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गोलान हाइट्स

चर्चा में क्यों?

इजरायल के प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि उनकी सेना ने गोलान हाइट्स में एक निरस्त्रीकृत बफर ज़ोन पर अस्थायी रूप से नियंत्रण कर लिया है। उन्होंने कहा कि 1974 में सीरिया के साथ हुआ विघटन समझौता सीरिया में विद्रोहियों के नियंत्रण के कारण “विफल” हो चुका है।

गोलान हाइट्स के बारे में:

गोलान हाइट्स दक्षिण-पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पथरीला पठार है, जो दमिश्क से लगभग 60 किलोमीटर (40 मील) दक्षिण में है। यह क्षेत्र अपनी रणनीतिक स्थिति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

गोलान हाइट्स

भौगोलिक विशेषताएँ

  • सीमाएँ:
    • पश्चिम में यह जॉर्डन नदी और गलील सागर से घिरा है।
    • उत्तर में माउंट हर्मन इसकी सीमा निर्धारित करता है।
    • पूर्व में मौसमी वाडी अल-रुकद नदी इसे घेरती है।
    • दक्षिण में यरमूक नदी इसकी सीमा बनाती है।

गोलान हाइट्स

  • आकार और क्षेत्रफल:
    • गोलान हाइट्स लगभग नाव के आकार का है।
    • इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण तक लगभग 71 किलोमीटर (44 मील) और चौड़ाई पूर्व से पश्चिम तक लगभग 43 किलोमीटर (27 मील) है।
    • इसका कुल क्षेत्रफल 1,150 वर्ग किलोमीटर है।

इतिहास और रणनीतिक महत्व:

  1. छहदिवसीय युद्ध (1967):
    • इजराइल ने 1967 में सीरिया के साथ हुए छह-दिवसीय युद्ध के दौरान गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया।
    • युद्ध के बाद, इलाके में रहने वाले अधिकांश सीरियाई अरब लोग अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।
  2. मध्य पूर्व युद्ध (1973):
    • सीरिया ने 1973 के युद्ध के दौरान गोलान हाइट्स को पुनः प्राप्त करने की कोशिश की।
    • हालांकि, सीरियाई सेना ने इजराइल को गंभीर क्षति पहुंचाई, लेकिन यह क्षेत्र वापस हासिल नहीं कर पाई।
  3. युद्धविराम और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका (1974):
    • 1974 में, दोनों देशों ने एक युद्धविराम समझौता किया और संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल (UNDOF) को तैनात किया गया।
    • यह बल आज भी युद्धविराम रेखा की निगरानी कर रहा है।
  4. इजराइल का विलय (1981):
    • इजराइल ने 1981 में गोलान हाइट्स को अपने क्षेत्र में शामिल करने की एकतरफा घोषणा की।
    • हालांकि, इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इसे अवैध घोषित किया।

वर्तमान स्थिति:

  1. यहूदी बस्तियाँ:
    • गोलान हाइट्स में इजराइल ने 30 से अधिक यहूदी बस्तियाँ बनाई हैं, जिनमें लगभग 20,000 यहूदी निवास करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में लगभग 20,000 सीरियाई लोग भी रहते हैं, जिनमें अधिकांश ड्रूज़ समुदाय से हैं।
  2. भूराजनीतिक विवाद:
    • अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, गोलान हाइट्स को सीरिया का हिस्सा मानता है।
    • 2019 में, अमेरिका ने इसे इजराइल का हिस्सा मान्यता दी, लेकिन अधिकांश देश इस कदम का समर्थन नहीं करते।

शांति वार्ताओं का इतिहास:

  1. 1999-2000 की वार्ता:
    • अमेरिका ने इजराइल और सीरिया के बीच शांति वार्ता का आयोजन किया।
    • इजराइल के प्रधानमंत्री एहुद बराक ने सीरिया को गोलान हाइट्स का अधिकांश हिस्सा लौटाने की पेशकश की।
    • सीरिया ने पूरे क्षेत्र की वापसी की मांग की, जिसमें सी ऑफ गैलीली का पूर्वी छोर भी शामिल था।
    • चूंकि यह हिस्सा इजराइल के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत है, इजराइल  ने यह मांग ठुकरा दी, जिससे वार्ता विफल हो गई।
  2. 2003 की पहल:
    • सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने इजराइल के साथ शांति वार्ता फिर से शुरू करने की इच्छा जताई।
    • लेकिन इन प्रस्तावों पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
  3. 2008 की अप्रत्यक्ष वार्ता:
    • तुर्की की मध्यस्थता से इजराइल और सीरिया के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता शुरू हुई।
    • लेकिन इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट के भ्रष्टाचार मामले के कारण यह प्रक्रिया रुक गई।
  4. बिन्यामिन नेतन्याहू का सख्त रुख (2009):
    • फरवरी 2009 में नेतन्याहू सरकार ने गोलान हाइट्स पर कड़ा रुख अपनाया।
    • सीरियाई नेताओं ने जून 2009 में आरोप लगाया कि इजराइल वार्ता के लिए तैयार नहीं है।
  5. बराक ओबामा का प्रयास (2009):
    • 2009 में अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद बराक ओबामा ने इजराइल और सीरिया के बीच बातचीत शुरू करना अपनी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बताया।
    • लेकिन 2011 में सीरिया में गृह युद्ध शुरू होने के कारण वार्ता के हालात बिगड़ गए।
  6. 2013 की घटना: 2013 में सीरियाई विद्रोहियों ने युद्धविराम रेखा पर गोलीबारी की। इजराइल ने इसका जवाब दिया, जिससे संघर्ष और बढ़ गया।

गोलान हाइट्स में संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था-:

गोलान हाइट्स में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक विशेष व्यवस्था स्थापित की है:

  1. संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल (UNDOF):
    • UNDOF (United Nations Disengagement Observer Force) को गोलान हाइट्स में शिविरों और पर्यवेक्षण चौकियों पर तैनात किया गया है।
    • 1974 से संयुक्त राष्ट्र के शांति बल वहां तैनात हैं।
    • यह बल क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।
  2. संयुक्त राष्ट्र संघर्ष पर्यवेक्षण संगठन (UNTSO): UNDOF को संयुक्त राष्ट्र संघर्ष पर्यवेक्षण संगठन (UNTSO) के सैन्य पर्यवेक्षकों का समर्थन प्राप्त है।
  3. विभाजन क्षेत्र (Area of Separation):
    • इजराइल और सीरिया की सेनाओं के बीच 400 वर्ग किलोमीटर का “विभाजन क्षेत्र” है।
    • इसे एक निरस्त्रीकृत क्षेत्र माना जाता है, जहां दोनों देशों की सेनाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है।
  4. 1974 का “विभाजन समझौता”:
    • इस समझौते के तहत दो अलग-अलग विभाजन रेखाएं बनाई गईं:
      • अल्फा लाइन: विभाजन क्षेत्र के पश्चिम में, इसराइली सेना केवल इस लाइन के पीछे तैनात हो सकती है।
      • ब्रावो लाइन: विभाजन क्षेत्र के पूर्व में, सीरियाई सेना केवल इस लाइन के पीछे तैनात हो सकती है।
  5. सीमित क्षेत्र (Area of Limitation):
    • विभाजन क्षेत्र से 25 किलोमीटर दूर दोनों दिशाओं में एक “सीमित क्षेत्र” है।
    • इस क्षेत्र में सैनिकों की संख्या और हथियारों के प्रकार पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  6. सीमा पार बिंदु:
    • इजराइल और सीरिया के बीच एकमात्र सीमा पार बिंदु है।
    • 2011 में सीरियाई गृह युद्ध शुरू होने से पहले, इसे मुख्य रूप से संयुक्त राष्ट्र बलों, कुछ ड्रूज नागरिकों, और कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए उपयोग किया जाता था।
  •  

गोलान हाइट्स पर दावे के कारण (रणनीतिक और आर्थिक महत्व):

गोलान हाइट्स एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और इसके भूगोल, आर्थिक संसाधनों और सुरक्षा कारणों से इजराइल  और सीरिया दोनों इस पर दावा करते हैं:

  1. जल संसाधनों की प्रचुरता:
    • गोलान हाइट्स जल संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें जॉर्डन नदी और सी ऑफ गैलीली शामिल हैं, जो कृषि, पेयजल और अन्य आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • गोलान में होने वाली बारिश का पानी जॉर्डन की नदी में जाकर मिल जाता है. ये इजराइल की एक तिहाई पानी की ज़रूरत पूरा करता है.
  2. सैन्य दृष्टि: अपनी ऊंचाई और भौगोलिक स्थिति के कारण, यह क्षेत्र सैन्य दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  3. उपजाऊ भूमि: यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से उपजाऊ है और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे इसका आर्थिक महत्व बढ़ जाता है।
  4. सुरक्षा के लिए बफर ज़ोन: इजराइल के लिए, यह क्षेत्र सीरिया में चल रहे गृह युद्ध और अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करने वाला एक बफर ज़ोन है।
  5. ईरान की भूमिका: इजराइल को आशंका है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थक ईरान इस क्षेत्र में स्थायी सैन्य उपस्थिति स्थापित कर इजराइल पर हमले की योजना बना सकता है।
  6. सीरिया का दावा: सीरिया गोलान हाइट्स के इजराइल के कब्जे वाले हिस्से को एक “अधिकार-क्षेत्र” मानता है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वापस मांगता है। 

गोलान हाइट्स की अंतरराष्ट्रीय मान्यता:

  • अमेरिकी: 2019 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गोलान हाइट्स को इजराइल की संप्रभुता को मान्यता दी।
  • यूरोपीय संघ: गोलान हाइट्स के स्थिति पर उसकी स्थिति अपरिवर्तित रही है और उसने इस क्षेत्र पर इजराइल की संप्रभुता को मान्यता नहीं दी है।
  • अरब लीग: जो 2011 में सीरिया को अपने सदस्यता से निलंबित कर दिया था, उसने इस निर्णय को “अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्ण विपरीत” करार दिया।
  • मिस्र: जिसने 1979 में इजराइल के साथ शांति समझौता किया था, ने कहा कि वह गोलान हाइट्स को अभी भी कब्जे वाले सीरियाई क्षेत्र के रूप में मानता है।
  • भारत: भारत ने भी गोलान हाइट्स को इजराइल का क्षेत्र नहीं माना है और इसे सीरिया को वापस लौटाने की मांग की है।

वर्तमान स्थिति:

इजराइल  की सेना ने गोलान हाइट्स में स्थित एक निरस्त्रीकृत बफर ज़ोन पर अस्थायी रूप से नियंत्रण स्थापित कर लिया है।

  • सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के सत्ता खोने के बाद विद्रोहियों ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया, जिससे गोलान हाइट्स में रह रहे इसराइली नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए, इजराइल ने बफर ज़ोन पर अपना नियंत्रण स्थापित किया है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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