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भारत का वस्त्र उद्योग

संदर्भ:

भारत का वस्त्र उद्योग : भारत ने 2023-24 में $34.8 अरब के कपड़ा और परिधान (T&A) निर्यात को 2030 तक $100 अरब तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।

भारत का वस्त्र उद्योग (वस्त्र और परिधान –T&A) क्षेत्र के प्रमुख आँकड़े:

  • भारत का वस्त्र और परिधान (T&A) निर्यात FY01 में $11.5 बिलियन से बढ़कर FY24 में $34.8 बिलियन हो गया, लेकिन वैश्विक निर्यात ($774.4 बिलियन) में इसका योगदान सिर्फ 4% है।
  • 2030 तक $100 बिलियन लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल दिखता है, जब तक कि बड़े सुधार नहीं किए जाते।
  • परिधान (Apparel) खंड (HSN कोड 61 और 62) T&A निर्यात में 42% योगदान देता है। इसका निर्यात FY01 में $5.5 बिलियन से बढ़कर FY24 में $14.5 बिलियन हो गया, लेकिन वैश्विक परिधान बाजार में भारत की हिस्सेदारी अब भी सिर्फ 3% बनी हुई है।
  • प्रतिद्वंद्वी देश आगे निकल चुके हैं:
    • बांग्लादेश की वैश्विक हिस्सेदारी 2000 में 2.2% से बढ़कर 2023 में 9.6% हो गई।
    • वियतनाम की हिस्सेदारी 2000 में 1% से बढ़कर 2023 में 5.8% हो गई।
  • चीन की हिस्सेदारी 2010 के बाद 34.8% से गिरकर 29.8% हो गई, जिसका एक कारण अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध भी रहा।

वस्त्र मूल्य शृंखला में चुनौतियाँ:

  • कपास उत्पादन में गिरावट:
    • GM Bt कपासकी शुरुआत से उत्पादन बढ़ा, लेकिन 2014 के बाद इसमें गिरावट आई।
    • 2024-25 तक भारत कपास का शुद्ध आयातक बन सकता है।
  • नवीनतम Bt बीजों की मंजूरी नहीं: हर्बीसाइड-टॉलरेंट Bt (HTBt) बीजों को मंजूरी नहीं मिलने से उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
  • कपास और मानव-निर्मित फाइबर (MMF) अनुपात असंतुलित:
    • भारत में कपास:MMF अनुपात 60:40 है, जबकि वैश्विक स्तर पर 30:70 है।
    • यह भारतीय वस्त्र उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को कमजोर करता है।
  • प्रौद्योगिकी और मूल्य शृंखला में कमजोरी:
    • नई तकनीकों को अपनाने की गति धीमी है।
    • मूल्य शृंखला का कमजोर एकीकरण विकास में बाधा बन रहा है।

भारत का वस्त्र उद्योग में आवश्यक सुधार

  1. फैशन-उन्मुख उद्योग में बदलाव:
    • मानव-निर्मित फाइबर (MMF) आधारित परिधान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और निवेश आवश्यक।
    • गैर-शुल्क बाधाओं को हटाना जरूरी।
  2. PM-MITRA योजना को गति देना:
    • एकीकृत वस्त्र हब विकसित करना।
    • कपड़ा और परिधान निर्माण में स्केलेबिलिटी और दक्षता में सुधार होगा।
  3. मुक्त व्यापार समझौतों को मजबूत करना:
    • यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने चाहिए, जो भारत के कुल परिधान निर्यात का 66% हिस्सा रखते हैं।
    • जापान, रूस, ब्राजील और दक्षिण कोरिया जैसे नए बाजारों की संभावनाओं को तलाशना।
  4. कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार:
    • सिंचाई विस्तार, उच्च घनत्व रोपण तकनीक और सटीक खेती को बढ़ावा देना।
    • भारत की औसत कपास उत्पादकता (435 kg/hectare) को चीन (1,945 kg/hectare) और ब्राजील के स्तर तक बढ़ाना।
  5. GM फसलों की स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाना: उच्च उपज, कीट-रोधी और अगली पीढ़ी के कपास बीजोंको जल्द मंजूरी देने के लिए सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम स्थापित करना।

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