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गिग वर्कर्स (Gig Workers) by Ankit Sir

Gig Workers

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संदर्भ:

हाल ही में कर्नाटक सरकार ने प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) अध्यादेश, 2025″ पारित किया है।

भारत में गिग वर्कर्स और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020-

परिभाषा (Section 2(35), Code on Social Security, 2020): गिग वर्कर वह व्यक्ति होता है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मी संबंध से बाहर किसी कार्य व्यवस्था में भाग लेकर उससे आय अर्जित करता है।

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2020 में श्रम संहिताओं की शुरुआत की गई, जिनमें Code on Social Security, 2020 भी शामिल है।
  • इसका उद्देश्य असंगठित और गिग श्रमिकों को कल्याणकारी लाभ प्रदान करना है।
  • इस कोड में platform workers की परिभाषा दी गई है और राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड (National Social Security Board) के गठन का प्रावधान है।

मुख्य प्रावधान (Code on Social Security, 2020):

  1. गिग वर्कर्स कल्याण बोर्ड का गठन: गिग वर्कर्स की समस्याओं और हितों की निगरानी के लिए एक राज्य स्तर का कल्याण बोर्ड बनाया जाएगा।
  2. प्लेटफॉर्म और श्रमिकों का पंजीकरण:
  • Zomato, Ola, Swiggy, Amazon जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को राज्य कल्याण बोर्ड में पंजीकृत होना अनिवार्य है।
  • सभी गिग वर्कर्स को एक विशिष्ट ID दी जाएगी।
  1. कल्याण योगदान (Welfare Contributions): प्लेटफॉर्म कंपनियों को अपने श्रमिकों को किए जाने वाले कुल भुगतान का 1% से 5% तक सामाजिक सुरक्षा निधि में जमा करना होगा।
  2. एल्गोरिदम का खुलासा: प्लेटफॉर्म को यह स्पष्ट करना होगा कि कार्य आवंटन, भुगतान, रेटिंग्स, और एक्सेस कैसे तय होता है ताकि भेदभाव न हो।
  3. लिखित अनुबंध: कंपनियों को श्रमिकों के साथ लिखित समझौता करना होगा, जिसमें आय, भुगतान का तरीका, और एक्सेस बंद करने की शर्तें स्पष्ट हों।
  4. शिकायत निवारण प्रणाली
  • दो-स्तरीय प्रणाली:
  • पहला स्तर: प्लेटफॉर्म के अंदर Internal Dispute Resolution Committee
  • दूसरा स्तर: राज्य Welfare Board
  1. ब्याज और दंड (Interest and Penalties):
  • कल्याण राशि में देरी पर 12% वार्षिक ब्याज लगाया जाएगा।
  • गैर-अनुपालन पर:
    • पहली बार: ₹5,000 तक का जुर्माना।
    • दूसरी बार: ₹1 लाख तक का जुर्माना।

गिग वर्कर्स को होने वाली प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. रोज़गार की अनिश्चितता और सामाजिक सुरक्षा की कमी: गिग वर्कर्स के पास स्थायी नौकरी नहीं होती और उन्हें बीमा, पेंशन, या चिकित्सा सुविधा जैसी सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध नहीं होती।
  2. कम वेतन और आय में असमानता: काम का भुगतान अस्थिर होता है और वेतन असमानता की समस्या बनी रहती है।
  3. एल्गोरिदम का नियंत्रण:
  • कार्य आवंटन, वेतन दर, प्रदर्शन मूल्यांकन और खाता निष्क्रियता एल्गोरिदम द्वारा तय होते हैं।
  • परंतु इनका तर्क (logic) श्रमिकों से छिपा रहता है, जिससे पारदर्शिता नहीं होती।
  1. अस्पष्ट कानूनी स्थिति: गिग वर्कर्स की स्पष्ट रोजगार स्थिति नहीं है, जिससे पारंपरिक श्रम कानून लागू करना मुश्किल हो जाता है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:

  1. सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020:
  • गिग वर्कर्स को स्वतंत्र श्रेणी के रूप में मान्यता देता है।
  • इन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ देने का लक्ष्य रखता है।
  1. श्रम पोर्टल (e-Shram Portal): असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस, जिसमें गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स भी शामिल हैं।
  2. केंद्रीय बजट 2025-26:
  • गिग वर्कर्स के लिए पहचान पत्र जारी करने, और
  • आयुष्मान भारत–प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के अंतर्गत स्वास्थ्य सुरक्षा देने का प्रावधान।
  • 4. राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स अधिनियम, 2023: भारत का पहला राज्य-स्तरीय कानून, जो विशेष रूप से गिग वर्कर्स के अधिकारों को संबोधित करता है।

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