Geotubing
संदर्भ:
केरल के पून्थुरा तट पर जियोट्यूब तकनीक से बने ऑफशोर ब्रेकवाटर सिस्टम पर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि इस प्रणाली ने तटीय क्षेत्र के भू-दृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं।
Geotubing: प्रभावी तट रक्षा और कटाव प्रबंधन:
क्या है Geotubing ?
- परिभाषा: Geotubes बड़े, पारगम्य कपड़े से बने ट्यूब होते हैं, जो ड्रेज किए गए या हाइड्रॉलिक रूप से भरे सामग्री से भरे होते हैं।
- इनका उपयोग कटाव प्रबंधन और जल निकासी के लिए किया जाता है।
- सामग्री: उच्च-शक्ति और पारगम्य सामग्री, आमतौर पर पॉलीप्रोपाइलीन बुने हुए जियोटेक्सटाइल, जो मजबूती और पर्यावरणीय प्रतिरोध प्रदान करते हैं।
- कार्य: जियोटेक्सटाइल कपड़ा जल को बाहर निकालता है जबकि ठोस कणों को रोक कर रखता है।
तट रक्षक और समुद्री दीवार में उपयोग:
- उद्देश्य: समुद्रतट और तटरेखा को कटाव से बचाने के लिए कृत्रिम अवरोध का निर्माण।
- विशेषताएँ:
- इन्हें अक्सर ब्रेकवाटर ट्यूब कहा जाता है।
- ये ट्यूब लहरों और ज्वारीय क्रियाओं के खिलाफ पहली रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करते हैं।
- कार्यप्रणाली:
- लहरें ट्यूब से टकराती हैं, जिससे तटरेखा और टीलों पर प्रभाव कम हो जाता है।
- तटीय क्षेत्रों जैसे नहरों, खाड़ियों में बालू/तटरेखा संरक्षण।
आकार और अनुकूलन:
- आकार: परियोजना आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न आकार और रूप में उपलब्ध।
- अनुकूलता: प्रदूषित स्थलों, जल तटों, अंतर्देशीय जलमार्गों जैसे विभिन्न स्थानों पर आसानी से स्थापित किए जा सकते हैं।
- लाभ: स्थायित्व, लचीलापन और पर्यावरणीय अनुकूलन।