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AI को एकीकृत करने के लिए एक नया ढांचा (ETAI) और दिशानिर्देश

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भारत ने रक्षा अभियानों में विश्वसनीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को एकीकृत करने के लिए एक नया ढांचा (ETAI) और दिशानिर्देश विकसित किया है, जिसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ द्वारा मान्यता दी गई है। यह कदम रक्षा क्षेत्र में AI के प्रभावी और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

विश्वसनीय AI (ETAI) फ्रेमवर्क:

ETAI एक जोखिम-आधारित मूल्यांकन ढांचा है, जो विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र के लिए तैयार किया गया है। यह निम्नलिखित पांच सिद्धांतों पर केंद्रित है:

  1. विश्वसनीयता और मजबूती: AI प्रणालियों का ऐसा निर्माण करना जो विश्वसनीय और स्थायी हो।
  2. सुरक्षा: AI सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करना ताकि वे संभावित खतरों से मुक्त रहें।
  3. पारदर्शिता: AI प्रणालियों के निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को समझना और स्पष्ट करना।
  4. निष्पक्षता: सभी उपयोगकर्ताओं के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करना, ताकि किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
  5. गोपनीयता: उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता को बनाए रखना।

यह फ्रेमवर्क विश्वसनीय AI के मूल्यांकन के लिए मानदंडों का एक समग्र सेट परिभाषित करता है और इसके निर्माण और मूल्यांकन के लिए एक संरचित दृष्टिकोण प्रदान करता है।

AI के उपयोग के क्षेत्र में बदलाव:

  • बुद्धिमान हथियार प्रणालियाँ: AI ड्रोन और अन्य स्वायत्त प्रणालियों की क्षमताएँ बढ़ रही हैं। उदाहरण के लिए, इज़राइली यूएवी हार्पी और हारोप।
  • कमांड और कंट्रोल: AI वास्तविक समय में बड़े डेटा को प्रोसेस करके कमांड और नियंत्रण की क्षमताओं को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, AI आधारित घुसपैठ का पता लगाने वाले सिस्टम।
  • निर्णय-समर्थन प्रणालियाँ: AI-संचालित निर्णय-समर्थन प्रणालियाँ जटिल युद्ध स्थितियों का तेजी से आकलन कर सकती हैं और उपयुक्त रणनीतियों का सुझाव देती हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय सेना द्वारा स्टॉर्म ड्रोन का उपयोग।

AI के उपयोग से संबंधित चिंताएँ:

  • आकस्मिक क्षति: स्वचालित हथियारों के उपयोग से नागरिकों की अप्रत्याशित हताहत हो सकते हैं।
  • कानूनी और नैतिक अस्पष्टता: मानवाधिकार उल्लंघन और नागरिक हताहतों के मामलों में अस्पष्टता।
  • अन्य मुद्दे: साइबर सुरक्षा जोखिम, विश्वसनीयता की कमी, और संघर्ष को बढ़ावा देने की संभावनाएँ।

भारत द्वारा उठाए गए कदम: भारत ने रक्षा क्षेत्र में AI को अपनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:

  1. रक्षा एआई परिषद (DAIC): AI के लिए मार्गदर्शन और नीति स्तर पर परिवर्तन प्रदान करने के लिए स्थापित की गई है।
  2. रक्षा एआई परियोजना एजेंसी (DAIPA): AI सक्षम अनुप्रयोगों के विकास के लिए रोडमैप तैयार किया गया है।
  3. रक्षा विभाग के लिए AI रोडमैप: विकास के लिए 61 रक्षा विशिष्ट AI परियोजनाओं की पहचान की गई है।
  4. रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (ISEX) ढांचा: यह नवाचार को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के बारे में:

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) एक महत्वपूर्ण पद है जो भारत की सशस्त्र सेनाओं के लिए एकल-बिंदु सलाहकार के रूप में कार्य करता है। यह पद सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख के रूप में कार्य करता है और एक चार सितारा सैन्य अधिकारी होता है। CDS का मुख्य उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों के बीच एकीकरण और सहयोग को बढ़ावा देना है।

CDS का इतिहास और गठन:

  • पहली नियुक्ति: जनरल बिपिन रावत को 30 दिसंबर 2019 को भारत के पहले CDS के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • कारगिल युद्ध की सिफारिशें: CDS के पद का सृजन 1999 के कारगिल युद्ध के बाद की गई सिफारिशों पर आधारित है। उस समय, एक उच्च स्तरीय समिति ने देश की सुरक्षा व्यवस्था में खामियों की जांच की और सिफारिश की कि तीनों सेनाओं में एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ होना चाहिए।
  • समिति की सिफारिश: समिति ने सुझाव दिया कि यह व्यक्ति रक्षा मंत्री का एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार होना चाहिए और उसे एक पाँच सितारा अधिकारी होना चाहिए।
  • 2001 में सिफारिश: मंत्रियों के एक समूह (GoM) ने 2001 में इस नियुक्ति की सिफारिश की, लेकिन इसे 2019 में लागू किया गया जब प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से इस योजना की घोषणा की।

CDS की आवश्यकता:

  • संरचना में सुधार: CDS की नियुक्ति का उद्देश्य भारत की सैन्य शक्ति को सुदृढ़ और प्रभावी बनाना है। रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला के अनुसार, यह अमेरिका की प्रणाली को प्रतिबिंबित करता है, जिसने वैश्विक चुनौतियों के दौरान अच्छे से कार्य किया।
  • एकल-बिंदु सलाह: CDS की नियुक्ति का तर्क यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर सरकार को एक पेशेवर निकाय से एकल-बिंदु सैन्य सलाह प्राप्त होनी चाहिए, जो सही और प्रभावी निर्णय लेने में मदद करेगा।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य:

·       द्वितीय विश्व युद्ध के कुछ वर्षों के भीतर कई देशों ने राष्ट्रीय स्तर पर CDS की नियुक्ति की। हालांकि, भारत में ऐसा नहीं हुआ। कुछ देशों में इस पद के लिए अलग-अलग नाम होते हैं, लेकिन उनके कार्य समान होते हैं। उदाहरण के लिए, यूनाइटेड किंगडम में यह पद 1959 में युद्ध के बाद संयुक्त अभियानों की नई अवधारणा को दर्शाने के लिए बनाया गया था।

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