Download Today Current Affairs PDF
संदर्भ:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा गठित एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट में पाया गया है कि घग्गर नदी के जल में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) निर्धारित सीमा से दो से तीन गुना अधिक है। इस उच्च प्रदूषण स्तर के कारण नदी का जल बाहरी स्नान (outdoor bathing) के लिए अनुपयोगी हो गया है।
बीओडी स्तर:
- वर्तमान स्थिति: घग्गर नदी में pH स्तर स्नान मानकों को पूरा करता है, लेकिन बीओडी (Biochemical Oxygen Demand) स्तर स्नान जल मानकों का पालन नहीं करता।
- उच्च बीओडी स्तर अत्यधिक कार्बनिक प्रदूषकों की उपस्थिति का संकेत देते हैं, जैसे कि:
- अनुपचारित सीवेज
- कृषि अपवाह (Agricultural Runoff)
- औद्योगिक उत्सर्जन (Industrial Effluents)
- इसके परिणामस्वरूप घुलित ऑक्सीजन (DO) की कमी हो जाती है, जिससे जल जलीय जीवन और स्नान जैसी मनोरंजक गतिविधियों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है।
घग्गर नदी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD):
परिभाषा:
- बीओडी (Biochemical Oxygen Demand) जल में मौजूद जैविक कचरे को अपघटित करने के लिए बैक्टीरिया द्वारा आवश्यक घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है।
- इसे प्रति लीटर पानी में मिलीग्राम ऑक्सीजन (mg/L) में व्यक्त किया जाता है।
बीओडी का महत्व:
- जल प्रदूषण का संकेतक – उच्च बीओडी स्तर जैविक प्रदूषकों की अधिकता को दर्शाता है, जिससे जल गुणवत्ता खराब होती है।
- ऑक्सीजन की कमी का मापन – बैक्टीरिया द्वारा अत्यधिक ऑक्सीजन खपत से घुलित ऑक्सीजन (DO) घटती है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है।
- जल शोधन में उपयोग – बीओडी का उपयोग सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) और अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (ETPs) की दक्षता मापने के लिए किया जाता है।
जल स्रोतों में उच्च बीओडी के कारण:
- अनुपचारित सीवेज (घरेलू गंदा पानी) का निर्वहन।
- जैविक कचरे वाले औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवाह।
- कृषि अपवाह (कीटनाशक, उर्वरक, पशु अपशिष्ट)।
- सड़े-गले पौधों और मृत जलीय जीवों का अपघटन।
- झुग्गी बस्तियों से सीधे कचरे का जल स्रोतों में प्रवाह।
उच्च BOD के परिणाम:
- पानी में ऑक्सीजन की कमी, जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों की मृत्यु।
- जल का बदबूदार और रंग बदलना।
- पोषक तत्वों की अधिकता के कारण शैवाल वृद्धि (Algal Bloom)।
- जल जनित रोगों का प्रसार।
घग्गर नदी के बारे में:
- प्राकृतिक स्वरूप: यह एक आंतरायिक (Intermittent) नदी है, जो केवल मानसून के दौरान प्रवाहित होती है।
- प्रवाह मार्ग:
- उत्पत्ति: हिमाचल प्रदेश के शिवालिक पहाड़ियों से।
- राज्य: हरियाणा और राजस्थान से होकर बहती है।
- अंत: थार रेगिस्तान में सूख जाती है।
- सिंचाई में योगदान: यह राजस्थान में दो सिंचाई नहरों को जल आपूर्ति करती है।
- हकरा नदी से संबंध:
- पाकिस्तान में बहने वाली हकरा नदी को घग्गर नदी की ही प्राकृतिक निरंतरता माना जाता है।
- दोनों को मिलाकर घग्गर–हकरा नदी कहा जाता है।
- मुख्य सहायक नदियाँ:
- कौशल्या नदी
- मारकंडा नदी
- सरस्वती (सर्सुती) नदी
- टंगरी नदी
- चौतंग नदी
- ऐतिहासिक महत्व: इस नदी के किनारे सिंधु घाटी सभ्यता के कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं।
- प्रमुख पुरातात्विक स्थल:
- कालीबंगन – हनुमानगढ़, राजस्थान
- राखीगढ़ी – हिसार, हरियाणा (घग्गर-हकरा नदी मैदान में)
- बनावली – फतेहाबाद, हरियाणा (सरस्वती नदी के सूखे तल पर)
- सांस्कृतिक महत्व: घग्गर नदी को ऋग्वेद में वर्णित लुप्त सरस्वती नदी माना जाता है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
- स्थापना:
- वर्ष 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित।
- पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण से संबंधित मामलों के शीघ्र और प्रभावी निपटारे के लिए गठित।
- मुख्यालय और क्षेत्रीय पीठें:
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- क्षेत्रीय पीठें: भोपाल, पुणे, कोलकाता, चेन्नई
- संरचना: अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
- अध्यक्ष:
- सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश।
- कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु (जो पहले हो) तक।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श के बाद केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त।
- न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्य:
- 5 वर्ष के लिए नियुक्त, पुनर्नियुक्ति की अनुमति नहीं।
- चयन समिति द्वारा नियुक्त।
- सदस्य संख्या: न्यूनतम 10 और अधिकतम 20 सदस्य हो सकते हैं।