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संदर्भ:
प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 में एक विवादास्पद प्रावधान शामिल किया गया है, जो सरकारी संस्थाओं को डिजिटल एक्सेस नियंत्रणों को दरकिनार करने की अनुमति देता है। यह प्रावधान डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं और कर सलाहकार कंपनियों के बीच गोपनीयता को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर रहा है।
प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 में सरकारी अधिभूत शक्तियाँ:
प्रमुख प्रावधान:
- वर्चुअल डिजिटल वातावरण तक पहुँच (Access to Virtual Digital Environments): तलाशी और जब्ती कार्यवाही के दौरान अधिकारियों को वर्चुअल डिजिटल वातावरण तक पहुँचने की शक्ति दी गई है।
- एन्क्रिप्शन को बायपास करना (Bypassing Encryption): सरकारी एजेंसियों को कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एन्क्रिप्शन या एक्सेस कोड को बायपास करने की अनुमति।
- डिक्रिप्टेड डेटा की माँग (Demand for Decrypted Data):
- टेक कंपनियों को डिक्रिप्टेड डेटा या बैकडोर एक्सेस प्रदान करने के लिए बाध्य करना।
- उदाहरण: राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून प्रवर्तन या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए WhatsApp की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को बायपास करना।
- प्रभावित क्षेत्र (Scope): सोशल मीडिया प्लेटफार्म, मैसेजिंग एप्स और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर लागू।
- कानूनी ढांचा (Legal Framework): IT अधिनियम, 2000 में संशोधन के रूप में प्रस्तावित, डेटा इंटरसेप्शन पर पुराने प्रावधानों को बदलने के लिए।
परिभाषा और क्षेत्र (Definition and Scope):
- वर्चुअल डिजिटल स्पेस (Virtual Digital Space): इसमें ईमेल्स, सोशल मीडिया अकाउंट्स, ऑनलाइन बैंकिंग और निवेश खाते, क्लाउड सर्वर और इसी प्रकार के अन्य डिजिटल प्लेटफार्म शामिल हैं।
संभावित प्रभाव (Potential Implications)
- टेक कंपनियों पर दबाव: यह प्रावधान टेक कंपनियों को उपयोगकर्ता की सुरक्षा उपायों को बायपास करने में सहायता करने के लिए बाध्य कर सकता है।
- गोपनीयता की चिंता: प्राइवेसी समर्थकों का मानना है कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection Act) इन प्रावधानों से व्यक्तियों की सुरक्षा नहीं कर पाएगा।
- जोखिम (Risk): स्पष्ट सुरक्षा उपायों के बिना, करदाता उत्पीड़न और अनावश्यक डेटा जांच का खतरा बना रह सकता है।
आलोचना (Criticism):
- इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन:
- अत्यधिक प्रवर्तन शक्तियों (Excessive Enforcement Powers) के खिलाफ संवैधानिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया।
- विधेयक में न्यूनतम हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रोपोर्शनैलिटी स्टैंडर्ड’ (Proportionality Standard) शामिल करने की आवश्यकता है।
- सुझाव (Suggestions)
- न्यायिक निगरानी (Judicial Oversight): डिक्रिप्शन अनुरोधों (Decryption Requests) के लिए न्यायालय द्वारा स्वीकृत वारंट अनिवार्य करना।
- पारदर्शिता (Transparency): इंटरसेप्शन अनुरोधों (Interceptio) पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करना।
- बहु–हितधारक संवाद: विधेयक को सुधारने के लिए टेक विशेषज्ञों, नागरिक समाज और विधायकों को शामिल करना।
- संतुलित दृष्टिकोण: अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं (जैसे, UK का Investigatory Powers Act और निगरानी निकाय) के अनुरूप बनाना।