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वैश्विक प्लास्टिक संधि

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दक्षिण कोरिया के बुसान में संयुक्त राष्ट्र (UN) की 5वीं अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC-5) की बैठक में वैश्विक प्लास्टिक संधि पर आम सहमति नहीं बन सकी। यह पहल 2022 की संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के उस समझौते के तहत शुरू हुई थी, जिसमें 2024 के अंत तक संधि को अंतिम रूप देने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन बातचीत से कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका।

प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की पृष्ठभूमि

  1. प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने का प्रस्ताव:
    • साल: 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया।
  2. अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC) की स्थापना:
    • उद्देश्य: एक कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि तैयार करना।
    • कार्य:
      • प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग और निपटान को नियंत्रित करना।
      • सभी देशों के लिए नियम तय करना।
  3. वैश्विक प्लास्टिक संधि:
    • समझौता: 2022 में 175 देशों ने सहमति व्यक्त की।
    • लक्ष्य:
      • 2024 तक प्लास्टिक प्रदूषण पर एक कानूनी संधि तैयार करना।
      • प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और निपटान से होने वाले ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करना।

वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता क्यों विफल रही?

स्थान: दक्षिण कोरिया के बुसान में 5वीं अंतरसरकारी वार्ता समिति (INC-5) बैठक।
मुख्य कारण:

  1. प्लास्टिक उत्पादन पर सीमा निर्धारण:
    • विवाद का कारण:
      • विरोध: सऊदी अरब और भारत जैसे देश, जिनकी अर्थव्यवस्था पेट्रोकेमिकल और प्लास्टिक उत्पादन पर निर्भर है, प्लास्टिक उत्पादन सीमित करने के खिलाफ हैं।
      • समर्थन: नॉर्वे, रवांडा और यूरोपीय संघ जैसे 66 देशों का समूह उत्पादन पर सीमा तय करने की मांग कर रहा है।
  2. विकास संबंधी चिंताएँ:
    • भारत की स्थिति:
      • भारत का मानना है कि प्लास्टिक उत्पादन पर किसी भी तरह की सीमा उसके विकास के अधिकार को प्रभावित करेगी।
      • भारत के अनुसार, कोई भी संधि राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को कमजोर नहीं करनी चाहिए।
  3. अनुचित लक्ष्य:
    • प्रस्तावित लक्ष्य:
      • 2040 तक सिंगलयूज प्लास्टिक खत्म करना।
      • खतरनाक रसायनों पर प्रतिबंध: जैसे DEHP, DBP, BBP और DIBP।
      • भारत ने इन्हें अस्वीकार करते हुए कहा कि ये राष्ट्रीय विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
    • संधि की सीमाओं पर असहमति:
      • समग्र दृष्टिकोण: कुछ देश प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र (उत्पादन, खपत, कचरा प्रबंधन और पर्यावरणीय प्रभाव) को शामिल करना चाहते थे।
    • विरोध: कुवैत जैसे देशों ने इसे व्यापार प्रतिबंध और आर्थिक एजेंडे का बहाना करार दिया और केवल प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की मांग की।
  4. पर्यावरणीय चेतावनी:
    • UNEP ने तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
    • प्लास्टिक कचरे से महासागर और पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर खतरे में हैं।
    • चेतावनी: वार्ता लंबी खिंचने से पर्यावरण को अप्रत्यक्ष नुकसान हो सकता है।

वैश्विक प्लास्टिक संधि की आवश्यकता

  1. प्लास्टिक पर बढ़ती निर्भरता:
    • 2000 में 234 मिलियन टन से 2019 में 460 मिलियन टन प्लास्टिक उत्पादन।
    • 2040 तक 700 मिलियन टन होने का अनुमान।
  2. पर्यावरणीय संकट: प्लास्टिक के विघटन में 20-500 साल लगते हैं।
    • केवल 10% प्लास्टिक रिसाइकल होता है, शेष कचरा महासागरों में जाता है।
  3. स्वास्थ्य पर प्रभाव: प्लास्टिक में रसायन कैंसर, मधुमेह, प्रजनन और तंत्रिका संबंधी विकार उत्पन्न कर सकते हैं।
  4. जलवायु परिवर्तन: 2020 में वैश्विक उत्सर्जन का 6% प्लास्टिक से।
    • 2050 तक यह 20% तक बढ़ सकता है।
  5. भारत का योगदान:
    • भारत 3 मिलियन टन वार्षिक प्लास्टिक उत्सर्जन के साथ सबसे बड़ा प्रदूषक है।
    • चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया से भी आगे।

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