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गंगा नदी डॉल्फिन

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असम में पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन (प्लाटानिस्टा गैंजेटिका) को टैग किया गया है, जो वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।

गंगा नदी डॉल्फिन के बारे में:

मुख्य विवरण:

  • उपाधि: “गंगा की बाघिन” के नाम से प्रसिद्ध, 1801 में खोजी गई।
  • राष्ट्रीय जलीय पशु: 2009 में राष्ट्रीय जलीय पशु और असम का राज्य जलीय पशु घोषित किया गया।
  • पर्यावास: 90% गंगा नदी डॉल्फिन भारत में पाई जाती हैं, मुख्यतः गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली नदी प्रणालियों में।
  • विशेषताएं:
    • अंधी होती हैं और मीठे पानी में रहती हैं।
    • शिकार के लिए अल्ट्रासोनिक ध्वनियों का उपयोग करती हैं।
    • छोटे समूहों में यात्रा करती हैं।
    • हर 30-120 सेकंड में सांस लेने के लिए सतह पर आती हैं।

महत्व और खतरे:

  • महत्व: यह नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य की सूचक हैं, क्योंकि यह एक शीर्ष शिकारी (एपेक्स प्रिडेटर) है।
  • मुख्य खतरे:
    • मछली पकड़ने के जाल में फंसना।
    • तेल के लिए शिकार।
    • आवास का विनाश और प्रदूषण (औद्योगिक कचरा, कीटनाशक, शोर)।

संरक्षण स्थिति और सरकारी पहल:

संरक्षण स्थिति:

  • IUCN: संकटग्रस्त (Endangered)
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
  • CITES: परिशिष्ट I
  • CMS: परिशिष्ट I

संरक्षण पहल:

  • प्रोजेक्ट डॉल्फिन: डॉल्फिन संरक्षण के लिए एक प्रमुख सरकारी योजना।
  • विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य: बिहार में स्थित।
  • राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस: हर साल 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।

प्रोजेक्ट डॉल्फिन क्या है?

  • शुरुआत: 15 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित।
  • उद्देश्य: भारत की नदी और महासागरीय डॉल्फिनों का संरक्षण।
  • अवधि: 10 वर्ष की योजना।
  • नोडल मंत्रालय: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय।

गंगा नदी डॉल्फिन (Platanista gangetica):

  • राष्ट्रीय जलीय पशु: भारत का राष्ट्रीय जलीय पशु, भारतीय उपमहाद्वीप में ही पाया जाता है।
  • पर्यावास: मीठे पानी की नदियाँ: गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगू नदी प्रणालियाँ (नेपाल, भारत, बांग्लादेश)।
    • वैश्विक आबादी का लगभग 90% भारत में पाया जाता है।
  • IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)।

मुख्य उद्देश्य:

  • भारत की डॉल्फिन आबादी को संरक्षित करना और उनके लिए खतरे कम करना।
  • संरक्षण संबंधी चुनौतियों का समाधान करना और डॉल्फिन संरक्षण में सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करना।

गंगा नदी डॉल्फिन की मुख्य विशेषताएँ:

  • दृष्टिहीन: गंगा डॉल्फिन लगभग अंधी होती हैं और इकोलोकेशन (ध्वनि तरंगों से वस्तुओं की स्थिति निर्धारित करना) पर निर्भर करती हैं।
  • शारीरिक बनावट: लंबी और पतली थूथन, गोल पेट, मजबूत शरीर और बड़े पंख जैसे फ्लिपर्स।
    • मादाएं नर से बड़ी होती हैं।
  • महत्व: छत्र प्रजाति (Umbrella Species) होने के कारण इसे “गंगा की बाघिन” भी कहा जाता है।
  • स्थानीय नाम: इसे सांस लेने के दौरान निकलने वाली अनोखी आवाज़ के कारण स्थानीय रूप से ‘सुसु’ कहा जाता है।

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