India became the world’s fourth largest economy
संदर्भ:
भारत ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक उपलब्धि हासिल करते हुए जापान को पीछे छोड़कर आधिकारिक रूप से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान प्राप्त कर लिया है।
वर्तमान में भारत से आगे केवल तीन देश हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी।
- यदि योजनाओं पर अमल जारी रहा, तो भारत अगले तीन वर्षों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
IMF की रिपोर्ट (अप्रैल 2025):
- भारत की GDP: $4.187 ट्रिलियन
- जापान की GDP: लगभग $4.186 ट्रिलियन
- भारत ने GDP के मामले में जापान को पीछे छोड़ दिया है, जो वैश्विक आर्थिक रैंकिंग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP):
- परिभाषा: GDP एक निश्चित अवधि (आमतौर पर त्रैमासिक या वार्षिक) में किसी देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को दर्शाता है।
- उद्देश्य: यह देश की आर्थिक स्थिति और विकास दर का अनुमान लगाने के लिए एक प्रमुख आर्थिक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
गणना के तरीके: GDP को तीन तरीकों से मापा जा सकता है:
- व्यय विधि: अंतिम वस्तुओं और सेवाओं पर कुल खर्च।
- उत्पादन विधि: अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों द्वारा जोड़ा गया कुल मूल्य।
- आय विधि: उत्पादन कारकों (मजदूरी, किराया, ब्याज और लाभ) से अर्जित कुल आय।
GDP के प्रकार (समायोजन के आधार पर):
- सांकेतिक GDP (Nominal GDP): वर्तमान बाजार मूल्य पर मापा जाता है, इसमें मुद्रास्फीति का समायोजन नहीं होता।
- वास्तविक GDP (Real GDP): मुद्रास्फीति को समायोजित करके मापा जाता है, जिससे वास्तविक आर्थिक वृद्धि का बेहतर आकलन होता है।
- प्रति व्यक्ति GDP (GDP per capita): कुल GDP को जनसंख्या से विभाजित कर प्रति व्यक्ति औसत आर्थिक उत्पादन दर्शाता है।
(India became the world’s fourth largest economy) भारत की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का वैश्विक प्रभाव: यह उपलब्धि भारत को वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक मंचों पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी:
- वैश्विक प्रभाव में वृद्धि:
- भारत की भूमिका G20, IMF, WTO जैसे वैश्विक मंचों पर और प्रभावशाली होगी।
- वैश्विक नीतियों के निर्धारण में भारत की राय और भागीदारी को अधिक महत्व मिलेगा।
- निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य:
- भारत में FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) में तेजी आएगी।
- वैश्विक कंपनियां भारत को उच्च जनसंख्या, उपभोग क्षमता और डिजिटल बुनियादी ढांचे के कारण निवेश के लिए प्राथमिकता देंगी।
- क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक बढ़त:
- भारत-जापान जैसी साझेदारियों के ज़रिए भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थायित्व का प्रमुख स्तंभ बनेगा।
- चंद्रयान–5 और रक्षा सहयोग जैसे कदम भारत की वैज्ञानिक और सैन्य क्षमताओं को वैश्विक पटल पर प्रदर्शित करेंगे।
- आर्थिक नेतृत्व की दिशा में प्रगति:
- भारत का अगला लक्ष्य जर्मनी को पीछे छोड़ना है (2028 तक)।
इससे भारत न केवल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, बल्कि एक वैश्विक आर्थिक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरेगा।