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सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने “एनविस्टेट्स इंडिया 2024: पर्यावरण लेखा” का 7वां अंक जारी किया है। यह रिपोर्ट एनवीस्टेट्स (पर्यावरण सांख्यिकी) के अंतर्गत है, जिसे SEEA (पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली) फ्रेमवर्क के अनुसार संकलित किया गया है।
एनविस्टेट्स इंडिया 2024 का उद्देश्य
एनविस्टेट्स भारत में पर्यावरण, समय के साथ होने वाले परिवर्तनों, और उन्हें प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह प्रकाशन चार प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है:
- ऊर्जा खाते
- महासागर खाते
- मृदा पोषक सूचकांक
- जैव विविधता
एनविस्टेट्स इंडिया 2024 की मुख्य विशेषताएं:
- ऊर्जा परिवर्तन में भारत का नेतृत्व: भारत ऊर्जा परिवर्तन में एक विश्व नेता के रूप में उभरा है।
- संरक्षित क्षेत्रों की वृद्धि: 2000 से 2023 के बीच, कुल संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में लगभग 72% और क्षेत्रफल में लगभग 16% की वृद्धि हुई।
- मैंग्रोव कवरेज: 2013 से 2021 के दौरान मैंग्रोव का कवरेज लगभग 8% बढ़ा है।
एनविस्टेट्स का महत्व:
- प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन दीर्घकालिक विकास की कुंजी है।
- यह पर्यावरणीय स्थिरता के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने में मदद करता है।
- यह समृद्धि और प्रगति को मापने के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराता है, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से आगे जाता है।
- डेटा-संचालित नीति-निर्माण को बढ़ावा देता है।
पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA)
SEEA पर्यावरण आर्थिक खातों के संकलन के लिए एक सहमत अंतर्राष्ट्रीय ढांचा है, जो अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बीच अंतःक्रिया के साथ-साथ पर्यावरणीय परिसंपत्तियों के स्टॉक और उनके परिवर्तनों का वर्णन करता है। SEEA के दो प्रमुख पक्ष हैं:
- SEEA-CF: केंद्रीय ढांचा
- SEEA-EA: पारिस्थितिकी तंत्र लेखांकन
भारत में पर्यावरण खाते ( Environment Accounts):
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय को “भारत के लिए पर्यावरण सांख्यिकी और राष्ट्रीय संसाधन लेखा की कार्यप्रणाली का विकास” करने का दायित्व सौंपा गया है। इसके अंतर्गत, मंत्रालय ने ‘भारत में पर्यावरणीय आर्थिक लेखा-जोखा हेतु रणनीति: 2022-26′ भी जारी की है।
- भारत ने ‘प्राकृतिक पूंजी लेखांकन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन (एनसीएवीईएस)‘ में भी भाग लिया, जिसे यूएनएसडी, यूएनईपी, और सीबीडी सचिवालय द्वारा 2017 में लॉन्च किया गया था।
- सर पार्थ दासगुप्ता समिति की सिफारिशों के आधार पर, भारत ने 2018 में पहली एनवीस्टेट्स रिपोर्ट जारी की थी।
यह रिपोर्ट पर्यावरण और आर्थिक विकास को एकीकृत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो नीति-निर्माण में सहायक होगी।
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