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संदर्भ:
घड़ियाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में मुरैना स्थित राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य में 10 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा। यह पहल घड़ियाल संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए की गई है।
मध्य प्रदेश में घड़ियाल संरक्षण से जुड़ी प्रमुख बातें:
- घड़ियालों का पुनर्वास:
- मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चंबल नदी में 9 नर और 1 मादा घड़ियाल छोड़े।
- इसका उद्देश्य राज्य में घड़ियालों की संख्या को और बढ़ाना है।
- घड़ियालों की संख्या में बदलाव:
- 2024 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2,456 घड़ियाल दर्ज किए गए।
- 1950-60 के दशक में घड़ियालों की संख्या 80% से अधिक घट गई थी।
- 1997 तक संरक्षण कार्यक्रमों से संख्या में सुधार हुआ, लेकिन 1997-2006 के बीच 58% की गिरावट आई।
- वयस्क घड़ियालों की संख्या 436 से घटकर 182 रह गई।
घड़ियाल: एक परिचय:
- वैज्ञानिक नाम: Gavialis gangeticus
- मुख्य विशेषताएँ:
- लंबी, पतली थूथन और आपस में फंसे हुए तेज दांत।
- नर घड़ियाल की थूथन के सिरे पर घड़े जैसी संरचना होती है, जिससे इसे “घड़ियाल” कहा जाता है।
- मुख्य रूप से मछलियों का शिकार करते हैं, जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहता है।
- धार्मिक महत्व: भारतीय पौराणिक कथाओं में इन्हें माँ गंगा का वाहन माना गया है।
- आवास और वितरण:
- ऐतिहासिक रूप से भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान की प्रमुख नदियों में पाए जाते थे।
- वर्तमान में इनकी मुख्य आबादी चंबल, गिरवा (भारत) और राप्ती–नारायणी (नेपाल) नदियों में केंद्रित है।
- प्रजनन और पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका:
- प्रजनन: नवंबर–जनवरी | अंडे देने का समय: मार्च–मई
- मृत जीवों को खाकर नदियों को स्वच्छ बनाए रखने में सहायक।
घड़ियालों के लिए खतरे:
- ऐतिहासिक खतरे: खाल, ट्रॉफी, अंडों और पारंपरिक दवाओं के लिए अत्यधिक शिकार।
- आधुनिक खतरे:
- आवास हानि: बाँध निर्माण, रेत खनन और नदी मार्गों में बदलाव।
- प्रदूषण: औद्योगिक और कृषि कचरा।
- मत्स्य पालन: जाल में फंसकर दुर्घटनावश मौतें।
संरक्षण स्थिति और प्रयास:
जनसंख्या प्रवृत्ति:
- 1950-60: 80% तक गिरावट, फिर 1997 तक धीमी वृद्धि।
- 1997-2006: संख्या 58% घटी (436 से 182 वयस्क)।
- 2024: राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (NCS) में 2,456 घड़ियाल दर्ज।
- म्यांमार और भूटान में विलुप्त, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में अनिश्चित संख्या।
भारत में संरक्षण प्रयास:
- कैप्टिव ब्रीडिंग (1975-1982): 16 प्रजनन केंद्रों से हजारों घड़ियाल छोड़े गए।
- पुनर्वास प्रयास: 2017-2020 के बीच सतलुज और ब्यास नदियों में छोड़े गए।
- मुख्य अभयारण्य: चंबल (मध्य प्रदेश), कतरनियाघाट (उत्तर प्रदेश), सोन नदी (मध्य प्रदेश), सतकोसिया गॉर्ज (ओडिशा)।
- खतरा नियंत्रण: अवैध रेत खनन पर प्रतिबंध, प्रदूषण पर निगरानी, सख्त मत्स्य पालन नियम।
- जनभागीदारी: स्थानीय समुदायों को जागरूक कर संरक्षण में शामिल किया गया।