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भारत और डेनमार्क के बीच समुद्री संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। दोनों देश स्थायी समुद्री प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी के तहत, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार किया गया है, जैसे:
- गुणवत्तापूर्ण शिपिंग
- पोर्ट स्टेट कंट्रोल
- समुद्री प्रशिक्षण और शिक्षा
- अनुसंधान और विकास
- समुद्री डकैती निवारण
- हरित समुद्री प्रौद्योगिकी
- जहाज निर्माण और हरित शिपिंग
स्थायी समुद्री प्रौद्योगिकियों में सहयोग:
डेनमार्क, जो हरित और डिजिटल समाधानों में वैश्विक नेता है, भारत के सागरमाला पहल और मेरिटाइम इंडिया विजन 2030 के लक्ष्यों के अनुरूप अपनी विशेषज्ञता साझा कर रहा है। यह सहयोग भारत को अपने समुद्री क्षेत्र में स्थायी विकास और हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने में मदद करेगा।
समझौते का विस्तार:
2019 में हस्ताक्षरित और 2022 में संशोधित समझौते का विस्तार किया गया है, जिसमें भारत में एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना के लिए एक विशेष खंड जोड़ा गया है। इससे हरित समुद्री प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता को गहराई से विकसित करने और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
हाइड्रोजन और अमोनिया-आधारित ईंधन:
दोनों देश जहाजों के लिए हाइड्रोजन और अमोनिया-आधारित ईंधन विकसित करने के उद्देश्य से संयुक्त परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत का समुद्री अमृत काल विजन 2047 अपने बंदरगाहों को डीकार्बोनाइज करने का लक्ष्य रखता है, और डेनमार्क की समुद्री पवन ऊर्जा में सफलता भारतीय बंदरगाहों में नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों में योगदान देने की उम्मीद जगाती है।
समुद्री प्रशिक्षण में सहयोग:
डेनमार्क का नेतृत्व वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय नाविक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को उन्नत करने के लिए सहयोग के अवसर खोलता है। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “यह सहयोग सतत विकास और नवाचार के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम हरित समुद्री प्रथाओं में वैश्विक मानक स्थापित करेंगे।”
डेनमार्क के बारे में:· राजधानी: कोपेनहेगन · भाषा: डेनिश · मुद्रा: डेनिश क्रोन (DKK) · जनसंख्या: लगभग 58 लाख (2023 में) · भौगोलिक स्थिति: डेनमार्क उत्तरी यूरोप में स्थित है और यह स्कैंडिनेविया के एक भाग के रूप में जाना जाता है। यह जूटलैंड प्रायद्वीप और कई छोटे द्वीपों, जैसे कि ज़ीलैंड और फनर द्वीप पर विस्तारित है। · संस्कृति और समाज: डेनमार्क की संस्कृति में शांति, समानता, और सामाजिक कल्याण का महत्व है। यह देश उच्च जीवन स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाना जाता है। · अर्थव्यवस्था: डेनमार्क की अर्थव्यवस्था विकसित और विविध है। कृषि, मछली पकड़ना, और औद्योगिक उत्पादन इसके प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं। यह देश नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से पवन ऊर्जा, में अग्रणी है। · राजनीति: डेनमार्क एक संवैधानिक monarchy है, जहां राजा या रानी औपचारिक रूप से राज्य का प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का संचालन करते हैं। देश की संसद को “फोकटिंग” कहा जाता है। · 6. पर्यटन: डेनमार्क में कई ऐतिहासिक स्थल, जैसे कि कोपेनहेगन का न्हवेन, लिटिल मेरमेड प्रतिमा, और रोसेनबॉर्ग किला हैं। यह देश अपने सुंदर समुद्र तटों और जीवंत शहरों के लिए भी जाना जाता है। |
सागरमाला परियोजना:
- सागरमाला परियोजना एक केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है, जो बंदरगाहों के आधुनिकीकरण से जुड़ी है।
- हालांकि, इस परियोजना का विचार सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 15 अगस्त, 2003 को प्रस्तुत किया गया था।
- इस योजना का उद्देश्य 7500 किमी लंबी समुद्री तटरेखा के चारों ओर बंदरगाहों के आसपास प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विकास को प्रोत्साहित करना है।
- इसमें 12 स्मार्ट शहरों और विशेष आर्थिक ज़ोन को भी शामिल किया गया है।
- योजना के तहत आठ तटीय राज्यों की पहचान की गई है, जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
- इस योजना की नोडल एजेंसी के रूप में केंद्रीय शिपिंग मंत्रालय को नियुक्त किया गया है।
मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 के बारे में :
मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 भारत के समुद्री क्षेत्र को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के हितधारकों के सहयोग से तैयार किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांचे और शिपिंग सेक्टर को सशक्त बनाना है, ताकि देश वैश्विक समुद्री क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सके। इस विज़न के तहत ब्लू इकोनॉमी को आर्थिक प्रगति का महत्वपूर्ण स्तंभ माना गया है।
इसके तहत 10 प्रमुख विषयों पर जोर दिया गया है:
- सर्वश्रेष्ठ बंदरगाह बुनियादी ढांचा – भारतीय बंदरगाहों को अपग्रेड करके अंतरराष्ट्रीय मानकों तक पहुँचाना।
- लॉजिस्टिक्स दक्षता – सड़कों, रेल, और जलमार्गों द्वारा बंदरगाहों की कनेक्टिविटी में सुधार करना।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार – डिजिटलीकरण और स्मार्ट बंदरगाहों के विकास के जरिए कामकाज में दक्षता बढ़ाना।
- नीति और संस्थागत ढांचा – PPP मॉडल और वित्तीय लचीलेपन को बढ़ावा देना।
- जहाज निर्माण और मरम्मत – देश की वैश्विक हिस्सेदारी में वृद्धि करना।
- अंतर्देशीय जलमार्ग – माल और यात्री परिवहन को किफायती और पर्यावरण के अनुकूल बनाना।
- क्रूज पर्यटन – बुनियादी ढांचे में निवेश करके इस सेक्टर को बढ़ावा देना।
- वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ करना – समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए पड़ोसी देशों के साथ संपर्क मजबूत करना।
- हरित समुद्री क्षेत्र – स्वच्छ और टिकाऊ बंदरगाहों का निर्माण।
- शिक्षा और प्रशिक्षण – नाविकों की दक्षता और अनुसंधान क्षमताओं को उन्नत करना।
इस योजना का उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर समुद्री क्षेत्र में अग्रणी बनाना है और ब्लू इकोनॉमी के माध्यम से आर्थिक और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना है।
निष्कर्ष:
हरित रणनीतिक साझेदारी (2021-2026) के तहत, भारत और डेनमार्क बंदरगाह आधुनिकीकरण, समुद्री डिजिटलीकरण, हरित ईंधन विकास और उन्नत नाविक प्रशिक्षण पर सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह साझेदारी समुद्री क्षेत्र में वैश्विक नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
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