Impeachment
संदर्भ:
कैश कांड मामले से जुड़े एक अहम घटनाक्रम में केंद्र सरकार दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। यह निर्णय न्यायपालिका की निष्पक्षता और जवाबदेही को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आया है।
न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग प्रक्रिया:
(Impeachment) महाभियोग क्या है?
- यह एक संवैधानिक तंत्र है जिसके माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश को पद से हटाया जा सकता है।
- एक बार नियुक्त होने के बाद, किसी न्यायाधीश को केवल राष्ट्रपति के आदेश द्वारा ही हटाया जा सकता है, और इसके लिए संसद की सहमति आवश्यक होती है।
- संविधान में “महाभियोग” शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है, लेकिन न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 124 (सुप्रीम कोर्ट के लिए) और अनुच्छेद 218 (हाई कोर्ट के लिए) में दी गई है।
- इस प्रक्रिया को विस्तृत रूप में न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 में समझाया गया है।
महाभियोग की प्रक्रिया कैसे होती है?
- प्रस्ताव की शुरुआत:
- महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है।
- राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों और लोकसभा में 100 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।
- प्रारंभिक जांच:
- प्रस्ताव मिलने के बाद, संबंधित सदन के सभापति (राज्यसभा) या अध्यक्ष (लोकसभा) इस पर विचार करते हैं।
- वे उपलब्ध सामग्री की समीक्षा करके प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं।
- जांच समिति का गठन:
- यदि प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो सभापति/अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखते हैं।
- इसके बाद एक तीन-सदस्यीय समिति बनाई जाती है, जिसमें शामिल होते हैं:
- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या कोई वरिष्ठ न्यायाधीश
- किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता (सरकार द्वारा नामित)
- जांच और रिपोर्ट:
- यह समिति आरोपों की जांच करती है।
- यदि समिति आरोपों को सही पाती है, तो महाभियोग प्रस्ताव पर संसद के दोनों सदनों में मतदान होता है।
- विशेष बहुमत से पारित करना:
- प्रस्ताव को पारित करने के लिए दोनों सदनों में विशेष बहुमत चाहिए:
- उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई का समर्थन
- साथ ही, यह संख्या कुल सदस्य संख्या के आधे से अधिक होनी चाहिए।
- राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाना:
- जब दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित हो जाता है, तभी राष्ट्रपति उस न्यायाधीश को पद से हटा सकते हैं — यानी महाभियोग लागू होता है।
क्या अब तक किसी न्यायाधीश का महाभियोग हुआ है?
- नहीं, स्वतंत्र भारत में अब तक किसी भी न्यायाधीश को महाभियोग द्वारा पद से नहीं हटाया गया है।
- यद्यपि कुछ न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन कोई भी प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित नहीं हो पाई।
- कई मामलों में, जांच समिति की रिपोर्ट आने से पहले या मतदान से पूर्व ही संबंधित न्यायाधीश ने इस्तीफा दे दिया।