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इथेनॉल उत्पादन के लिए FCI चावल (FCI Rice for Ethanol Production) | by Apni Pathshala

FCI Rice for Ethanol Production

संदर्भ:

केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अतिरिक्त 28 लाख टन चावल के उपयोग को मंजूरी दे दी है, जिससे कुल आवंटन बढ़कर 52 लाख टन हो गया है। यह निर्णय भोजन सुरक्षा की कीमत पर ईंधन उत्पादन के लिए खाद्यान्न के उपयोग को लेकर जारी चिंताओं के बावजूद लिया गया है।

थेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम:

परिचय:

  • उद्देश्य:
    • एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का उद्देश्य बायोफ्यूल के उपयोग को बढ़ावा देना है।
    • हालांकि, इससे खाद्यान्न को ईंधन में बदलने से खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव की चिंता भी बढ़ी है।

एथेनॉल और EBP कार्यक्रम क्या है?

  • एथेनॉल:
    • एथेनॉल एक अल्कोहल-आधारित बायोफ्यूल है, जो गन्ना, मक्का और चावल जैसे फसलों से शर्करा, स्टार्च या सेल्यूलोज के किण्वन द्वारा बनाया जाता है।
    • इसे पेट्रोल में मिलाने से वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में कमी आती है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटती है।
  • EBP कार्यक्रम:
    • शुरुआत: 2003 में शुरू, 2014 के बाद से तीव्रता से बढ़ा।
    • उद्देश्य: पेट्रोल में एथेनॉल का मिश्रण अनिवार्य बनाना।
    • लक्ष्य:
      • 2025 तक E20 लक्ष्य (20% एथेनॉल मिश्रण) पूरा।
      • 2030 तक 30% मिश्रण का लक्ष्य।

महत्व:

  • ऊर्जा सुरक्षा: कच्चे तेल पर भारत की आयात निर्भरता कम होती है और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है।
  • पर्यावरणीय लाभ: एथेनॉल, शुद्ध पेट्रोल की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करता है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: अतिरिक्त कृषि उत्पादों की मांग बढ़ाकर किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है।
  • ग्रीन एनर्जी नीति: पेरिस समझौते के तहत नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग के लक्ष्यों के साथ मेल खाता है।

चिंताएं:

  • खाद्य सुरक्षा जोखिम: केंद्रीय भंडार से 2 मिलियन टन चावल की निकासी, विशेष रूप से सूखे या महंगाई के समय, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) पर दबाव डाल सकती है।
  • मूल्य विकृति: एफसीआई चावल (₹22.50 प्रति किलो) की सस्ती आपूर्ति से खुले बाजार में कीमतें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे गरीब तबके पर असर पड़ेगा।
  • पारिस्थितिकीय अस्थिरता: चावल एक जल-गहन फसल है, जिससे जल-संकट वाले क्षेत्रों में इसके उपयोग को लेकर चिंता है।
  • संसाधनों का अप्रभावी उपयोग: खाद्यान्न से एथेनॉल उत्पादन को कुशल या नैतिक नहीं माना जा रहा, जबकि अपशिष्ट बायोमास से 2जी एथेनॉल विकल्प मौजूद है।
  • कृषि प्राथमिकताओं में विकृति: चावल, गन्ना और मक्का जैसी फसलों पर अधिक निर्भरता से फसल विविधीकरण और मृदा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आगे का रास्ता:

  • 2जी एथेनॉल पर जोर: कृषि अपशिष्ट और गैर-खाद्य बायोमास से एथेनॉल उत्पादन को प्राथमिकता।
  • स्पष्ट दिशानिर्देश: खाद्य सुरक्षा और बायोफ्यूल लक्ष्यों में संतुलन बनाए रखने के लिए स्पष्ट नीतियां।
  • गैरखाद्य स्रोतों से उत्पादन में सुधार: एथेनॉल उत्पादन में दक्षता बढ़ाने के प्रयास।
  • पारदर्शी ऑडिट: हटाए गए अनाज के उपयोग और PDS स्टॉक पर इसके प्रभाव का पारदर्शी मूल्यांकन।

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