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विरासत कर

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फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेती ने भारत में आर्थिक असमानता को खत्म करने के लिए वेल्थ टैक्स (धनकर) और इनहेरिटेंस टैक्स (विरासत कर) लगाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि ये कर प्रणाली देश में बढ़ती संपत्ति और आय की असमानताओं को कम करने में मदद कर सकते हैं, और समाज में अधिक समानता ला सकते हैं।

धनकर (Wealth Tax):

धनकर (Wealth Tax) एक प्रत्यक्ष कर है जो व्यक्ति की संपत्ति, जैसे नकद, संपत्ति, शेयर आदि पर लगाया जाता है। यह कर संपत्ति के मालिक पर उसके संपत्ति मूल्य के आधार पर वसूला जाता है।

विरासत कर (Inheritance Tax):

विरासत कर एक ऐसा कर है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति या संपत्तियों पर लगाया जाता है। यह संपत्ति/धन को विरासत में प्राप्त करने वाले पर लगता है। यह “एस्टेट टैक्स” से अलग होता है, जो मृतक की संपत्ति की कुल मूल्य पर लगाया जाता है।

कई देशों में विरासत कर लागू होता है। उदाहरण के लिए:

  • जापान में विरासत कर की दर 55% है।
  • दक्षिण कोरिया में विरासत कर की दर 50% है।

विरासत कर और धनकर (Wealth Tax) में अंतर:

  • विरासत कर एक बार ही लिया जाता है, जब कोई व्यक्ति बड़ी संपत्ति विरासत में प्राप्त करता है।
  • वहीं, धनकर एक वार्षिक कर है जो संपत्ति के मालिक के जीवित रहने पर उनकी संपत्ति पर लगता है।

भारत में विरासत कर का इतिहास:

  • भारत में वर्तमान में विरासत कर (Inheritance Tax) लागू नहीं है।
  • पहले, 1953 में एस्टेट ड्यूटी (Estate Duty) लागू की गई थी, लेकिन इसकी दर 85% तक पहुँचने के कारण यह अप्रिय हो गई थी।
  • इसलिए, 1985 में इसे समाप्त कर दिया गया।
  • एस्टेट ड्यूटी के समान, गिफ्ट टैक्स और वेल्थ टैक्स भी भारत में लागू किए गए थे।
  • गिफ्ट टैक्स 1998 में और वेल्थ टैक्स 2015 में समाप्त कर दिए गए।
  • हालांकि, गिफ्ट टैक्स को 2004 में फिर से लागू किया गया था।
  • गिफ्ट टैक्स के तहत, 50,000 रुपये से अधिक का उपहार प्राप्त होने पर उसे आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
  • अपवादों में दान, विरासत, करीबी रिश्तेदारों से उपहार, और शादी के दौरान दिए गए उपहार शामिल हैं।

धनकर (Wealth Tax) का इतिहास:

  • भारत का धनकर अधिनियम: भारत में 1957 में धनकर अधिनियम लागू हुआ था, जो 30 लाख रुपये/वर्ष से अधिक आय पर 1% कर लगाता था। यह अधिनियम 2015 में अमल में लाने में विफलता के कारण रद्द कर दिया गया।
  • वैश्विक स्थिति: कुछ देशों जैसे स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और स्पेन में अभी भी धनकर मौजूद है।
  • वैश्विक न्यूनतम कर: G20 वित्त मंत्रियों ने अरबपतियों पर वैश्विक न्यूनतम कर पर चर्चा की है।

धनकर के पक्ष में तर्क:

  1. धन अंतर को कम करता है: धनकर समाज में संपत्ति के अंतर को कम करता है और एक समान समाज बनाता है।
  2. समाज में योगदान: अमीरों को समाज के संसाधनों से लाभ प्राप्त होने के कारण अधिक कर चुकाना चाहिए।
  3. सार्वजनिक वस्तुओं के लिए धन: धनकर से प्राप्त राजस्व का उपयोग सार्वजनिक सेवाओं और वस्तुओं के लिए किया जा सकता है।
  4. निवेश को बढ़ावा मिलता है: धनकर से बर्बादी के बजाय उत्पादक निवेश को प्रोत्साहन मिलता है।

धनकर के खिलाफ तर्क:

  1. उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों का पलायन: धनकर उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों को देश से बाहर जाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  2. अनुपालन लागत: 2015 में भारत ने धनकर को समाप्त कर दिया था क्योंकि इससे कानूनी विवाद और अनुपालन लागत बढ़ गई थी।
  3. संपत्ति मूल्यांकन विवाद: संपत्ति का मूल्यांकन करने में कठिनाई होती है, जिससे विवाद और कानूनी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  4. उपभोग और रोजगार पर असर: धनकर उपभोग और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर मध्यवर्ग और उच्च वर्ग के लिए।

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