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वैश्विक जलवायु सूचकांक में भारत दो स्थान नीचे गिरा

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वैश्विक जलवायु सूचकांक : भारत ने क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स (CCPI) 2025 में भले ही पिछले वर्ष की तुलना में दो स्थान नीचे गिरकर अपनी रैंकिंग में गिरावट देखी हो, लेकिन फिर भी उसने शीर्ष 10 देशों में अपनी स्थिति बरकरार रखी है।

वैश्विक जलवायु सूचकांक  रिपोर्ट के मुख्य बिंदु: भारत

  • रैंक: CCPI 2025 में 60 से अधिक देशों में से 10वां स्थान।
  • भारत के पर्यावरणीय प्रयासों को प्रमुखता से उजागर किया गया है।
  • प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयासों को सराहा गया है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के तेजी से अपनाने के लिए भारत के प्रयासों को भी सराहा गया है।
  • यह रिपोर्ट जर्मनवाच, न्यू क्लाइमेट इंस्टिट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित की जाती है।
  • रिपोर्ट 63 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का आकलन करती है।
  • ये 63 देश और EU मिलकर वैश्विक उत्सर्जन के 90% के लिए जिम्मेदार हैं।

वैश्विक रैंकिंग और रुझान: CCPI 2025:

  • CCPI 2025 में शीर्ष तीन स्थान खाली हैं क्योंकि कोई भी देश “बहुत उच्च” प्रदर्शन हासिल नहीं कर सका।
  • डेनमार्क (4वां), नीदरलैंड्स (5वां), और यूके (6वां) इंडेक्स में शीर्ष स्थान पर हैं।
  • ईरान (67वां), सऊदी अरब (66वां), यूएई (65वां), और रूस (64वां) सबसे निचले स्थान पर हैं, जो उनके तेल और गैस पर अत्यधिक निर्भरता के कारण हैं।
  • चीन (55वां) और अमेरिका (57वां) अभी भी सबसे बड़े उत्सर्जक हैं, लेकिन उनके जलवायु लक्ष्यों में पर्याप्तता की कमी है।
  • यूके ने कोयले के चरणबद्ध उन्मूलन और नए जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को रोकने की प्रतिबद्धताओं के कारण उल्लेखनीय वृद्धि की है।
  • यह इंडेक्स 63 देशों और यूरोपीय संघ (EU) द्वारा आंका गया है, जो मिलकर वैश्विक उत्सर्जन का 90% योगदान करते हैं, और यह महत्वपूर्ण जलवायु लक्ष्यों की ओर बढ़ने की दिशा में एक मापदंड है।
  • डेनमार्क की अगुवाई जीवाश्म ईंधन से हटने के लिए प्रगतिशील नीतियों को दर्शाती है।

भारत के प्रदर्शन के प्रमुख पहलू:

  • भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बहुत कम है (2.9 टन CO2e), जबकि वैश्विक औसत 6.6 टन CO2e है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में तेज़ प्रगति, जिसमें बड़े पैमाने पर सोलर प्रोजेक्ट्स और रूफटॉप सोलर स्कीम शामिल हैं।
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की तैनाती में प्रगति, विशेष रूप से दो पहिया वाहनों में।
  • ऊर्जा दक्षता मानकों में सुधार।

नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण के लिए अनुकूल

नवीकरणीय ऊर्जा की परिभाषा: नवीकरणीय ऊर्जा वह ऊर्जा है जो प्राकृतिक संसाधनों से मिलती है और कभी समाप्त नहीं होती। इसमें सौर, पवन, जल, बायोमास और भू-तापीय ऊर्जा शामिल हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा के प्रकार:

  • वायु ऊर्जा
  • सौर ऊर्जा
  • हाइड्रोपावर
  • बायोमास
  • जियोथर्मल

नवीकरणीय ऊर्जा का महत्त्व:

  1. पर्यावरण के लिए अनुकूल: कम या शून्य कार्बन उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग को कम करता है।
  2. स्थायी ऊर्जा स्रोत: कभी खत्म नहीं होती, जबकि जीवाश्म ईंधन सीमित हैं।
  3. रोज़गार सृजन: नए स्थिर रोजगार अवसर पैदा होते हैं, जैसे जर्मनी और ब्रिटेन में।
  4. वैश्विक ऊर्जा स्थिरता: कीमतों में स्थिरता लाती है।
  5. स्वास्थ्य में सुधार: स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव, क्योंकि यह प्रदूषण को कम करता है।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति

  • 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य: भारत ने संकल्प लिया है कि 2030 तक बिजली उत्पादन की 40% क्षमता स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से होगी।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि: 2023-24 में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 48 गीगावाट की रिकॉर्ड वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21% अधिक है।
  • बिजली उत्पादन: जलविद्युत को छोड़कर, जून 2024 में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 27 बिलियन यूनिट (बीयू) बिजली उत्पादन हुआ, जो जून 2023 के 21.86 बीयू से अधिक है।

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