Indian Yak
संदर्भ:
भारतीय याक (Bos grunniens) के गुणसूत्र स्तर के जीनोम को पहली बार सफलतापूर्वक अनुक्रमित किया गया है। यह कार्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की चार संस्थाओं के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है, जो पशु आनुवंशिकी और हिमालयी जैव विविधता अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
भारतीय याक: हिमालय का ‘जहाज‘
परिचय
- नाम: भारतीय याक (Bos grunniens)
- उपाधि: “हिमालय का जहाज”
- भूमिका:
- उच्च पर्वतीय चरवाहा समुदायों की आजीविका का प्रमुख आधार।
- मुख्यत: लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और अन्य हिमालयी राज्यों में पाए जाते हैं।
- महत्व:
- मांस, दूध, रेशे, ईंधन (गोबर), और मालवाहक परिवहन का प्रमुख स्रोत।
- ठंड प्रतिरोध क्षमता के कारण, ये अत्यधिक जलवायु अनुकूलन के अध्ययन के लिए जैविक मॉडल माने जाते हैं।
याक के प्रकार:
- घरेलू याक (Bos grunniens):
- ऊँचाई: 7,000 फीट से अधिक
- क्षेत्र: लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर
- जंगली याक (Bos mutus): मुख्यत: तिब्बत, और कुछ हिस्से मंगोलिया और रूस
जैविक विशेषताएँ:
- वंश: Bos (गो वंश)
- निकट संबंध: मवेशी (Bos primigenius)
- विशेष गुण:
- ठंड में जीवित रहने की असाधारण क्षमता
- ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन निर्वाह
- शारीरिक बनावट: घने और लंबे बाल, मोटी त्वचा, ठंड सहने के लिए विशेष रूप से विकसित।