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संदर्भ:
भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद: भारत ने सीमा सुरक्षा और बाड़बंदी से संबंधित चिंताओं पर चर्चा के लिए बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया। यह कदम बीएसएफ के कथित उल्लंघनों और सीमा प्रबंधन में कंटीले तार की बाड़बंदी को लेकर उभरते विवादों के बीच बढ़ते तनाव को रेखांकित करता है।
भारत-बांग्लादेश सीमा:
- सीमा की लंबाई और विस्तार:
- भारत-बांग्लादेश सीमा भारत की सबसे लंबी सीमा है, जिसकी कुल लंबाई 7 किमी है।
- यह पश्चिम बंगाल (7 किमी), असम (263 किमी), मेघालय (443 किमी), त्रिपुरा (856 किमी) और मिजोरम (318 किमी) से होकर गुजरती है।
- भौगोलिक विशेषताएँ:
- यह सीमा मैदानी क्षेत्रों, पहाड़ियों, नदी तटीय हिस्सों और जंगलों से होकर गुजरती है।
- इस सीमा पर प्राकृतिक बाधाएं लगभग नहीं हैं, जिससे इसे पार करना अपेक्षाकृत आसान है।
- अवैध गतिविधियों का केंद्र: यह सीमा अत्यधिक छिद्रयुक्त है और अवैध प्रवासन, मवेशियों की तस्करी, मानव तस्करी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों का गढ़ है।
भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद के कारण:
- सीमा पर निर्माण संबंधी विवाद:
- 1975 के भारत-बांग्लादेश सीमा प्राधिकरण के संयुक्त दिशानिर्देशों के अनुसार, सीमा के शून्य रेखा से 150 गज के भीतर कोई रक्षा संरचना नहीं बनाई जा सकती।
- भारत तारबंदी को रक्षा संरचना नहीं मानता, जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान इसे रक्षा संरचना मानते हैं।
- सीमा निवासियों पर प्रभाव: घनी आबादी वाले सीमा क्षेत्रों में बाड़ लगाने से स्थानीय लोगों को कई व्यावहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
- CCTV और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी:
- भारत ने सीमा की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे उन्नत तकनीकी निगरानी प्रणाली लागू की है।
- बांग्लादेश ने इसे अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में देखा है और इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर आघात बताया है।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़बंदी की स्थिति:
- कुल बाड़बंदी कवरेज:
- 7 किमी लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा में से 3141 किमी पर बाड़बंदी हो चुकी है।
- इस बाड़बंदी में सभी पूर्वी राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल, को शामिल किया गया है।
- पश्चिम बंगाल में बाड़बंदी:
- पश्चिम बंगाल 7 किमी लंबी सीमा बांग्लादेश के साथ साझा करता है।
- 2023 तक, इस सीमा का 5% हिस्सा बाड़बंद किया जा चुका था।
- शेष क्षेत्रों में बाड़बंदी में बाधाएँ:
- ग्रामीणों की आपत्तियाँ।
- कठिन भूभाग।
- बांग्लादेश के साथ चल रही वार्ताएँ।
- बाड़बंदी पूरी करने की चुनौतियाँ:
- गृह मंत्रालय ने निम्नलिखित कारणों से देरी को रेखांकित किया:
- पश्चिम बंगाल सरकार का सहयोग न मिलना।
- राज्य में भूमि अधिग्रहण लंबित होना।
- नदीय सीमाएँ:
- सीमा के 900 किमी से अधिक हिस्से में नदीय भूभाग होने के कारण बाड़बंदी असंभव है।
- इन क्षेत्रों की सुरक्षा BSF की जल इकाई द्वारा सुनिश्चित की जाती है।
सीमाओं के प्रबंधन की आवश्यकता:
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
- भारत की खुली सीमाएँ अवैध घुसपैठ, तस्करी, और आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं।
- विशेष रूप से पाकिस्तान से सक्रिय आतंकवादी समूह गंभीर सुरक्षा खतरे उत्पन्न करते हैं।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन: बांग्लादेश से अनियंत्रित प्रवासन ने सीमा राज्यों में जनसांख्यिकीय संरचना को प्रभावित किया है।
- बुनियादी ढांचे का विकास:
- भारत के कई सीमा क्षेत्रों में सड़कों, संचार नेटवर्क, और सीमा चौकियों जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
- यह सीमाओं के प्रभावी प्रबंधन के प्रयासों में बाधा डालता है।