INSV Koundinya
संदर्भ:
भारतीय नौसेना ने INSV कौंडिन्य को अपने बेड़े में शामिल किया है, जो एक पुनर्निर्मित 5वीं शताब्दी का सिला हुआ जहाज है। इस जहाज का निर्माण अजन्ता गुफाओं की चित्रकला में दर्शाए गए प्राचीन समुद्री जहाजों के आधार पर किया गया है। यह पहल भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
(INSV Koundinya) INSV कौंडिन्य:
परिचय:
- INSV कौंडिन्य परियोजना जुलाई 2023 में शुरू हुई थी।
- यह एक त्रिपक्षीय पहल है जिसमें भागीदार हैं:
- संस्कृति मंत्रालय
- भारतीय नौसेना
- Hodi Innovations
- इसका उद्देश्य है भारत की प्राचीन जहाज निर्माण परंपरा और समुद्री धरोहर के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना।
आगामी यात्रा: INSV कौंडिन्य को 2025 में गुजरात से ओमान तक भारत के प्राचीन समुद्री व्यापार मार्ग पर रवाना किया जाएगा।
पारंपरिक जहाज निर्माण तकनीक:
- जहाज का निर्माण प्राचीन “स्टिच्ड शिप” तकनीक से हुआ है:
- लकड़ी की पट्टियों को नारियल की रस्सियों, नारियल रेशों और प्राकृतिक रेज़िन से जोड़ा गया।
- किसी प्रकार की धातु की कील का उपयोग नहीं हुआ।
- डिज़ाइन की प्रेरणा अजन्ता की भित्ति चित्रों में दर्शाए गए 5वीं सदी के समुद्री दृश्य से ली गई।
- चूँकि कोई मूल ब्लूप्रिंट उपलब्ध नहीं था, डिज़ाइन के लिए:
- 2D चित्रों का पुरातात्विक, नौसैनिक वास्तुकला और जलगतिकी विश्लेषण से अध्ययन किया गया।
सांस्कृतिक प्रतीक और शिल्प:
- पालों पर आकृतियाँ:
- गण्डभेरुंड (दो सिर वाला पौराणिक पक्षी)
- सूर्य का प्रतीक — शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक
- धनुष (Bow) पर: सिंह याली की आकृति — दक्षिण भारत की पारंपरिक समुद्री कला का प्रतीक
डेक पर: हड़प्पा-शैली का पत्थर लंगर — सिंधु घाटी की समुद्री विरासत से जुड़ाव