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संदर्भ:
रबर बागानों का भू-मानचित्रण: रबर बोर्ड केरल में रबर बागानों का जियो-मैपिंग शुरू करने जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करना और उनके उत्पाद के लिए उच्च मूल्य सुनिश्चित करना है।
रबर बागानों का भू-मानचित्रण (Geo-Mapping):
- भू-मानचित्रण की पहल: रबर बोर्ड बागानों के डिजिटल मानचित्रण का कार्य कर रहा है, जिसमें भूमि स्वामित्व, क्षेत्रफल और बागान की सीमाओं जैसी आवश्यक जानकारियाँ शामिल हैं।
- EUDR के साथ संरेखण: यह पहल EUDR (European Union Deforestation Regulation) के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करता है कि 31 दिसंबर 2020 के बाद यूरोपीय संघ के बाजार में प्रवेश करने वाली सभी वस्तुएँ वनों की कटाई से मुक्त हों और स्थानीय पर्यावरणीय नियमों का पालन करती हों।
- आपूर्ति श्रृंखला का मानचित्रण: इसमें आपूर्ति श्रृंखला का मानचित्रण, ट्रेसबिलिटी सिस्टम (traceability system) का विकास और बागानों का भू-मानचित्रण शामिल है।
- उद्देश्य: यह प्रणाली रबर की उत्पत्ति की गारंटी देती है और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता मानकों (international sustainability standards) का पालन सुनिश्चित करती है।
- ड्यू डिलिजेंस प्रमाणपत्र (Due Diligence Certificate): जोखिम मूल्यांकन और वैधता विश्लेषण (legality analysis) के आधार पर एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
भू-मानचित्रण की महत्त्वपूर्णता (Importance):
- बाजार में सुधार: यह पहल रबर उत्पादकों के लिए बाजार तक पहुँच और मूल्य में सुधार करने का लक्ष्य रखती है।
- वन-विनाश मुक्त आपूर्ति श्रृंखला (Deforestation-Free Supply Chain): इसका उद्देश्य रबर की आपूर्ति श्रृंखला को वनों की कटाई से मुक्त बनाना है, जिससे वैश्विक बाजार में इसकी विपणन क्षमता (marketability) में वृद्धि हो सके।
- EUDR का अनुपालन (Compliance with EUDR): यह पहल EUDR के नियमों का पालन सुनिश्चित करती है, जो यूरोपीय बाजार में उत्पादों की स्वीकार्यता के लिए अनिवार्य है।
रबर के बारे में:
- परिभाषा:रबर इसोप्रीन का पॉलीमर है, जो हीविया ब्रासिलिएन्सिस नामक उष्णकटिबंधीय वृक्ष के लेटेक्स से प्राप्त होता है।
- मिट्टी:अच्छी तरह से निथरी और पुरानी मिट्टी जैसे लेटराइट, जलोढ़ और अवसादी मिट्टी।
- जलवायु:समान रूप से वितरित वर्षा (कम से कम 100 बरसात के दिन), तापमान 20-34°C, आर्द्रता लगभग 80%, 2000 घंटे की धूप और तेज़ हवाओं की अनुपस्थिति।
- प्रमुख उत्पादक देश:थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया।
- भारत में उत्पादन:केरल (75% उत्पादन), तमिलनाडु, कर्नाटक, त्रिपुरा, असम, अंडमान और निकोबार, गोवा आदि।
- स्थिति:भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत अपनी कुल रबर खपत का 40% आयात करता है।
- इतिहास:भारत में पहले रबर बागान 1895 में केरल की पहाड़ियों पर लगाए गए थे। वाणिज्यिक स्तर पर खेती 1902 में शुरू हुई।
- स्थापना: 1955
- मुख्यालय: कोट्टायम, केरल
- अधीन: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
- कार्य: भारत में रबर उद्योग के विकास
- रबर अनुसंधान संस्थान (RRI): रबर बोर्ड के अधीन।
- महत्व: प्राकृतिक रबर उच्च तन्यता ताकत, कंपन-रोधी और आंसू-प्रतिरोध के कारण सिंथेटिक रबर की तुलना में बेहतर है। यह निर्माण और ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।