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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन की पहली मानवरहित उड़ान के लिए ह्यूमन वैल्यूएबल लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (HLVM3) का असेंबली कार्य शुरू कर दिया। यह असेंबली सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा) में हो रही है, और इस मानवरहित उड़ान के अगले साल की शुरुआत में प्रक्षेपित होने की उम्मीद है।
HLVM-3 (ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल मार्क-3) के मुख्य बिंदु:
- परिचय: HLVM-3 इसरो के LVM3 का मानव-अनुकूल संस्करण है, जिसे गगनयान मिशन के लिए विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मानव को ले जाना है।
- उद्देश्य:
- सुरक्षित मानव अंतरिक्ष उड़ान सुनिश्चित करना।
- इसमें उन्नत विश्वसनीयता और सुरक्षा सुविधाओं को शामिल किया गया है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- तीन चरणों का डिज़ाइन: ठोस (Solid), तरल (Liquid) और क्रायोजेनिक (Cryogenic) चरणों का संयोजन।
- पेलोड क्षमता: निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) तक 10 टन पेलोड ले जाने की क्षमता।
- ऊंचाई और वजन: 53 मीटर ऊंचा और 640 टन वजनी।
- क्रू एस्केप सिस्टम (CES): यह वायुमंडलीय उड़ान के अलगाव तक चालू रहता है और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
गगनयान मिशन के मुख्य बिंदु:
- परिचय:
- गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।
- इसका उद्देश्य मानव चालक दल को 400 किमी की कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।
- गगनयान मिशन की लागत: मिशन की कुल लागत लगभग ₹9023 करोड़ है।
- उद्देश्य:
- मानव अंतरिक्ष उड़ानें संचालित करना:
- मानव अंतरिक्ष उड़ान संचालन की स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन।
- अंतरिक्ष अन्वेषण: एक सतत भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की नींव रखना।
गगनयान अंतरिक्ष यान के मुख्य घटक:
- ऑर्बिटल मॉड्यूल (OM):
- पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करने वाला मिशन का मुख्य केंद्र।
- इसमें दो भाग शामिल हैं:
- क्रू मॉड्यूल (CM): चालक दल के लिए अंतरिक्ष जैसा वातावरण।
- सेवा मॉड्यूल (SM): क्रू मॉड्यूल को आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
- सेवा मॉड्यूल (SM):
- प्रणोदन प्रणाली, तापीय नियंत्रण, विद्युत प्रणाली और तैनाती तंत्र शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य कक्षा में रहते हुए क्रू मॉड्यूल को सपोर्ट प्रदान करना है।
- क्रू मॉड्यूल (CM):
- चालक दल के लिए पृथ्वी जैसा वातावरण सुनिश्चित करता है।
- इसमें मानव केंद्रित उत्पाद, जीवन समर्थन प्रणाली, एवियोनिक्स, और मंदी प्रणाली शामिल हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) –
- स्थापना:
- 15 अगस्त 1969
- संस्थापक: डॉ. विक्रम साराभाई
- मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
- मुख्य उद्देश्य: भारत के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और उसका राष्ट्रीय विकास में उपयोग।
- प्रमुख केंद्र:
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा) – प्रक्षेपण केंद्र।
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (तिरुवनंतपुरम) – रॉकेट विकास।
- इसरो उपग्रह केंद्र (बेंगलुरु) – उपग्रह निर्माण।