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भारत सरकार ने हाल ही में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए ₹10,700 करोड़ की इक्विटी को मंजूरी दी है, जिसका उपयोग वित्तीय वर्ष 2024-25 में कार्यशील पूंजी के रूप में किया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और किसानों के कल्याण को सुनिश्चित करना है।
एफसीआई परिचालन का वित्तपोषण और चुनौतियाँ:
FCI केंद्रीय पूल के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न खरीदता है और इन्हें सरकार द्वारा निर्धारित केंद्रीय निर्गम मूल्य पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से जारी करता है। निर्गम मूल्य अक्सर खरीद, संचलन, भंडारण, और वितरण की कुल लागत को कवर नहीं करते हैं, जिससे उपभोक्ता सब्सिडी की आवश्यकता होती है, जिसे सरकार द्वारा एफसीआई को भुगतान किया जाता है।
एफसीआई की चुनौतियाँ:
- प्रत्यक्ष खरीद में कम हिस्सेदारी: एफसीआई द्वारा प्रत्यक्ष खरीद में 5% से भी कम योगदान है।
- प्रभावी भंडारण का अभाव: FCI के पास मौजूद गोदामों में रिसाव और खराब गुणवत्ता वाले स्टॉक की समस्या बनी हुई है।
- पारगमन हानि: खाद्यान्नों के स्थानांतरण के दौरान नुकसान की समस्या।
- सुविधाओं का सीमित उपयोग: एफसीआई के स्वामित्व वाली सुविधाओं का पूर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है।
स्थायी समिति की सिफारिशें
एफसीआई की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कुछ सिफारिशें की गई हैं:
- राज्य सरकारों की मदद: राज्य सरकारों को प्रभावी खरीद के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करने में सहायता।
- वैज्ञानिक भंडारण उपाय: नुकसान को रोकने के लिए वैज्ञानिक भंडारण उपायों का प्रयोग।
- सतर्कता तंत्र: राज्यों के साथ समन्वय कर सतर्कता तंत्र को सुदृढ़ करना।
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के उद्देश्य
एफसीआई को खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत स्थापित किया गया था और यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
- किसानों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न की खरीद।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पूरे देश में खाद्यान्न का वितरण।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्नों के बफर स्टॉक का समुचित प्रबंधन।
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