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भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) ने H2Global Stiftung के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- हरित हाइड्रोजन का उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन पहल को बढ़ावा देना है और बाजार आधारित तंत्र पर ज्ञान का आदान-प्रदान करना। इसके साथ ही भारत और आयातक देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है, ताकि वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में योगदान किया जा सके।
समझौता के मुख्य बिंदु:
लक्ष्य:
- बाजार आधारित तंत्र पर ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ाना।
- भारत और आयातक देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
- ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में योगदान देना।
यह सहयोग भारत को संयुक्त निविदाओं (joint tenders) की संरचना का अवसर प्रदान करता है, जो भारत के ग्रीन हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्न (derivatives) का निर्यात केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा के अनुरूप है।
भारत ने 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता और 2070 तक नेट-जीरो का लक्ष्य घोषित किया है। ग्रीन हाइड्रोजन इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
हाइड्रोजन तत्व:
- हाइड्रोजन रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक H और परमाणु संख्या 1 है।
- यह सबसे हल्का तत्व है और ब्रह्मांड में सबसे अधिक पाया जाने वाला रासायनिक पदार्थ है, जो सामान्य पदार्थ का लगभग 75% बनाता है।
- हाइड्रोजन रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, गैर विषैले और अत्यधिक ज्वलनशील गैस है।
हाइड्रोजन का निष्कर्षण:
- हाइड्रोजन अन्य तत्वों के साथ मिलकर पाया जाता है।
- ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिए इसे प्राकृतिक यौगिकों जैसे पानी से निकाला जाता है (पानी में दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु होते हैं)।
- ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे पवन, सौर, या जल-विद्युत) का उपयोग करके, इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।
- इलेक्ट्रोलिसिस में पानी (H2O) को हाइड्रोजन (H2) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित करने के लिए विद्युत धारा का उपयोग किया जाता है। जब यह बिजली नवीकरणीय स्रोतों से आती है, तो हाइड्रोजन को “ग्रीन” माना जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया का पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव होता है।
भारत की हरित हाइड्रोजन योजना: 2070 तक नेट–जीरो और रोजगार सृजन
- भारत का ग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य:
- भारत का उद्देश्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
- इसके लिए $100 बिलियन का निवेश और 125 गीगावाट नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता होगी।
- यह लक्ष्य प्रधानमंत्री के पंचामृत योजना से मेल खाता है, जिसमें 2030 तक 500 गीगावाट गैर-कोयला ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य है।
- ग्रीन हाइड्रोजन की मांग:
- भारत में 2050 तक हाइड्रोजन की कुल मांग 29 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक पहुंचने का अनुमान है।
- ग्रीन हाइड्रोजन की मांग 2050 तक 2 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से अधिक होने का अनुमान है।
- मुख्य उद्योग: स्टील, उर्वरक, रिफाइनरीज और सड़क परिवहन।
- रोजगार सृजन:
- 2018 में ग्रीन सेक्टर में 11 मिलियन लोग कार्यरत थे, और 2050 तक इस क्षेत्र में 42 मिलियन से अधिक रोजगार सृजन का अनुमान है।
- यह ग्रीन ऊर्जा क्षेत्र के लिए नए उद्योगों और रोजगार अवसरों के विकास की संभावना को दर्शाता है।
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