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संदर्भ:
भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) ने आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इंडिया–EFTA डेस्क की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना और दोनों पक्षों के बीच आर्थिक संबंधों को और गहरा करना है।
भारत – यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA)संबंधों की आर्थिक संभावनाएँ:
- यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के सदस्य देश:
- आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, और स्विट्जरलैंड इस समूह के चार सदस्य देश हैं।
- भले ही इनके बाज़ार छोटे हों, लेकिन ये उन्नत प्रौद्योगिकियों और विदेशी निवेश में अग्रणी हैं।
- EFTA की औद्योगिक शक्ति के प्रमुख क्षेत्र:
- सटीक इंजीनियरिंग (Precision Engineering)
- नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)
- फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals)
- वित्तीय सेवाएँ (Financial Services)
- भारत–EFTA साझेदारी का महत्व:
- मजबूत निवेश प्रतिबद्धता: EFTA अगले 15-20 वर्षों में भारत में $100 अरब का निवेश करेगा और 1 मिलियन नौकरियों का सृजन करेगा।
- नवाचार क्षमता को बढ़ावा: EFTA देशों की विशेषज्ञता (उन्नत तकनीक, फार्मास्युटिकल्स, वित्तीय सेवाएँ, प्रिसीजन इंजीनियरिंग) भारत की इनोवेशन–आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।
- ग्रीन ट्रांजिशन में सहयोग: नॉर्वे और आइसलैंड की अक्षय ऊर्जा में विशेषज्ञता भारत के सतत विकास लक्ष्यों को समर्थन देगी।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग: स्विट्जरलैंड की तकनीक भारत के अंतरिक्ष मिशनों, विशेषकर चंद्र मिशन, में सहायक रही है।
- व्यापार अवसरों का विस्तार: TEPA समझौता टैरिफ में कटौती, आसान कस्टम प्रक्रियाएँ और बौद्धिक संपदा संरक्षण को सुनिश्चित करेगा।
- व्यापार सहयोग को बढ़ावा: 100+ EFTA कंपनियों ने भारत का दौरा किया, जिससे व्यापारिक संबंधों में बढ़ती दिलचस्पी दर्शाई गई।
- लंबी अवधि की साझेदारी: यह सहयोग पारंपरिक व्यापार समझौतों से अलग है, क्योंकि यह विश्वास, साझा मूल्यों और सतत विकास पर आधारित है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बारे में:
- परिचय:
- EFTA (European Free Trade Association) एक सरकारी अंतरसरकारी संगठन है, जिसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
- 1960 में इसकी स्थापना सात सदस्य देशों द्वारा की गई थी ताकि सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।
- भारत और EFTA व्यापारिक संबंध:
- 2023-24 में भारत और EFTA के बीच द्विपक्षीय व्यापार $24 बिलियन तक पहुंच गया, जो 2022-23 के $18.65 बिलियन से अधिक था।
- EFTA में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और निवेशक स्विट्जरलैंड है, इसके बाद नॉर्वे का स्थान आता है।
- EFTA-भारत साझेदारी के लाभ:
- भारत की तकनीकी उन्नति, स्थिरता प्रयासों और निवेश वातावरण को मजबूत कर सकता है।
- EFTA के उन्नत उद्योग और भारत की विकास महत्वाकांक्षाएँ एक-दूसरे के पूरक हैं।
- भारत को EFTA देशों से निवेश और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का लाभ मिल सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा और फार्मा क्षेत्र में सहयोग से भारत की स्थिरता और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार संभव है।