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भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस)

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान कार्यक्रम के दायरे को बढ़ाते हुए भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस-1) की पहली इकाई के निर्माण को स्वीकृति दी है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मानव अंतरिक्ष उड़ानों और दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन करना है।

भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस) की विशेषताएँ:

  1. गगनयान कार्यक्रम का विस्तार: गगनयान कार्यक्रम के अंतर्गत अब एक अतिरिक्त मानव रहित मिशन और हार्डवेयर आवश्यकताओं को शामिल किया गया है। यह कार्यक्रम 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस-1) की पहली इकाई को शुरू करेगा।
  2. लक्ष्य और समयसीमा: दिसंबर 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस) के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन और सत्यापन के लिए चार मिशन शुरू किए जाएंगे। इस परियोजना का उद्देश्य भारत को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए तैयार करना है।
  3. 2035 और 2040 के लक्ष्य:
    • वर्ष 2035 तक एक पूर्ण परिचालन भारतीय अंतरिक्ष केंद्र का निर्माण।
    • वर्ष 2040 तक भारतीय क्रू चंद्र मिशन की शुरुआत।
  4. तकनीकी और वैज्ञानिक नवाचार: भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस) माइक्रोग्रैविटी आधारित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा। यह उद्योग, शिक्षा, और अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से अंतरिक्ष के क्षेत्र में नए अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करेगा।
  5. गगनयान कार्यक्रम का व्यापक योगदान:
    • यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर संचालित होगा।
    • देश में तकनीकी प्रगति, रोजगार सृजन, और अनुसंधान व विकास के अवसरों को बढ़ावा देगा।
    • युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा, साथ ही अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास में नए अवसर प्रदान करेगा।
  6. वित्तीय निवेश:
    • पहले से स्वीकृत कार्यक्रम के साथ 11,170 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी गई है।
    • अब कुल वित्त पोषण 20,193 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है, जो इस महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन को साकार करने के लिए आवश्यक है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)

  • स्थापना: ISRO की स्थापना 15 अगस्त 1969 को डॉ. विक्रम साराभाई की परिकल्पना के अनुसार हुई थी।
  • उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य भारत की विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है।

मुख्य गतिविधियाँ:

  • उपग्रह विकास: ISRO ने संचार, मौसम संबंधी सेवाओं, और संसाधनों की निगरानी के लिए प्रमुख उपग्रह प्रणालियाँ स्थापित की हैं।
  • प्रक्षेपण वाहन: ISRO ने PSLV और GSLV जैसे उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों का विकास किया है।
  • अनुसंधान और शिक्षा: ISRO विज्ञान और विज्ञान शिक्षा को भी बढ़ावा देता है और विभिन्न अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से विज्ञान क्षेत्र में योगदान करता है।

केंद्र और इकाइयाँ:

  • मुख्यालय: ISRO का मुख्यालय बेंगलुरु में है।
  • प्रमुख केंद्र:
    • वीएसएससी: तिरुवनंतपुरम में प्रक्षेपण यान बनाए जाते हैं।
    • यूआरएससी: बेंगलुरु में उपग्रहों का डिज़ाइन और विकास होता है।
    • एसडीएससी: श्रीहरिकोटा से उपग्रहों और प्रक्षेपण वाहनों का एकीकरण और प्रक्षेपण किया जाता है।

नेतृत्व

  • ISRO की गतिविधियों का मार्गदर्शन इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, जो अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी होते हैं।

निष्कर्ष:

गगनयान कार्यक्रम और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (बीएएस) का विकास भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव अंतरिक्ष उड़ान में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा। यह देश के युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान करेगा और समाज को महत्वपूर्ण नवाचारों से लाभान्वित करेगा।

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