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ग्रेट निकोबार परियोजना (Great Nicobar Project) | Ankit Avasthi Sir

Great Nicobar Project

Great Nicobar Project

संदर्भ:

केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए दी गई पर्यावरणीय मंजूरी की समीक्षा हेतु गठित हाई-पावर्ड कमेटी (HPC) की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंप दिया है।
इसके साथ ही मंत्रालय ने एक अतिरिक्त हलफनामा भी दायर किया, जिसमें बताया गया है कि मार्च 2025 के अंत तक ₹80 करोड़ की राशि वन्यजीव संरक्षण और स्वास्थ्य सेवा संबंधी कार्यों के लिए जारी कर दी गई है — जैसा कि पर्यावरण मंजूरी की शर्तों में अनिवार्य किया गया था।

Great Nicobar Project: प्रमुख जानकारी
  • Great Nicobar Project एक दीर्घकालिक, बहु-क्षेत्रीय अवसंरचना (infrastructure) परियोजना है, जिसका उद्देश्य ग्रेट निकोबार द्वीप का समन्वित विकास करना है।
  • इस परियोजना में शामिल हैं:
    • अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल
    • सिविल व सैन्य हवाई अड्डा (dual-use airport)
    • नया टाउनशिप
    • 450 MVA क्षमता वाला गैस और सौर-आधारित पावर प्लांट
  • परियोजना को Andaman and Nicobar Islands Integrated Development Corporation Limited (ANIIDCO) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।

परियोजना की आवश्यकता:

  • रणनीतिक स्थिति: इंदिरा प्वाइंट, भारत का अंतिम दक्षिणी छोर, केवल 25–40 किमी दूर है प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट्स से — जहां 20–25% वैश्विक व्यापार और 35% तेल परिवहन होता है।
  • विदेशी निर्भरता में कमी: भारत के 75% से अधिक ट्रांसशिप्ड कार्गो वर्तमान में कोलंबो, सिंगापुर और क्लांग जैसे विदेशी बंदरगाहों से होकर जाते हैं। यह परियोजना भारत को ट्रांसशिपमेंट हब बना सकती है।
  • सैन्य रणनीतिकता: भारतीय नौसेना की उपस्थिति को बढ़ाना, खासतौर पर चीन की String of Pearls” नीति के जवाब में, जिसके तहत वह भारत के आसपास बंदरगाह बना रहा है।
  • कनेक्टिविटी में सुधार:
    • वर्तमान में ग्रेट निकोबार की मुख्य पहुंच जहाज और हेलिकॉप्टर के माध्यम से है।
    • प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट से भारतीय मुख्यभूमि और अंतरराष्ट्रीय शहरों से संपर्क बेहतर होगा।
  • सतत पर्यटन को बढ़ावा: द्वीप की जैव विविधता, उष्णकटिबंधीय पर्या

ग्रेट निकोबार परियोजना: चिंताएं

  1. पर्यावरणीय क्षरण
    • 13,000 हेक्टेयर जंगल और 10 लाख पेड़ों की कटाई से जैव विविधता को खतरा।
    • मैन्ग्रोव नष्ट होने का खतरा।
    • लेदरबैक टर्टल और निकोबार मेगापोड जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों के आवास प्रभावित।
    • कृत्रिम रोशनी से कछुओं की प्रजनन प्रक्रिया में बाधा।
  2. जनजातीय प्रभाव
    • शोम्पेन और निकोबारी जैसे PVTGs की भूमि पर परियोजना।
    • जनजातीय परिषद ने 2022 में NOC वापस ली — परामर्श की कमी का आरोप।
    • बाहरी संपर्क से शोम्पेन जनजाति की स्वास्थ्य संस्कृति पर खतरा।
  3. भूकंपीय जोखिम
    • द्वीप उच्च भूकंपीय क्षेत्र में स्थित।
    • 2004 में भारी भूमि धँसाव, भविष्य में भूकंप-सूनामी का खतरा।

कानूनी मुद्दे

  • क्षेत्र CRZ-1A में आता है — संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र।
  • पर्यावरणीय सुरक्षा मानकों की अनदेखी का आरोप।

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