संदर्भ:
भारत-श्रीलंका मछुआरा विवाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों तीन दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता में भारतीय मछुआरों की रिहाई का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। यह पहल दोनों देशों के बीच मानवीय सहयोग और समुद्री संवाद को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत-श्रीलंका मछुआरा विवाद के बारे में:
- भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों से जुड़ा विवाद एक जटिल और दशकों पुराना समुद्री मुद्दा है, जो मुख्यतः समुद्री सीमाओं के उल्लंघन, पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकार और जीविकोपार्जन की सुरक्षा से संबंधित है।
- विवाद का भौगोलिक केंद्र: तमिलनाडु के मछुआरे और श्रीलंका के उत्तर प्रांत के मछुआरे प्रायः पाक जलडमरूमध्य (Palk Strait) और मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) में मछली पकड़ते हैं — ये क्षेत्र समुद्री जैव विविधता से समृद्ध हैं, लेकिन साथ ही दोनों देशों की सीमाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित भी हैं।
भारत–श्रीलंका मछली पकड़ने के विवाद के मुख्य मुद्दे:
बार–बार गिरफ्तारियाँ:
- भारतीय मछुआरे अक्सर मौसम में अचानक बदलाव या इंजन खराबी के कारण श्रीलंकाई जलक्षेत्र में चले जाते हैं।
- श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा मछुआरों को गिरफ्तार करना, नावों को जब्त करना और भारी जुर्माना लगाना एक नियमित समस्या बन गई है।
अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) का उल्लंघन:
- भारतीय मछुआरे पारंपरिक अधिकारों के आधार पर IMBL के पार जाकर मछली पकड़ते हैं, जिससे उनकी गिरफ्तारी होती है।
- Palk Bay को IMBL के माध्यम से भारत और श्रीलंका के बीच बाँटा गया है, लेकिन मछली पकड़ने के अधिकार विवादास्पद हैं।
- IMBL, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (UNCLOS) के अनुसार, समुद्री क्षेत्राधिकार को परिभाषित करता है।
मछलियों की घटती संख्या:
- भारतीय जलक्षेत्र में अत्यधिक मछली पकड़ने से मछलियों की संख्या में कमी आई है, जिससे भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई क्षेत्र में जाने को मजबूर होते हैं।
- श्रीलंका इसे “अवैध शिकार” मानता है, जो सुरक्षा के लिहाज़ से खतरनाक और उनके स्थानीय मछुआरों की आजीविका के लिए खतरा है।
बॉटम ट्रॉलिंग (Bottom Trawling):
- भारतीय मछुआरे बॉटम ट्रॉलिंग विधि का उपयोग करते हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होता है।
- श्रीलंका इस विधि का विरोध करता है क्योंकि यह कोरल रीफ्स और समुद्री जीवों के आवास को नष्ट कर देती है।
- श्रीलंका एक टिकाऊ समाधान चाहता है ताकि उनके समुद्री संसाधनों की रक्षा हो सके।
श्रीलंका की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएँ:
- श्रीलंका का आरोप है कि भारतीय ट्रॉलर सुनियोजित तरीके से उनके जलक्षेत्र में घुसपैठ करते हैं।
- श्रीलंका को डर है कि तमिल उग्रवादी समूह फिर से मछुआरों की नावों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कच्चतीवु द्वीप विवाद:
- कच्चतीवु द्वीप (285 एकड़) 1974 में भारत ने श्रीलंका को सौंपा था।
- भारतीय मछुआरों को वहाँ केवल जाल सुखाने और विश्राम की अनुमति है।
- तमिलनाडु के नेता समय-समय पर कच्चातिवु द्वीप को भारत को वापस दिलाने की माँग उठाते हैं।
निष्कर्ष:
भारत-श्रीलंका के बीच मछली पकड़ने का विवाद एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है, जिसमें पारंपरिक मछुआरों की आजीविका, समुद्री सीमा नियमों, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे पहलू जुड़े हुए हैं।