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जर्मन संघीय चुनाव 2025

सामान्य अध्ययन पेपर II: संघवाद, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जर्मनी के संघीय चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी CDC ने शानदार जीत हासिल की है, जिससे पार्टी के नेता फ्रेडरिक मर्ज़ का चांसलर बनना तय हो गया है। 

  • इस चुनाव में CDC ने 630 सीटों वाले बुंडेस्टैग में 208 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव हासिल किया। 
  • AfD (अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी) पार्टी ने 152 सीटों पर कब्जा कर दूसरा स्थान हासिल किया।
  • इस चुनाव में सत्तारूढ़ सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी SPD केवल 120 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर सिमट गई।
  • चुनाव में मुख्य मुद्दे थे – आप्रवासन, आर्थिक स्थिरता, यूक्रेन संकट, और यूरोपीय एकता के भविष्य पर चिंता।

जर्मन संघीय चुनावों का संविधानिक आधार

जर्मनी के संघीय चुनावों की प्रक्रिया राष्ट्रीय संसद, जिसे बुंडेस्टैग कहा जाता है, के सदस्य चुनाव को नियंत्रित करती है। जर्मन संविधान (Basic Law) के अनुच्छेद 38 के अनुसार, चुनावों के सिद्धांत सार्वभौमिक, प्रत्यक्ष, स्वतंत्र, समान और गुप्त होने चाहिए। ये पांच मतदान सिद्धांत के मौलिक अधिकार हैं। 

  • संविधान में यह भी निर्धारित किया गया है कि बुंडेस्टैग के चुनाव हर चार साल में होंगे और 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद कोई भी व्यक्ति मतदान कर सकता है और चुनाव लड़ सकता है। 
  • संघीय चुनावों की सभी अन्य शर्तें संघीय चुनाव कानून (Federal Electoral Act) द्वारा निर्धारित की जाती हैं। 
  • इन चुनावों का आयोजन हमेशा रविवार को किया जाता है और मेल वोट की सुविधा आवेदन करने पर उपलब्ध होती है।
  • दो वोटों की प्रणाली:
    • जर्मन नागरिकों को संसद के सदस्य चुनने के लिए दो वोट मिलते हैं। 
    • पहला वोट सीधे उम्मीदवार के लिए होता है, जिसे अपने निर्वाचन क्षेत्र में बहुमत प्राप्त करना होता है। 
    • दूसरा वोट प्रत्येक राज्य में पार्टी सूची के लिए होता है, जिसे संबंधित पार्टी के कॉकस द्वारा स्थापित किया जाता है। 
    • इस प्रकार, बुंडेस्टैग में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए पहले वोट से प्रतिनिधित्व करने वाली सीटें और दूसरे वोट के आधार पर समानुपातिकता बनाए रखने के लिए सीटें आवंटित की जाती हैं। 
    • सामान्यतः उम्मीदवारों को चुनावी सूची में उच्च रैंक पर रखा जाता है ताकि अगर वे अपने जिले नहीं जीतते हैं तो भी उन्हें चुनावी सूची में मौका मिल सके।
  • संघीय चुनावों की असामान्य स्थिति
    • संघीय चुनाव सामान्यतः समय पर होते हैं, लेकिन यदि राष्ट्रपति बुंडेस्टैग को भंग कर देता है और तत्काल चुनाव का आयोजन करता है, तो संघीय चुनाव जल्दी हो सकते हैं। यह केवल दो विशेष परिस्थितियों में किया जा सकता है, जैसा कि जर्मन संविधान (Basic Law) में वर्णित है।
      • चांसलर के चुनाव में विफलता: यदि संघीय चुनाव के बाद या चांसलर पद के किसी अन्य रिक्तता के मामले में, बुंडेस्टैग अपने पहले मतदान के 15वें दिन तक चांसलर को पूर्ण बहुमत से चुनने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति के पास यह अधिकार होता है कि वह बहुमत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को चांसलर नियुक्त कर दे या बुंडेस्टैग को भंग कर दे (संविधान के अनुच्छेद 63, खंड 4 के अनुसार)।
      • चांसलर द्वारा विश्वास प्रस्ताव का अस्वीकार: यदि चांसलर एक विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं और वह असफल हो जाता है, तो चांसलर राष्ट्रपति से बुंडेस्टैग को भंग करने की मांग कर सकते हैं। राष्ट्रपति इस अनुरोध को स्वीकृति या अस्वीकृति दे सकते हैं (संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार)।

जर्मन संघीय चुनावों का प्रबंधन निकाय

जर्मन संघीय चुनावों का संचालन मुख्य रूप से संघीय चुनाव अधिकारी द्वारा किया जाता है, जिसे संघीय आंतरिक मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाता है। 

  • इस अधिकारी की जिम्मेदारी चुनाव प्रक्रिया को चलाना और चुनाव समिति की अध्यक्षता करना है। 
  • आमतौर पर संघीय सांख्यिकी कार्यालय के प्रमुख इस पद पर होते हैं। 
  • संघीय चुनाव अधिकारी को चुनाव समिति, प्रत्येक बुंडेसलैंड के चुनाव अधिकारी, चुनाव पर्यवेक्षक, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की चुनाव समिति, चुनाव न्यायधीश और प्रत्येक मतदान वार्ड की संचालन समिति से सहायता प्राप्त होती है। 
  • ये सभी सदस्य संघीय सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, जबकि चुनाव समिति के अन्य सदस्य संघीय चुनाव अधिकारी द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
  • चुनाव प्रबंधन निकाय (EMBs) स्वतंत्र, सामाजिक स्व-आयोजन के संस्थान होते हैं। इन्हें आमतौर पर एक प्रकार की संघीय एजेंसी माना जाता है। 
  • संघीय आंतरिक मंत्रालय इसमें सर्वोच्च संघीय प्राधिकरण है, जो संघीय चुनाव प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक नियमों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है। 

जर्मनी का मिश्रित-प्रतिनिधित्व चुनावी मॉडल

जर्मनी में चुनावी प्रणाली मिश्रित सदस्य समानुपातिक (Mixed-Member Proportional Electoral System) है, जिसमें मतदाताओं को दो वोट मिलते हैं। पहला वोट प्रथम-पारितोषिक (First-Past-The-Post) प्रणाली का उपयोग करके सीधे अपने निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार को चुनने के लिए होता है, जबकि दूसरा वोट एक पार्टी की चुनावी सूची के लिए होता है।

  • बुंडेस्टैग में प्रवेश
    • किसी पार्टी को बुंडेस्टैग में प्रवेश करने के लिए, उसे या तो दूसरे वोट में पूरे देश में पांच प्रतिशत का समर्थन प्राप्त करना होता है या फिर तीन निर्वाचन क्षेत्रों में पहले वोट के माध्यम से जीत हासिल करनी होती है, जिससे वह चुनावी सीमा (threshold) पार कर सके। 
    • इन दोनों स्थितियों में पार्टी बुंडेस्टैग में प्रवेश करती है और उसे दूसरे वोट के आधार पर समानुपातिक सीटें मिलती हैं। 
  • सीटों का वितरण
    • प्रारंभ में, कुल 630 सीटों में से (स्वतंत्र उम्मीदवारों द्वारा जीती गई सीटों को छोड़कर), सभी सीटें संघीय स्तर पर उन पार्टियों को समानुपातिक रूप से आवंटित की जाती हैं, जो चुनावी सीमा पार करती हैं। 
    • इसके बाद, प्रत्येक पार्टी को अपने उम्मीदवारों के लिए राज्यवार सीटें आवंटित की जाती हैं। 
    • यह वितरण Webster/Sainte-Laguë विधि के माध्यम से किया जाता है। 
    • पार्टी द्वारा प्रत्येक राज्य में जितनी सीटें जीती जाती हैं, उन्हें उसकी सूची सीटों से घटा दिया जाता है, जिससे अंतिम सूची सीटों की संख्या प्राप्त होती है।
  • स्वतंत्र उम्मीदवारों का चुनाव: 
    • स्वतंत्र उम्मीदवारों को तब चुना जाता है यदि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में बहुमत (plurality) प्राप्त करते हैं। 
    • हालांकि, यदि स्वतंत्र उम्मीदवार ने पहले वोट में जीत प्राप्त की है, तो उसकी सीटों के समानुपातिक वितरण में दूसरे वोट को शामिल नहीं किया जाता है ताकि मतदाता समानता बनाए रखी जा सके।

जर्मन संघीय चुनावी विधि में हाल ही में हुए परिवर्तन:

  • जर्मनी में संघीय चुनावी विधि में हाल ही में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। 17 मार्च 2023 को एक नया विधान पारित किया गया, जो वर्ष 2025 से लागू हुआ। 
  • इसका उद्देश्य बुंडेस्टैग की बढ़ती सदस्य संख्या को नियंत्रित करना और चुनाव प्रक्रिया को और अधिक समानुपातिक बनाना है।
  • इसके अनुसार अब निर्वाचन क्षेत्र में सीट जीतना स्वचालित रूप से उम्मीदवार की सीट की गारंटी नहीं होगी।
  • नये विधान के तहत बुंडेस्टैग में प्रतिनिधियों की कुल संख्या को 630 तक सीमित कर दिया गया है, जिससे बंडेस्टैग के आकार को स्थिर रखा जाएगा। 
  • अब, चुनावों में 299 उम्मीदवार सीटें अपरिवर्तित रहेंगी, जबकि 331 पार्टी सूची सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।
  • “ओवरहैंग सीट” (Overhang Seats) और “बैलेंस सीट” (Balance Seats) को पूरी तरह से हटा दिया गया है। इससे चुनावी प्रक्रिया अधिक स्पष्ट और सरल हो जाएगी।
  • उम्मीदवार की सीटों का महत्त्व कम कर दिया गया है, जिससे पार्टी की सूची सीटों को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।

भारत में चुनावी प्रणाली

भारत में चुनावी प्रक्रिया लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जो देश की विविधता और बहुलता को प्रकट करता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक नागरिक को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार मिले और सरकार की कार्यप्रणाली में जनादेश की भूमिका सशक्त बने। 

  • संरचनात्मक आधार: भारत में चुनावी प्रक्रिया भारतीय संविधान के तहत स्थापित की गई है, जिसमें भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के आयोजन की जिम्मेदारी दी गई है। यह आयोग यह सुनिश्चित करता है कि चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से स्वतंत्र हो, जहां सभी दलों और उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त हो।
  • समय: भारत में चुनाव आमतौर पर हर पाँच साल में आयोजित होते हैं, जब तक कि लोकसभा या राज्य विधानसभा को भंग नहीं किया जाता है। चुनाव की तिथि का निर्धारण भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है।
  • आदर्श आचार संहिता: चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता का पालन करना अनिवार्य होता है, जिससे चुनावी माहौल निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रहता है। यह आचार संहिता राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपने अभियान के दौरान एक निश्चित आचार और व्यवहार का पालन करने के लिए प्रेरित करती है।
  • मतदान प्रक्रिया : भारत में मतदान प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली पारंपरिक मतपत्रों की तुलना में अधिक तेज, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल है। EVM से मतदान की प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है और यह किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को लगभग समाप्त कर देती है।
  • फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली: भारत में लोकसभा के चुनाव फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (First-Past-the-Post, FPTP) चुनावी प्रणाली के तहत होते हैं। इस प्रणाली में:
  • पूरे देश को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक उम्मीदवार चुनाव में हिस्सा लेता है। मतदाता इन उम्मीदवारों में से किसी एक को वोट देते हैं।
    • जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे विजेता घोषित किया जाता है। इस प्रणाली में उम्मीदवार को दूसरों से अधिक वोट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, लेकिन उसे बहुमत (50% से अधिक वोट) प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती।
    • इसी प्रकार, राज्य विधान सभाओं के चुनाव भी लोकसभा चुनावों के अनुरूप फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनावी प्रणाली के माध्यम से होते हैं, जहां उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट प्राप्त करने पर विजेता घोषित किया जाता है।

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न (2017). निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. भारत का चुनाव आयोग पांँच सदस्यीय निकाय है।
  2. केंद्रीय गृह मंत्रालय आम चुनाव और उपचुनाव दोनों के संचालन के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है। 
  3. चुनाव आयोग मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवादों का समाधान करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2

(c) केवल 2 और 3

(d) केवल 3

उत्तर: (d)

प्रश्न (2022). आदर्श आचार संहिता के विकास के आलोक में भारत के चुनाव आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिये।

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