Green India Mission
संदर्भ:
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के अवसर पर ग्रीन इंडिया मिशन (Green India Mission) की संशोधित योजना जारी की। इस मिशन का उद्देश्य देश में हरित आवरण को बढ़ाना, पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए टिकाऊ उपायों को बढ़ावा देना है।
क्या है Green India Mission (GIM)?
- लॉन्च वर्ष: फरवरी 2014
- अंतर्गत: भारत की राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) की 8 प्रमुख मिशनों में से एक।
- उद्देश्य:
- जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन (Adaptation) और शमन (Mitigation) रणनीतियों को अपनाना।
- वन-आधारित पारिस्थितिक तंत्रों का पुनर्स्थापन और हरित आवरण बढ़ाना।
मुख्य लक्ष्य:
- वनों का संरक्षण और पुनर्स्थापन
- वन आधारित आजीविका में सुधार
- जैव विविधता का संरक्षण
- जल स्रोतों का पुनरुद्धार
- वनों के माध्यम से कार्बन सिंक बढ़ाना
प्रगति (2015–16 से 2020–21 तक):
- 22 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण GIM और अन्य योजनाओं के माध्यम से
- वन क्षेत्र में धीरे–धीरे वृद्धि दर्ज की गई है।
चुनौतियाँ:
- वित्तीय संसाधनों की कमी
- विदेशी/आक्रामक प्रजातियों का वृक्षारोपण, जिससे पारिस्थितिक असंतुलन
- प्राचीन (old-growth) वनों की अपर्याप्त सुरक्षा
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी सीमित
रणनीतिक महत्व:
- राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33% भू-भाग को वन क्षेत्र बनाने का लक्ष्य।
- भारत के 2030 तक के जलवायु लक्ष्यों (Paris Agreement/NDCs) को पूरा करने के लिए आवश्यक।
संशोधित ग्रीन इंडिया मिशन (Revised Green India Mission – GIM): मुख्य बिंदु
नई रणनीति: ‘सूक्ष्म पारिस्थितिकी तंत्र’ (Micro-Ecosystem) आधारित दृष्टिकोण
- संवेदनशील भूदृश्यों में हस्तक्षेप को लक्षित करेगा, जैसे: अरावली पर्वतमाला, वेस्टर्न घाट (Western Ghats), उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क क्षेत्र, मंगल (Mangroves), हिमालयी क्षेत्र।
लक्ष्य (Forest Survey of India – FSI के अनुमान पर आधारित):
- 3.39 बिलियन टन कार्बन सिंक प्राप्त करने की संभावना
- 24.7 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में वन और वृक्षावरण वृद्धि की आवश्यकता
- 2025–2030 के दौरान प्रति वर्ष 2 मिलियन हेक्टेयर वृक्षारोपण के वर्तमान प्रवृत्ति से 12 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जा सकेगा
प्रमुख क्षेत्रीय फोकस:
- अरावली पुनर्स्थापन:
- गुजरात से दिल्ली तक 700 किमी का विस्तार
- विश्व की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक
- भूमि क्षरण रोकने व हरित आवरण बढ़ाने पर ज़ोर
- वेस्टर्न घाट पुनर्स्थापन:
- 1,600 किमी लंबा क्षेत्र – गुजरात से तमिलनाडु
- 34 वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक
- जैव विविधता संरक्षण, जल स्रोत पुनरुद्धार पर ज़ोर
- हिमालयी ढलानों की बहाली:
- मिट्टी क्षरण की रोकथाम, भूस्खलन नियंत्रण
- वर्षाजल संचयन को बेहतर बनाना
- स्थानीय प्रजातियों का रोपण, गली प्लगिंग व कॉन्टूर ट्रेंचिंग जैसी तकनीकें
- पूर्वोत्तर भारत में हस्तक्षेप: झूम (स्थानांतरित) कृषि की समस्याओं को सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त तकनीकों के माध्यम से हल करना
- सीबकथॉर्न (Seabuckthorn) वृक्षारोपण:
- हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और सिक्किम में
- पारिस्थितिक सुधार और स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देना
- उत्तर–पश्चिम भारत का शुष्क क्षेत्र: हवा से भूमि क्षरण, अतिचराई, और वनस्पति ह्रास की समस्याएं
- रणनीतियाँ: विंडब्रेक रोपण, चराई नियंत्रण, मृदा और जल संरक्षणस्थानीय घासों का रोपण, वर्षाजल संचयन को बढ़ावा