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संदर्भ:
कश्मीर की गुरेज़ घाटी में यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otters) की फिर से उपस्थिति दर्ज की गई है, जो एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय विकास का संकेत है। एक समय पर लगभग विलुप्त माने जाने वाले ये ऊदबिलाव दशकों बाद फिर से देखे गए हैं।
यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otter) का कश्मीर में पतन:
- 1990 के दशक के अंत तक कश्मीर की नदियों और धाराओं में आम पाए जाते थे।
- 1997 के बाद इनकी उपस्थिति दुर्लभ हो गईं।
- संभावित कारण:
- आवासीय क्षति (Habitat Loss)
- कीटनाशकों का उपयोग (Pesticide Use)
- शिकार (Poaching)
- इनकी घटती संख्या पर वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय लोगों ने चिंता जताई।
यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otter) के बारे में:
- परिचय:
- एक अर्ध–जलीय स्तनपायी (Semi-aquatic mammal) जो यूरेशिया (Eurasia) का मूल निवासी है।
- इसका घना और जल–प्रतिरोधी फर ठंडे पानी में इन्सुलेशन प्रदान करता है।
- अनुकूलन (Adaptations):
- झिल्लीदार पैर (Webbed Feet) – तैरने के लिए।
- सुचिकाय शरीर (Streamlined Body) – पानी में आसानी से गति के लिए।
- मजबूत पूंछ (Muscular Tail) – जल में धक्का देने के लिए।
- आवास (Habitat):
- यूरोप, उत्तर अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में।
- भारत में पुष्टि: हिमालय, पश्चिमी घाट और ओडिशा।
- स्वच्छ मीठे पानी (Freshwater Ecosystem) को पसंद करता है।
- आहार (Diet):
- मांसाहारी (Carnivorous)।
- मुख्य रूप से मछलियाँ, उभयचर (Amphibians), क्रस्टेशियन (Crustaceans) और छोटे स्तनधारी खाता है।
यूरेशियन ऊदबिलाव का संरक्षण स्थिति
- IUCN स्थिति: नियर थ्रेटेंड (Near Threatened) के रूप में वर्गीकृत।
- भारत में संरक्षण: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची II (Schedule II) में सूचीबद्ध।
- संरक्षण प्रयास आवश्यक: कश्मीर में इस प्रजाति के संरक्षण के लिए प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
- हालिया संकेत: गुरेज़ घाटी (Gurez Valley) में हाल की sighting से संभावित पुनरुद्धार का संकेत, लेकिन आबादी अब भी संवेदनशील बनी हुई है।
यूरेशियन ऊदबिलाव की जनसंख्या में गिरावट के कारण
- आवासीय क्षति (Habitat Loss): शहरीकरण (Urbanisation) और नदी प्रदूषण (River Pollution) से प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।
- शिकार (Poaching)
- फर व्यापार (Fur Trade) के लिए अवैध शिकार।
- मछुआरों के साथ संघर्ष: के कारण मार दिए जाते हैं।
- कीटनाशकों से जल प्रदूषण (Pesticide Contamination): मछलियों की आबादी प्रभावित, जिससे भोजन की उपलब्धता घट रही है।
- जलवायु परिवर्तन: मीठे पानी के स्रोतों पर प्रभाव, जिससे ऊदबिलाव के अस्तित्व को खतरा बढ़ रहा है।