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संदर्भ:
प्राचीन मंगल महासागर के साक्ष्य : चीन के झुरोंग रोवर ने मंगल ग्रह पर एक प्राचीन महासागर के अस्तित्व के प्रमाण खोजे हैं, जो लाल ग्रह के जलवायु और भूवैज्ञानिक इतिहास को बेहतर समझने में मदद कर सकते हैं।
प्राचीन मंगल महासागर के साक्ष्य – प्रमुख निष्कर्ष:
- रेडार स्कैनिंग के निष्कर्ष:
- सतह के नीचे 10-35 मीटर (33-115 फीट) मोटी रेत की परतें पाई गईं।
- ये परतें धरती के समुद्री तटों की तरह ढलान वाली हैं।
- Deuteronilus महासागर का प्रमाण:
- अध्ययन दर्शाता है कि 5 से 4 अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर एक विशाल महासागर था।
- उस समय मंगल का वातावरण गर्म और घना था।
- जीवन की संभावना:
- महासागर लाखों वर्षों तक स्थायी रहा, जिससे जीवन पनपने के अनुकूल परिस्थितियाँ बन सकती थीं।
- यह पृथ्वी के प्रारंभिक समुद्रों जैसा था।
- अच्छी तरह संरक्षित अवशेष: समुद्र तट जैसी संरचनाएँ धूल, उल्कापिंड प्रभाव और ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण अब भी सुरक्षित हैं।
इस खोज के प्रभाव:
- मंगल पर महासागर का प्रमाण:
- समुद्र तट जैसी संरचनाएँ दर्शाती हैं किमंगल पर कभी विशाल और दीर्घकालिक जल निकाय था।
- वैज्ञानिक मानते हैं कि तरंगों और ज्वार–भाटे ने इन जमावों को पृथ्वी जैसे प्राकृतिक प्रक्रियाओं से आकार दिया।
- मंगल के जलवायु और भू–दृश्य पर प्रभाव:
- यह प्राचीन महासागर मंगल की जलवायु और भौगोलिक संरचना को प्रभावित कर सकता था।
- इससे जीवन के अनुकूल वातावरण बनने की संभावना थी।
समुद्र की परिकल्पना को मजबूत करने वाले प्रमाण:
- वैकल्पिक परिकल्पनाओं को खारिज किया गया
- हवा से बनी टीलों (dunes) या नदी से बने जमावोंकी संभावना जांची गई, लेकिन यह संरचनाएँ उनसे मेल नहीं खातीं।
- पाए गए पैटर्न समुद्री तटों से अधिक समानता रखते हैं।
- संरचनाओं का संरक्षण: ये संरचनाएँ धूल भरी आंधियों और ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण दबकर सुरक्षित रह गईं।
झुरोंग रोवर के बारे में:
- मिशन एवं लैंडिंग:
- यह Tianwen-1 मिशन का हिस्सा था।
- 15 मई 2021 को यूटोपिया प्लैनिशिया (Utopia Planitia) के दक्षिणी भाग में उतरा।
- आयु एवं कार्यकाल:
- इसकी नाममात्र जीवन अवधि 90 सोल (93 पृथ्वी दिन) थी।
- अपेक्षा से अधिक347 सोल (358 दिन) तक सक्रिय रहा।
- सोल मंगल ग्रह के एक दिन को कहते हैं, जो पृथ्वी के दिन से 40 मिनट लंबा होता है।
- डेटा संग्रह एवं खोज:
- मई 2021 से मई 2022 तक डेटा भेजा।
- 9 किमी (1.2 मील) की दूरी तय की।
- ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) से मंगल की सतह के 80 मीटर (260 फीट) नीचे तक जांच की।