का आधार: ETI रिपोर्ट में 118 देशों की ऊर्जा प्रणालियों का मूल्यांकन निम्नलिखित दो स्तरों पर किया गया:
ऊर्जा प्रणाली प्रदर्शन के तीन आयाम:
- ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security):
स्थिर और लचीली ऊर्जा आपूर्ति की उपस्थिति, विविध स्रोतों का विकास, और ग्रिड/बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता। - समानता (Equity):
सभी वर्गों—उपभोक्ता और उद्योग दोनों—के लिए ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित करना। - सततता (Sustainability):
पर्यावरणीय प्रभाव कम करने वाले ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना, जैसे कि कम कार्बन उत्सर्जन वाली प्रणालियाँ।
संक्रमण तत्परता के पाँच कारक:
- राजनीतिक प्रतिबद्धता
- वित्त और निवेश
- नवाचार (Innovation)
- अवसंरचना (Infrastructure)
- शिक्षा एवं मानव पूंजी
- डेटा और स्कोरिंग पद्धति–
- कुल 43 संकेतकों के आधार पर स्कोर निर्धारित किया गया।
- विभिन्न स्रोतों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से संकलित डेटा का उपयोग किया गया।
- स्कोरिंग पैमाना: 0 से 100 के बीच।