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भारत की शिक्षा प्रणाली: चुनौतियाँ और समाधान

संदर्भ:

भारत की शिक्षा प्रणाली दशकों तक उपेक्षित रही, जहां 1986 के बाद कोई प्रमुख नीति परिवर्तन नहीं हुआ। जब दुनिया तकनीक और वैश्वीकरण की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही थी, तब भारत की शिक्षा प्रणाली पुराने ढर्रे और तरीकों में फंसी रही, जिससे नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे रह गई।

नई शिक्षा नीति 2020 से पहले भारत की शिक्षा प्रणाली: ऐतिहासिक संदर्भ और चुनौतियाँ

  • भारत की शिक्षा प्रणाली दशकों तक पुरानी बनी रही, जिसमें अंतिम प्रमुख नीति अपडेट 1986 में और मामूली संशोधन 1992 में हुए।
  • पूर्ववर्ती प्रशासन औपनिवेशिक मानसिकता बनाए रखे हुए थे और तकनीकी प्रगति के अनुरूप बदलाव करने में असफल रहे।
  • भ्रष्टाचार, शासकीय कमियाँ और राजनीतिक हस्तक्षेप शिक्षा प्रणाली को प्रभावित करते रहे।
  • सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को धन की कमी का सामना करना पड़ा, जबकि अनियंत्रित निजी संस्थानों की संख्या बढ़ती गई।
  • 2009 के डीम्ड यूनिवर्सिटी घोटाले जैसे वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले सामने आए, जिससे शिक्षा क्षेत्र की खामियाँ उजागर हुईं।

नई शिक्षा नीति 2020: शिक्षा में सुधार

  • समान शिक्षा का विस्तार: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए नीतियाँ लागू की गईं।
  • प्रारंभिक शिक्षा बुनियादी साक्षरता: 5+3+3+4 प्रणाली के तहत बुनियादी शिक्षा को प्राथमिकता दी गई।
  • बहुभाषी शिक्षा भारतीय ज्ञान परंपरा: क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने और पारंपरिक ज्ञान को पाठ्यक्रम में जोड़ा गया।
  • बेहतर बुनियादी ढाँचा शिक्षक अनुपात: आधुनिक सुविधाएँ, प्रशिक्षित शिक्षक और बेहतर शिक्षा संसाधन उपलब्ध कराए गए।
  • कौशल डिजिटल शिक्षा: कोडिंग, एआई और मल्टीडिसिप्लिनरी लर्निंग पर ज़ोर दिया गया, जिससे तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिला।

नवाचार पहल और सांस्कृतिक पुनरुद्धार:

  • नवाचार और तकनीकी शिक्षा:
    • मिडिल स्कूल से कोडिंग की पढ़ाई शुरू की गई।
    • अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs) की स्थापना से नवाचार को बढ़ावा मिला।
    • इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ और अधिक ATLs स्थापित करने की योजना।
    • 11 भारतीय विश्वविद्यालय QS वर्ल्ड रैंकिंग के शीर्ष 500 में शामिल।
  • भाषा और सांस्कृतिक पुनरुद्धार:
    • भारतीय भाषाओं और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा, ‘अंग्रेज़ी-प्रथम’ नीति से दूरी।
    • ‘भारतीय भाषा पुस्तक योजना’ के तहत 22 भारतीय भाषाओं में 15,000 पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन।

NEP 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में चुनौतियाँ:

  1. कार्यान्वयन की बाधाएँ:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल ढांचे का धीमा विस्तार
    • बहु-विषयक शिक्षा को अपनाने में असमानता
    • प्रशासनिक देरी
  2. वित्तीय सीमाएँ:
    • शिक्षा पर GDP का 6% खर्च का लक्ष्य अब भी अधूरा
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी की ज़रूरत, पर समानता बनी रहे
  3. शिक्षक प्रशिक्षण की कमी:
    • ग्रामीण/आदिवासी क्षेत्रों में योग्य शिक्षकों की कमी
    • निरंतर प्रशिक्षण की आवश्यकता
  4. अनुसंधान नवाचार में कमी:
    • उद्योग और शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग कम
    • रिसर्च फंडिंग व ढांचे की सीमाएँ

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