संदर्भ:
लोक लेखा समिति (PAC) ने GSAT-18 के छह ट्रांसपोंडरों के अपर्याप्त उपयोग पर चिंता जताई है। समिति ने अंतरिक्ष विभाग को भविष्य की अंतरिक्ष परियोजनाओं की योजना बनाते समय आर्थिक सतर्कता बरतने की सिफारिश की है।
PAC रिपोर्ट: GSAT ट्रांसपोंडर उपयोग पर चिंता
- आर्थिक व्यवहार्यता पर सवाल (Economic Viability Concern):
- वर्तमान में, GSAT के छह ट्रांसपोंडर 2027 तक निष्क्रिय रखे गए हैं।
- इन्हें 2027-2032 के बीच उपयोग करने की योजना है।
- 2016 से 11 वर्षों तक इनका उपयोग न होने से मिशन की लागत-प्रभावशीलता (Cost-effectiveness) पर सवाल उठता है।
- राजस्व हानि (Loss of Revenue):
- इन ट्रांसपोंडर्स के निष्क्रिय रहने के कारण ₹117 करोड़ की वित्तीय हानि हुई है।
- PAC रिपोर्ट GSAT मिशन के आर्थिक प्रबंधन और संसाधनों के प्रभावी उपयोग पर गंभीर चिंताएँ उठाती है।
GSAT-18: भारत का संचार उपग्रह
- परिचय
- GSAT-18 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 2016 में लॉन्च किया गया संचार उपग्रह है।
- इसका उद्देश्य संचार सेवाओं को मजबूत करना और पुराने उपग्रहों को बदलना है।
- प्रमुख विशेषताएँ
- लॉन्च वाहन: भारी-भरकम Ariane-5 रॉकेट (कौरू, फ्रेंच गुयाना से)
- वजन: 3404 किलोग्राम (तब GSLV Mk-III उपलब्ध नहीं था)
- मिशन आयु: 15 वर्ष (2032 तक सक्रिय रहेगा)
- कक्षा: भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit)
- ट्रांसपोंडर्स और सेवाएँ
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- कुल 48 संचार ट्रांसपोंडर्स: Extended C-band, Normal C-band, Ku-band
- प्रदान की जाने वाली सेवाएँ: DTH प्रसारण, टेली कम्युनिकेशन, VSAT (Very Small Aperture Terminal) सेवाएँ, ब्रॉडबैंड इंटरनेट