Mains (मुख्य परीक्षा) GS II- भारत और उसका पड़ोस: संबंध, भारत से जुड़े द्विपक्षीय समझौते। |
चर्चा में क्यों?
इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे। यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग और राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम से मुलाकात की। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना और साझा हितों पर चर्चा करना था। प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी (India-Singapore Relationship) को और मजबूत करेगा।
PM Modi की सिंगापुर यात्रा के मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 साल के बाद सिंगापुर का दौरा किया है। यह यात्रा भारत और सिंगापुर के द्विपक्षीय संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई।
- यात्रा के दौरान, भारत और सिंगापुर ने सेमीकंडक्टर, डिजिटल टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सहयोग, और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- दोनों देशों ने डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसमें DPI (Data Protection and Information), साइबर सुरक्षा, 5जी, सुपर कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय ने सिंगापुर के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत करने का समझौता किया है। इसके तहत सेमीकंडक्टर क्लस्टर बनाए जाएंगे और सेमीकंडक्टर डिजाइन और प्रोडक्शन में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- समझौतों के तहत, दोनों देशों के बीच श्रमिकों के कौशल को बढ़ाने और डिजिटल डोमेन में काम करने वाले लोगों की क्षमताओं को बेहतर बनाने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
इस यात्रा में हुए भारत सिंगापुर समझौता ज्ञापन (MoU) की जानकारी
- स्थिरता: दोनों प्रधानमंत्रियों ने ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात कही। दोनो देशों के बीच पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के अनुरूप काम करने का ज्ञापन सौंपा गया। दोनों देशों ने भारत और सिंगापुर सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सहमति व्यक्त की।
- डिजिटलीकरण: दोनों प्रधानमंत्रियों ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया और डेटा, एआई और साइबर सुरक्षा में साझा हितों की बात कही। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय साइबर नीति वार्ता की स्थापना की दिशा में चर्चा शुरू की और सिंगापुर साइबर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम और भारत की कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम के बीच साइबर सुरक्षा सहयोग पर नए सिरे से समझौता ज्ञापन किया।
- कौशल विकास: दोनों प्रधानमंत्रियों ने शैक्षिक सहयोग और कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने भारत में पांच कौशल केन्द्रों की स्थापना के साथ कौशल विकास सहयोग में प्रगति की पुष्टि की, जहां सिंगापुर के संस्थानों ने परामर्श सेवाएं प्रदान कीं और टर्न-की परियोजनाएं शुरू कीं। उन्होंने ओडिशा के वर्ल्ड स्किल सेंटर के साथ आईटीई एजुकेशन सर्विसेज के सिंगापुर इंटर्नशिप कार्यक्रम और सीआईआई-एंटरप्राइज सिंगापुर इंडिया रेडी टैलेंट कार्यक्रम की बात कही।
- स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा: दोनों प्रधानमंत्रियों ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने दोनों देशों में स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और मानव संसाधन विकास में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी।
- उन्नत विनिर्माण: दोनों देशों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि उन्नत विनिर्माण, विशेष रूप से लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं का विकास, द्विपक्षीय सहयोग किया जाए। उन्होंने भारत-सिंगापुर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझेदारी पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- कनेक्टिविटी: दोनों देशों ने भारत और सिंगापुर के बीच समुद्री और विमानन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने देने के लिए द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें हरित शिपिंग और रखरखाव, मरम्मत और संचालन (एमआरओ) जैसे क्षेत्र शामिल थे।
भारत-सिंगापुर संबंध (India-Singapore Relationship) का इतिहास
- भारत और सिंगापुर के बीच संबंधों की शुरुआत 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता के साथ हुई। शुरूआत में, दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सीमित था।
- 20वी सदी में भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाया, जिसके बाद सिंगापुर ने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना शुरू किया। सिंगापुर ने भारत के आर्थिक उदारीकरण का समर्थन किया और दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी मजबूत हुई।
- इसके बाद 2005 में भारत और सिंगापुर ने एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत की, जो रक्षा, व्यापार, और निवेश के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित थी।
- 2015 में भारत और सिंगापुर ने एक उच्चस्तरीय आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें व्यापार, निवेश, और डिजिटल तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया गया।
- हाल के वर्षों में, भारत और सिंगापुर के बीच संबंधों में निरंतर वृद्धि देखी गई है। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हुए हैं।
भारत-सिंगापुर संबंध: विस्तारपूर्वक
1.भारत और सिंगापुर के राजनीतिक संबंध (Political relations between India and Singapore)
- सिंगापुर की स्वतंत्रता के बाद भारत और सिंगापुर के बीच राजनीतिक संबंधों की शुरुआत 1965 में हुई। दोनों देशों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए। इनमें भारतीय प्रधानमंत्री का 2012 का सिंगापुर दौरा और सिंगापुर के विदेश मंत्री का 2017 का भारत दौरा शामिल है।
- 2005 में भारत और सिंगापुर ने “स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप” की शुरुआत की, जिसमें रक्षा, सुरक्षा, और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इस साझेदारी ने दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सामरिक सहयोग को गहरा किया।
- भारत और सिंगापुर ने साउथ चाइना सी, हिंद महासागर सुरक्षा, और ASEAN (आसियान) जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण साझा किए हैं।
2.भारत और सिंगापुर के सांस्कृतिक संबंध (Cultural ties between India and Singapore)
- भारत और सिंगापुर के बीच सांस्कृतिक संबंधों की नींव भारतियों के सिंगापुर में प्रवास और व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से रखी गई थी।
- सिंगापुर की कुल आबादी का लगभग 9.1% भारतीय है।
- सिंगापुर में अभी तक लगभग 1 लाख प्रवासी भारतीय श्रमिक के रूप मे निवास करते हैं ।
- सिंगापुर में तमिल को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।
- सिंगापुर में भारतीय संस्कृति और भाषा के अध्ययन के लिए कई संस्थान और कार्यक्रम हैं, जैसे कि भारतीय सांस्कृतिक केंद्र।
- इस वर्ष की यात्रा में सरकार ने ये एलान किया है कि सिंगापुर में भारत का पहला तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र खोला जाएगा।
3.भारत और सिंगापुर के रक्षा संबंध (Defence Relations between India and Singapore)
- 1994 में, भारत और सिंगापुर ने “सिम्बेक्स (SIMBEX)” नामक वार्षिक नौसैनिक युद्ध अभ्यास शुरू किया।
- 2003 में, भारत और सिंगापुर ने एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत सिंगापुर की सेना और वायु सेना को भारतीय धरती पर प्रशिक्षण आयोजित करने की अनुमति मिली।
- 24 नवंबर 2015 को, भारत और सिंगापुर ने एक व्यापक “रणनीतिक संबंध” समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में कई क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण बातें शामिल थीं।
- 29 नवंबर 2017 को, दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास, और आपसी रसद समर्थन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नौसैनिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- सिंगापुर गणराज्य वायु सेना (RSAF) और भारतीय वायु सेना (IAF) नियमित रूप से संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास आयोजित करते हैं।
- इसी के साथ दोनों देशों की वायु सेना के साथ होने वाले अभ्यास को SINDEX, दोनों देशों की सेना के साथ होने वाले अभ्यास को साहसिक कुरुक्षेत्र कहा जाता है।
- 29 नवंबर 2017 को ही, भारतीय सेना और सिंगापुर सशस्त्र बलों के बीच मौजूदा रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए एक संशोधित रक्षा सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
4. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत-सिंगापुर सहयोग (India-Singapore Cooperation in Science and Technology)
- फरवरी 2022 में, DST-CII इंडिया-सिंगापुर टेक्नोलॉजी समिट के 28वें संस्करण का आयोजन किया गया।
- इस शिखर सम्मेलन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), फिनटेक, हेल्थकेयर, बायोटेक, ग्रीन मोबिलिटी, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सॉल्यूशंस, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग और सतत शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में भारत और सिंगापुर के सहयोग को उजागर किया।
- 2011 में, इसरो ने सिंगापुर का पहला स्वदेश निर्मित माइक्रो-सैटेलाइट लॉन्च किया।
- 22 अप्रैल 2023 को, इसरो ने PSLV-C55 मिशन के तहत दो सिंगापुर सैटेलाइट्स सफलतापूर्वक प्रक्षिप्त किए।
- जुलाई 2023 में, इसरो ने सिंगापुर के लिए सात सैटेलाइट्स लॉन्च किए।
- सिंगापुर भारत के साथ डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के क्षेत्र में सहयोग पर विचार कर रहा है, जैसे कि आधार जैसी राष्ट्रीय पहचान प्रणाली।
- भारत और सिंगापुर ने वित्तीय प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है। सिंगापुर में BHIM UPI QR-आधारित भुगतान की पायलट डेमो नवंबर 2019 में पेश की गई।
5.भारत-सिंगापुर व्यापार और आर्थिक सहयोग (India-Singapore Trade and Economic Cooperation)
- व्यापार और निवेश:
- भारत और सिंगापुर के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2004-05 में 6.7 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 30.11 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
- 2022-23 में व्यापार 18% बढ़कर 35.59 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
- सिंगापुर भारत का आठवां सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, और दोनों देशों के बीच व्यापार में निरंतर वृद्धि हो रही है।
- सिंगापुर से भारत में एफडीआई (FDI) 2021-22 में 15.87 अरब अमेरिकी डॉलर था और 2020-21 में यह 17.42 अरब अमेरिकी डॉलर था। सिंगापुर का एफडीआई भारत के कुल एफडीआई का 23% है।
- सिंगापुर से मुख्य रूप से सर्विसेज सेक्टर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, टेलीकॉम और फार्मा सेक्टर में निवेश आता है, जो दोनों देशों के मजबूत आर्थिक संबंधों का संकेत है।
- सिंगापुर से भारत में आयात 23.6 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24.4 प्रतिशत अधिक है।
- भारत से सिंगापुर को निर्यात भी तेजी से बढ़कर 12 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि यह पहले 7.6 अरब डॉलर था।
- भारत से सिंगापुर में बाहरी एफडीआई 83.46 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है, और लगभग 9000 भारतीय कंपनियां सिंगापुर में पंजीकृत हैं।
- आवागमन और पर्यटन:
- 2013 में द्विपक्षीय एयर सर्विसेज समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- सिंगापुर और भारत के बीच प्रत्यक्ष उड़ानों की संख्या 500 से अधिक है।
- 2019 में, भारत से सिंगापुर आने वाले पर्यटकों की संख्या 1.41 मिलियन थी, जो सिंगापुर के कुल पर्यटकों में तीसरे स्थान पर थी।
- महामारी के कारण 2020 में पर्यटक आगमन में कमी आई, लेकिन 2022 की पहली छमाही में भारत ने 219,000 पर्यटकों के साथ सिंगापुर के पर्यटकों में दूसरे स्थान पर रहा।
- स्किल डेवलपमेंट:
- सिंगापुर और भारत ने कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है।
- दिल्ली में 2013 में एक वर्ल्ड क्लास स्किल सेंटर (WCSC) स्थापित किया गया।
- इसके अलावा, उड़ीसा और असम में भी कौशल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं।
पीएम मोदी की सिंगापुर यात्रा के मायने
- व्यापारिक मुलाकातें: यात्रा के दौरान पीएम मोदी सिंगापुर के व्यापारिक नेताओं और प्रमुख कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की गई। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने का प्रयास होगा।
- क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा: साउथ चाइना सी और म्यांमार जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई होगी। यह चर्चा भारत और सिंगापुर के बीच सामरिक और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में सहायक होगी।
- सिंगापुर की भूमिका: सिंगापुर, भारत के लिए एफडीआई का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में इसका 20 वर्षों से अधिक का अनुभव है। यह भारत के सबसे बड़े व्यापारिक सहयोगी में से एक है।
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी: भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत, पीएम मोदी का यह दौरा हिंद महासागर और साउथ चाइना सी में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए है। चीन के साउथ चाइना सी में बढ़ते प्रभाव के चलते, यह यात्रा सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को प्रभावित करता है।
UPSC परीक्षा के पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार करें: (2009)
संगठन मुख्यालय का स्थान
- एशियाई विकास : टोक्यो बैंक
- एशिया-प्रशांत: सिंगापुर आर्थिक सहयोग
- दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ: बैंकॉक
उपर्युक्त में से कौन सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3
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