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INS तमाल के बारे में

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संदर्भ:

INS तमाल: भारतीय नौसेना की वह टीम, जो रूस में निर्माणाधीन स्टील्थ फ्रिगेट तमाल का संचालन करेगी, हाल ही में उसके कमीशनिंग की तैयारी के लिए सेंट पीटर्सबर्ग पहुंची। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि भारत भविष्य में सभी युद्धपोतों का निर्माण घरेलू स्तर पर करने जा रहा है।

INS Tushil और INS तमाल (INS TAMAL) से जुड़े प्रमुख बिंदु:

  1. आखिरी आयातित युद्धपोत: यह भारत द्वारा आयात किया जाने वाला अंतिम युद्धपोत होगा, क्योंकि अब देश अपने युद्धपोतों को डिजाइन और निर्मित कर रहा है।
  2. समझौता और निर्माण
    • यह अंतरसरकारी समझौते (IGA) अक्टूबर 2016 के तहत बनाए जा रहे चार अतिरिक्त स्टील्थ फ्रिगेट्स का हिस्सा है।
    • दो जहाज रूस से आयात किए जा रहे हैं और दो जहाज गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में तकनीक हस्तांतरण के तहत बनाए जा रहे हैं।
    • $1 बिलियन का सौदा दो युद्धपोतों की प्रत्यक्ष खरीद के लिए किया गया।
  3. INS Tushil और INS Tamal
    • INS Tushil पहला युद्धपोत है, जिसे इस समझौते के तहत रूस में निर्मित किया गया।
    • इसे 9 दिसंबर 2024 को नौसेना में शामिल किया गया।
    • INS Tushil और INS Tamal तीसरी पीढ़ी के Talwar-Class (Krivak) फ्रिगेट्स का हिस्सा हैं।

INS तमाल के प्रमुख विशेषताएँ

  1. बहुडोमेन युद्ध क्षमता (Multi-Domain Combat Capability)
    • यह युद्धपोत हवाई, सतह, पनडुब्बी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में सक्षम है।
    • ब्लू वाटर ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह दूरस्थ समुद्री अभियानों में भी प्रभावी रहेगा।
  2. स्वदेशी घटकों का उपयोग:
    • इस युद्धपोत में लगभग 26% उपकरण भारतीय निर्माताओं से लिए गए हैं
    • यह भारत के आत्मनिर्भर भारत लक्ष्य को बढ़ावा देता है।
  3. उन्नत शस्त्र प्रणाली:
    • पनडुब्बी रोधी युद्ध: स्वदेशी ट्रिपल टॉरपीडो लॉन्चर (ITTL) से लैस।
    • मिसाइल प्रणाली (Missile Systems):
      • BrahMos सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल– हमला करने के लिए।
      • Shtil सतहसेहवा मिसाइल– रक्षा प्रणाली के रूप में।

INS Tamal का महत्व

  1. आयात का अंत (End of Imports)
    • INS Tamal भारत के बाहर कमीशन होने वाला अंतिम युद्धपोत है।
    • यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की ओर बढ़ते कदम को दर्शाता है।
  2. नौसैनिक क्षमता में वृद्धि: यह भारतीय नौसेना की हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में रणनीतिक और परिचालन क्षमता को मजबूत करेगा।
  3. रणनीतिक साझेदारी: यह परियोजना भारतरूस रक्षा संबंधों को और मजबूत करती है।
  4. तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer)
    • इस युद्धपोत के माध्यम से स्वदेशी युद्धपोत निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।
    • गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में इसी तकनीक से दो और फ्रिगेट बनाए जाएंगे।
  5. परिचालन तत्परता: INS Tushil(दिसंबर 2024) के बाद INS Tamal भारतीय नौसेना की ताकत में और इज़ाफा करेगा।

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