GRAIL Mission
संदर्भ:
नासा के GRAIL मिशन (Gravity Recovery And Interior Laboratory) ने चंद्रमा की समीपवर्ती सतह (nearside) और दूरवर्ती सतह के बीच महत्वपूर्ण भौगोलिक और संरचनात्मक अंतर उजागर किए हैं। यह खोज चंद्रमा की आंतरिक संरचना और विकास को समझने में एक अहम कदम मानी जा रही है।
(GRAIL Mission) चंद्रमा के आंतरिक संरचना से जुड़े प्रमुख निष्कर्ष:
विषम आंतरिक संरचना:
- ग्रहिकीय आंकड़े (GRAIL) से खुलासा: चंद्रमा का आंतरिक ढांचा समान नहीं है।
- पृथ्वी की ओर का भाग (Nearside): गर्म और भूगर्भीय रूप से सक्रिय मेंटल, जो विपरीत भाग (Farside) की तुलना में अधिक गतिशील है।
ज्वारीय विकृति (Tidal Deformation):
- पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव: चंद्रमा में ज्वारीय विकृति होती है।
- पृथ्वी की ओर का भाग: अधिक लचीला और गर्म मेंटल, जो थर्मल विषमता का समर्थन करता है।
ज्वालामुखीय उत्पत्ति और सतही भिन्नताएं:
- प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधि: पृथ्वी की ओर वाले भाग पर तीव्र ज्वालामुखीय गतिविधि से रेडियोधर्मी और गर्मी उत्पन्न करने वाले तत्वों (जैसे थोरियम और टाइटेनियम) का संचय।
- भू–आकृतिक अंतर: इससे नेअर्साइड पर विस्तृत मारे मैदान बने, जो विपरीत भाग के बीहड़ उच्चभूमि से भिन्न हैं।
उन्नत गुरुत्वाकर्षण मानचित्र:
- जीआरएआईएल मिशन:
- अब तक का सबसे विस्तृत गुरुत्वाकर्षण मानचित्र प्रदान किया।
- भविष्य की योजनाएं:
- आगामी चंद्र मिशनों के विकास में सहायक।