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वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024

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हाल ही में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024 रिपोर्ट जारी की गई हैं।

वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII):

वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index – GII) एक वार्षिक रैंकिंग है, जो विभिन्न देशों की नवाचार क्षमता और प्रदर्शन का आकलन करती है। इसे कॉर्नेल विश्वविद्यालय, INSEAD बिजनेस स्कूल, और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा अन्य संस्थानों और संगठनों के साथ साझेदारी में प्रकाशित किया जाता है। यह सूचकांक कई अंतरराष्ट्रीय स्रोतों, जैसे अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU), से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करता है, जो वस्तुनिष्ठ और व्यक्तिपरक दोनों प्रकार की जानकारी पर आधारित होते हैं।

GII का उद्देश्य और महत्व:

  • यह सूचकांक 2007 में शुरू किया गया था और इसका प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न देशों की नवाचार क्षमता की तुलना करना है।
  • GII का उपयोग कॉर्पोरेट और सरकारी अधिकारियों द्वारा यह समझने के लिए किया जाता है कि किस देश में नवाचार की कितनी संभावनाएं और संसाधन हैं।
  • इस रैंकिंग के जरिये देश अपनी नवाचार नीतियों को बेहतर बनाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपने स्थान का आकलन करने का प्रयास करते हैं।

वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024:

  • प्रकाशक: WIPO, कॉर्नेल विश्वविद्यालय, और INSEAD बिजनेस स्कूल द्वारा सह-प्रकाशित।
  • मानदंड: नवाचार मापने के मानदंडों में संस्थान, मानव पूंजी और अनुसंधान, बुनियादी ढांचा, ऋण, निवेश, संपर्क, ज्ञान का सृजन, अवशोषण और प्रसार, और रचनात्मक आउटपुट शामिल हैं।
  • विषय: 2024 का विषय “सामाजिक उद्यमिता के बढ़ते महत्व” पर केंद्रित है, जो सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने के लिए नवाचारी संगठनात्मक मॉडल विकसित करने और लागू करने की प्रक्रिया को रेखांकित करता है।

मुख्य निष्कर्ष:

  1. शीर्ष स्थान पर देश:
    • स्विट्जरलैंड ने अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है।
    • इसके बाद स्वीडन, अमेरिका, और सिंगापुर का स्थान है।
  2. भारत की स्थिति:
    • भारत 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 39वें स्थान पर पहुंच गया है (2023 में 40वें स्थान से सुधार)।
    • भारत निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं और मध्य तथा दक्षिणी एशिया क्षेत्र में प्रथम स्थान पर है।
    • भारत की ताकत प्रमुख संकेतकों जैसे आईसीटी सेवा निर्यात, उद्यम पूंजी प्राप्ति, और अमूर्त परिसंपत्ति तीव्रता में निहित है।

सामाजिक उद्यमिता:

  • सामाजिक उद्यमिता सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवीन मॉडल विकसित करती है, जो लाभ को प्राथमिक उद्देश्य न मानते हुए कार्य करती है।
  • आर्थिक योगदान: वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर का योगदान।
  • रोजगार सृजन: अनुमान है कि 10-11 मिलियन सामाजिक उद्यम और लगभग 30 मिलियन सामाजिक उद्यमी लाखों लोगों को स्थायी आजीविका प्रदान करते हैं।
  • यह गरीबी, पर्यावरणीय विनाश, और नस्लीय एवं सामाजिक अन्याय जैसी समस्याओं से निपटने में सहायक है।

WIPO के बारे में:

  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • उत्पत्ति: WIPO संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जो 1967 में स्थापित हुई थी।
  • उद्देश्य: संतुलित और सुलभ अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रणाली विकसित करना, जो रचनात्मकता को पुरस्कृत करे, नवाचार को प्रोत्साहित करे और आर्थिक विकास में योगदान दे।
  • सदस्यता: 193 सदस्य (भारत 1975 से सदस्य है)।
  • प्रमुख संधियाँ:
    1. औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए पेरिस कन्वेंशन (1998)
    2. साहित्यिक और कलात्मक कार्यों के संरक्षण के लिए बर्न कन्वेंशन (1928)
    3. पेटेंट सहयोग संधि (1998)

यह रिपोर्ट वैश्विक नवाचार की स्थिति को समझने और नवाचार आधारित सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होती है।

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