संदर्भ:
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (FTSC) योजना का मार्च 2026 तक विस्तार किया गया है, ताकि बलात्कार और POCSO अधिनियम, 2012 के तहत मामलों में त्वरित और समयबद्ध न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (FTSCs) क्या हैं?
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (FTSCs) भारत में विशेष रूप से स्थापित किए गए न्यायालय हैं, जिनका उद्देश्य बलात्कार और बाल यौन शोषण जैसे गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों का निपटारा तेजी से करना और समयबद्ध न्याय प्रदान करना है।
स्थापना:
- 2019 में न्याय विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया।
- योजना के तहत केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच फंडिंग साझा की जाती है।
- अधिकांश राज्यों/विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 60:40 (केंद्र:राज्य)।
- उत्तरपूर्वी और पहाड़ी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 90:10।
उद्देश्य:
इस योजना के तहत कुल 790 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स (FTSCs) स्थापित किए जाने हैं, जिनमें विशेष POCSO (e-POCSO) कोर्ट्स भी शामिल हैं।
प्रत्येक FTSC से अपेक्षा की जाती है कि वह हर तिमाही में 41-42 मामलों का निपटारा करे और प्रतिवर्ष कम से कम 165 मामलों का निपटारा करके न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज करे और मामलों की पेंडेंसी को कम करे।
FTSCs की आवश्यकता:
- मामलों का बढ़ता बोझ: भारत की अदालतें बलात्कार और POCSO मामलों के बढ़ते बोझ का सामना कर रही हैं। यह आंकड़ा 2020 में 2,81,049 मामलों से बढ़कर 2022 के अंत तक 4,17,673 हो गया।
- समय पर न्याय: POCSO अधिनियम, 2012 के अनुसार, विशेष अदालतों को अपराध की जानकारी लेने के एक वर्ष के भीतर मामलों का निपटारा करना आवश्यक है।
- अपराध रोकने का माध्यम: सख्त सजा अपराधों को रोकने में सहायक होती है, लेकिन इसका प्रभाव तभी होता है जब पीड़ितों को समय पर न्याय और त्वरित सुनवाई मिले।
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स (FTSCs) की चुनौतियां
- मामलों की लंबित संख्या: भारी केस लोड से देरी; महाराष्ट्र-पंजाब में निपटान तेज, जबकि पश्चिम बंगाल में सबसे कम।
- निर्भया फंड का कम उपयोग: ₹1,700 करोड़ अब भी अप्रयुक्त, जिससे महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े सुधार प्रभावित।
- संख्या की कमी: 1,023 स्वीकृत अदालतों में से केवल 747 सक्रिय; न्याय तेजी के लिए 1,000 FTSCs की जरूरत।
- विशेष सुविधाओं का अभाव: पीड़ितों के लिए अनुकूल गवाह केंद्र, महिला लोक अभियोजक और काउंसलरों की कमी।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) की प्रमुख सिफारिशें
- योजना की निरंतरता: IIPA ने बलात्कार और POCSO मामलों के त्वरित निपटारे के लिए इस योजना को जारी रखने की सिफारिश की।
- तेजी से ट्रायल सुनिश्चित करना:
- POCSO मामलों में अनुभवी विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति।
- न्यायाधीशों और लोक अभियोजकों के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण।
- महिला लोक अभियोजकों की नियुक्ति।
- न्यायालयों का आधुनिकीकरण:
- ऑडियो–वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम, एलसीडी प्रोजेक्टर जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
- ई–फाइलिंग और डिजिटल रिकॉर्ड प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- फॉरेंसिक जांच में सुधार: अधिक फॉरेंसिक लैब स्थापित करना और प्रशिक्षित कर्मियों की संख्या बढ़ाना।