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भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की है कि भारत 2035 तक अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा, जिसे ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ नाम दिया जाएगा। इसके अलावा, 2040 तक एक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने की भी योजना है।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station – BAS):

परिचय:

  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS), भारत का प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • यह पृथ्वी से 400-450 किमी की ऊँचाई पर कक्षा में स्थापित होगा।
  • इसे चरणबद्ध तरीके से पाँच मॉड्यूल में निर्मित किया जाएगा।
  • पहला मॉड्यूल (बेस मॉड्यूल) 2028 तक लॉन्च करने और 2035 तक स्टेशन को पूर्ण रूप से चालू करने का लक्ष्य है।

डिज़ाइन और संरचना:

  • इसमें कुल पांच मॉड्यूल होंगे।
  • वर्तमान में, संकल्पना चरण में परियोजना की समग्र संरचना, डॉकिंग पोर्ट और मॉड्यूल प्रकारों का अध्ययन किया जा रहा है।

गगनयान कार्यक्रम का विस्तार:

  • गगनयान कार्यक्रम के दायरे को बढ़ाकर BAS के पहले मॉड्यूल का निर्माण शामिल किया गया है।
  • इस उद्देश्य से 2028 तक प्रौद्योगिकी परीक्षण और प्रदर्शन के लिए चार मिशन लॉन्च किए जाएंगे।
  • कुल बजट ₹20,000 करोड़ तक बढ़ाया गया है।

महत्त्व:

  1. मानव अंतरिक्ष यान और स्वास्थ्य अनुसंधान: यह दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए मानव सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी परीक्षणों के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा।
  2. पृथ्वी अवलोकन: यह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर अवलोकन और डेटा संकलन में मदद करेगा।
  3. माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान: मांसपेशियों और हड्डियों के क्षरण जैसे स्वास्थ्य मुद्दों का अध्ययन तेज़ी से किया जा सकेगा।
  4. तकनीकी नवाचार और रोजगार: छोटे उद्यमी अपने उपकरणों और तकनीकों का परीक्षण कर सकते हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  5. वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी: वर्तमान में भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 2% की हिस्सेदारी है, जिसे 10% तक बढ़ाने की योजना है।
  6. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा: यह परियोजना भारत को सीमित देशों के उस समूह में शामिल कर देगी जिनके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन है।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन:

परिचय:

  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) अब तक का सबसे बड़ा मानव निर्मित अंतरिक्ष यान है, जिसे 20 नवंबर, 1998 को लॉन्च किया गया था।
  • यह एक अंतरिक्ष आवास के रूप में काम करता है और 2011 से लगातार मानव उपस्थिति बनाए हुए है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • सहभागी देश: यह अमेरिका (NASA), रूस (Roscosmos), यूरोप (ESA), जापान (JAXA) और कनाडा (CSA) की अंतरिक्ष एजेंसियों का संयुक्त परियोजना है।
  • कक्षा: यह पृथ्वी से 400 किमी ऊपर कक्षा में परिक्रमा करता है।
  • गति: यह लगभग 28,000 किमी/घंटा की गति से पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जिससे हर 90 मिनट में एक चक्कर पूरा करता है।
  • उद्देश्य: अंतरिक्ष और माइक्रोग्रैविटी पर अनुसंधान को बढ़ावा देना और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान करना।

महत्व:

  1. वैश्विक सहयोग का प्रतीक: ISS अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति, शांति और सहयोग का एक सफल उदाहरण है।
  2. अंतरिक्ष मिशन की तैयारी: दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा और मंगल व चंद्रमा मिशनों की तैयारी के लिए यह एक परीक्षण मंच है।
  3. अंतरिक्ष चिकित्सा अनुसंधान: मस्तिष्क रोग (जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस) और कैंसर जैसे रोगों पर उपचार अनुसंधान में मदद करता है।
  4. मानव अंतरिक्ष उड़ान अनुभव: ISS ने अंतरिक्ष यात्रियों को भविष्य के गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए प्रशिक्षित किया है।

अन्य अंतरिक्ष स्टेशन पहल:

  • चीन का तियानगोंग: चीन का स्व-निर्मित अंतरिक्ष स्टेशन तियानगोंग 2022 के अंत से पूरी तरह से संचालित है। यह 450 किमी की ऊँचाई पर तीन अंतरिक्ष यात्रियों को समायोजित कर सकता है।
  • भारत का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS): भारत 2035 तक अपने अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित करने की योजना बना रहा है।

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