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मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग अवधि के लिए वन्यजीव आवासों के संपूर्ण विकास की केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी है, जिसका कुल व्यय 2602.98 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। यह योजना प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट और अन्य वन्यजीव आवासों के विकास को समाहित करती है।
योजना के प्रमुख घटक:
- प्रौद्योगिकी पहलों का उपयोग: योजना में बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकी पहलों को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है।
- M-STRIPES एप्लिकेशन: प्रोजेक्ट टाइगर में मोबाइल एप्लिकेशन M-STRIPES का उपयोग किया जाता है, जो बाघों और उनके आवासों की निगरानी के लिए है।
- कैमरा ट्रैप और AI का उपयोग: अखिल भारतीय बाघ अनुमान में बाघों के आवासों में कैमरा ट्रैप की तैनाती और प्रजातियों की पहचान के लिए AI का उपयोग किया गया है।
प्रोजेक्ट टाइगर और चीता:
- प्रोजेक्ट चीता का समर्थन: योजना में प्रोजेक्ट चीता का समर्थन भी शामिल है, जिसमें चीता आवास के क्षेत्रों का विस्तार और निगरानी प्रोटोकॉल को मजबूत किया जाएगा।
अन्य प्रोजेक्ट्स:
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन: डॉल्फिन की गणना और आवास की निगरानी के लिए रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) का उपयोग किया जाएगा।
- प्रोजेक्ट लॉयन: “लॉयन @ 2047: अमृत काल के लिए विज़न” दस्तावेज़ के अंतर्गत प्रोजेक्ट लॉयन को मजबूत किया जाएगा।
- प्रोजेक्ट एलीफेंट: मानव-हाथी टकराव को कम करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
लाभ और सृजन:
इस योजना के तहत:
- संरक्षित क्षेत्र: 55 बाघ अभयारण्य, 33 हाथी अभयारण्य और 718 संरक्षित क्षेत्र लाभान्वित होंगे।
- जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा: ये क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करेंगे और जल सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
- मानव दिवसों की सृजन: योजना के तहत 50 लाख से अधिक मानव दिवसों की आजीविका सृजन होगी, जिससे इको-टूरिज्म और सहायक गतिविधियों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा।
Integrated Development of Wildlife Habitats (IDWH):Integrated Development of Wildlife Habitats (IDWH) एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे भारत के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वन्यजीव आवास के विकास के लिए शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों के संरक्षण और उनके आवासों के विकास को सुनिश्चित करना है। IDWH के घटक
IDWH के अंतर्गत उप-योजनाएं
नोट
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निष्कर्ष:
यह केंद्र प्रायोजित योजना बाघ और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि करती है, जिससे अर्थव्यवस्था और पर्यावरण का संतुलित विकास सुनिश्चित होता है।
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