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भारत: वैश्विक कौशल आपूर्ति का केंद्र

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई है कि भारत की कुशल कार्यबल वैश्विक रोजगार बाजार (वैश्विक कौशल आपूर्ति का केंद्र) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

भारत: वैश्विक कौशल आपूर्ति का केंद्र :

  1. जनसांख्यिकीय लाभ:
    • भारत के पास एक बड़ा और युवा जनसंख्या आधार है, जिसमें लगभग 554 मिलियन लोग 15 से 64 वर्ष की आयु वर्ग में हैं।
    • यह वैश्विक कुशल श्रम की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कार्यबल प्रदान करता है।
  2. सरकारी पहल:
    • स्किल इंडिया प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
    • सरकार इस दिशा में प्रमुख कंपनियों के साथ साझेदारी कर बजटीय संसाधनों का प्रावधान कर रही है।
  3. वैश्विक मांग में वृद्धि:
    • आईटी, स्वास्थ्य सेवा, निर्माण, और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
    • गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC), यूरोप, और उत्तरी अमेरिका में जनसांख्यिकीय बदलाव और तकनीकी प्रगति के कारण इस मांग में इजाफा हो रहा है।
  4. अंतरराष्ट्रीय समझौते:
    • जापान और फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से कुशल श्रमिकों की आवाजाही को बढ़ावा दिया जा रहा है।
    • यह भारत की वैश्विक श्रम बाजार में स्थिति को मजबूत करता है।

भारत: वैश्विक कौशल मांगों को पूरा करने के लिए तैयार:

  • व्यावसायिक प्रशिक्षण: 15,000+ ITIs और अंतरराष्ट्रीय कौशल केंद्रों के माध्यम से व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
  • वैश्विक पाठ्यक्रम विकास: आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता, डिजिटल साक्षरता जैसे कौशल और गंतव्य देशों की जरूरतों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है।
  • रीयलटाइम डेटा उपयोग: डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से नौकरी की मांग और कौशल आवश्यकताओं का वास्तविक समय में विश्लेषण किया जा रहा है।
  • अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम: विशेष देशों के लिए तैयार किए गए अल्पकालिक कार्यक्रम भारतीय कार्यबल को वैश्विक रोजगार बाजार के लिए सक्षम बना रहे हैं।

भारत में कौशल विकास के लिए सरकार की प्रमुख पहल:

  1. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY):
    • 119 नए युग के कौशल पाठ्यक्रमों के साथ उद्योग से जुड़े प्रशिक्षण।
    • 42 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को प्रमाणित किया गया।
  2. राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना (NAPS):
    • व्यावहारिक ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • वैश्विक उद्योग प्रथाओं के अनुरूप कार्यबल तैयार करना।
  3. स्किल लोन योजना:
    • कौशल प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
    • उच्च गुणवत्ता और वैश्विक मानकों के साथ प्रशिक्षण तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करना।
  4. स्किल इंडिया डिजिटल हब:
    • 2023 में लॉन्च किया गया डिजिटल प्लेटफॉर्म।
    • ऑनलाइन संसाधनों के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण और वैश्विक कौशल मान्यता को बढ़ावा देना।
  5. स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (SIIC):
    • अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देकर विदेशों में रोजगार के अवसर बढ़ाना।
  6. राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (NSDM):
    • सभी क्षेत्रों में गुणवत्ता कौशल विकास के लिए एकीकृत ढांचा।
    • अंतरराष्ट्रीय रोजगार अवसरों के लिए वैश्विक मानकों के साथ तालमेल।

भारत को वैश्विक कौशल केंद्र बनने में प्रमुख चुनौतियां:

  1. कौशल विकास की गुणवत्ता: कार्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक सुधारने की आवश्यकता।
    • वैश्विक बाजार में भारतीय श्रमिकों की प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करना।
  2. वापसी प्रवासियों के कौशल का उपयोग: विदेश में अर्जित कौशल को मान्यता या प्रमाणन की कमी।
    • भारतीय श्रम बाजार में इन कौशलों का सही उपयोग न होना।
  3. अपर्याप्त प्रवासन डेटा: प्रवासी श्रमिकों के प्रवाह पर सीमित और असंगत डेटा।
    • सटीक नीतियां बनाने में बाधा।
    • वर्तमान ढांचा मुख्य रूप से कम-कुशल श्रमिकों पर केंद्रित।

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