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Government Proposes New Rules for AC Temperature Settings

सामान्य अध्ययन पेपर III: ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने बताया है कि आने वाले समय में घरों, दफ्तरों और अन्य स्थलों पर AC का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं रखा जाएगा। यह निर्णय ऊर्जा संरक्षण को नियंत्रित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

AC तापमान के लिए नए नियम

  • सरकार एक नया नियम लाने की तैयारी में है, जिसमें नए एयर कंडीशनर 20°C से कम तापमान पर काम नहीं करेंगे।
  • यदि कोई उपभोक्ता नया AC खरीदता है, तो वह उसे 16 या 18 डिग्री पर नहीं चला पाएगा। तापमान केवल 20 से 28 डिग्री के बीच रखा जा सकेगा।
  • सरकार AC निर्माण कंपनियों के साथ मिलकर तापमान नियंत्रण की नई तकनीक पर काम कर रही है। 
    • इसमें AC के सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि वह 20 डिग्री से नीचे कूलिंग ही न कर सकें। 
  • सरकार इसे वाहनों में लगे एयर कंडीशनरों पर भी लागू करने की योजना बना रही है।

विशेष: वर्तमान में AC के तापमान को लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) लंबे समय से सुझाव देता आ रहा है कि AC को 24 डिग्री पर चलाना ऊर्जा की दृष्टि से सबसे बेहतर है।

(Government Proposes New Rules for AC Temperature Settings) सरकार ने AC तापमान को नियंत्रित करने का नियम क्यों बनाया?
  • बिजली की बढ़ती खपत: भारत में इस साल गर्मियों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, जिससे बिजली की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई। जून 2025 में एक दिन की पीक डिमांड 241 गीगावॉट तक पहुंच गई, जो अब तक की सबसे ऊंची थी। यह मांग आगामी दिनों में 270 गीगावॉट तक पहुंच सकती है। इस बढ़ती हुई मांग का सबसे बड़ा कारण है कि AC और अन्य कूलिंग उपकरणों का अत्यधिक प्रयोग बड़ी मात्रा में हो रहा है।
  • पावर ग्रिड पर दबाव: जब AC को बहुत कम तापमान पर चलाया जाता है, तो उसका कंप्रेसर ज्यादा समय तक चालू रहता है, जिससे बिजली की खपत तेजी से बढ़ती है। तापमान को हर 1 डिग्री बढ़ाने पर बिजली की खपत में लगभग 6% तक की बचत होती है।
      • तेज़ी से बढ़ती बिजली मांग का सीधा असर राष्ट्रीय पावर ग्रिड पर होता है। अगर यह मांग एक तय सीमा से ऊपर चली जाए तो ब्लैकआउट, ट्रिपिंग और लोड शेडिंग जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
    • राष्ट्रीय लाभ: अगर पूरे देश में एसी का तापमान सीमित करने का नियम अपनाया जाए, तो भारत हर साल करीब 20 अरब यूनिट बिजली की बचत कर सकता है, जो ऊर्जा संकट को काफी हद तक कम कर सकता है।
    • स्वास्थ्य पर असर: 18 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर लंबे समय तक रहना बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में ब्लड प्रेशर, अस्थमा और सांस की बीमारियों को जन्म दे सकता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: भारत जैसे देश में जहां अभी भी बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पादन कोयले और पारंपरिक संसाधनों पर निर्भर है, वहां AC के तापमान को नियंत्रित करना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नियंत्रण किया जा सकेगा, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी सीमित करने में सहायक होगा।

AC तापमान नियंत्रण से होने वाले फायदे

  • उपभोक्ताओं को वित्तीय राहत: सरकार के अनुसार अगले तीन वर्षों में यह नीति देशभर के लाखों घरों और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के लिए करीब ₹18,000 से ₹20,000 करोड़ की सीधी बचत सुनिश्चित कर सकती है। जब AC को 20°C से 28°C के बीच सीमित किया जाएगा, तो न केवल बिजली कम खर्च होगी, बल्कि इससे बिजली बिल में औसतन 15–20% की कटौती देखी जा सकती है। 
  • ऊर्जा संकट का स्थायी समाधान: भारत के शहरी क्षेत्रों में लगभग 6 करोड़ घरों और 12 लाख वाणिज्यिक भवनों में AC का उपयोग होता है। यदि ये सभी उपभोक्ता 22°C से 24°C के बीच तापमान सेट करें, तो हर वर्ष 12–15 बिलियन यूनिट बिजली बचाई जा सकती है। इससे न केवल ऊर्जा संसाधनों पर निर्भरता घटेगी, बल्कि देश को 4–5 कोयला आधारित बिजलीघरों की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। 
  • ग्रिड दबाव में कमी: AC की अधिक खपत पीक आवर्स में पावर ग्रिड पर भारी दबाव डालती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत में तापमान सीमित करने का नियम लागू होता है, तो 2035 तक 60 गीगावॉट की पीक बिजली मांग में कमी आ सकती है। इससे न केवल बिजली ग्रिड पर दबाव कम होगा, बल्कि लोड शेडिंग की घटनाएं भी घटेंगी।
  • हरित भारत की दिशा में पहल: तापमान मानकीकरण के ज़रिए कार्बन फुटप्रिंट में उल्लेखनीय कमी लाना संभव है। इस नीति से भारत की अंतरराष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं को भी बल मिलेगा और यह हरित ऊर्जा संक्रमण को समर्थन देगा। साथ ही, यह नीति सस्टेनेबल कंजम्पशन की भावना को बढ़ावा देती है।
  • स्मार्ट उत्पादों को बढ़ावा: आने वाले समय में ऐसे स्मार्ट AC बाजार में आएंगे जो ऊर्जा खपत को खुद मॉनिटर करेंगे, मौसम के अनुसार तापमान एडजस्ट करेंगे, और यूज़र फ्रेंडली फीचर्स के साथ बिजली की बचत करेंगे। इससे उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव के साथ कम खपत वाले उत्पाद मिलेंगे। 

विश्व के विभिन्न देशों में AC तापमान नियंत्रण के नियम

  • इटली: इटली ने “ऑपरेशन थर्मोस्टेट” के तहत यह तय किया है कि सार्वजनिक इमारतों में एसी का तापमान कम से कम 27 डिग्री सेल्सियस पर सेट होना चाहिए। मॉल, एयरपोर्ट, और स्टेशन जैसे स्थानों पर इस नियम का सख्ती से पालन किया जाता है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है। 
  • स्पेन: स्पेन में गर्मियों में पब्लिक जगहों पर एसी को 27 डिग्री या उससे अधिक पर चलाना अनिवार्य है, जबकि सर्दियों में तापमान को 19 डिग्री से ऊपर नहीं ले जाया जा सकता। हालांकि घरों में यह नियम बाध्यकारी नहीं है, पर सरकार लोगों को सलाह देती है कि वे भी इस प्रणाली को अपनाएं। 
  • जापान: जापान ने तापमान को अनिवार्य रूप से तय नहीं किया है, लेकिन सरकार ने “कूल बिज़” अभियान चलाकर नागरिकों को 28 डिग्री पर एसी चलाने की सलाह दी है। यह एक ऐसा मॉडल है जिसमें कानून से ज़्यादा सामाजिक सहयोग और नागरिक चेतना पर ज़ोर दिया गया है। 
  • चीन: चीन में पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की है कि गर्मी में एसी 26 डिग्री से कम पर ना चलाया जाए, जबकि सर्दियों में यह 20 डिग्री से ज्यादा न हो। यह नीति एक वैज्ञानिक सोच के आधार पर बनाई गई गाइडलाइन है।
  • सिंगापुर: सिंगापुर में ‘Go 25’ अभियान के माध्यम से घरों और कार्यालयों में 25 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान पर एसी चलाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह पहल केवल बिजली की बचत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य दीर्घकालिक जलवायु संरक्षण को भी साधना है। 

एयर कंडीशनर (AC)

    • AC का काम कमरे के अंदर की गर्मी और नमी को बाहर निकालना है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है जब तक कमरे का तापमान तय सीमा तक नहीं पहुंच जाता।
    • हर AC में कुछ प्रमुख हिस्से होते हैं – कंप्रेसर, कंडेंसर कॉइल और एवैपोरेटर कॉइल। 
    • AC में एक खास रसायन (रेफ्रिजरेंट) होता है, जो गैस और लिक्विड में बदलते हुए तापमान को नियंत्रित करता है।
  • कूलिंग की पाँच मुख्य चरण
  • कंप्रेसर रेफ्रिजरेंट को दबाकर उसकी गर्मी और दबाव बढ़ाता है
  • गर्म गैस कंडेंसर में जाकर ठंडी होकर लिक्विड बनती है।
  • यह लिक्विड अब अंदर आता है और एवैपोरेटर में पहुंचकर फिर गैस में बदलते हुए ठंडा होता है।
  • इस दौरान भीतर की हवा एवैपोरेटर से गुजरती है, जिससे उसकी गर्मी रेफ्रिजरेंट में चली जाती है।
  • ठंडी हवा कमरे में वापस भेजी जाती है, और गर्म गैस फिर से बाहर जाकर प्रक्रिया दोहराती है।
  • AC का थर्मोस्टैट तापमान का पता लगाकर सिस्टम को शुरू या बंद करता है। 
  • घरों में स्प्लिट सिस्टम, पैकेज्ड यूनिट और डक्टलेस AC जैसे विकल्प मिलते हैं।

 

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