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बौद्धिक संपदा (IP)

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संदर्भ:

पिछले एक दशक में भारत में बौद्धिक संपदा (IP) से जुड़े आवेदनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पेटेंट आवेदनों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, ट्रेडमार्क पंजीकरण 2.5 गुना बढ़ा है, और डिजाइन फाइलिंग में तीन गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

बौद्धिक संपदा (Intellectual Property – IP):

  1. परिभाषा: बौद्धिक संपदा (IP) का अर्थ है मस्तिष्क की रचनाएं, जैसे – आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कृतियां, डिज़ाइन, और वाणिज्य में उपयोग किए जाने वाले प्रतीक, नाम और चित्र।
  2. सुरक्षा (Protection):
    • IP को कानून द्वारापेटेंट (Patents), कॉपीराइट (Copyright), और ट्रेडमार्क (Trademarks) के माध्यम से सुरक्षित किया जाता है।
    • यह सुरक्षा लोगों को उनकी रचनाओं या आविष्कारों से पहचान या वित्तीय लाभ कमाने में सक्षम बनाती है।

बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रकार (Types of IPR)

  1. पेटेंट (Patent): यह एक विशेष अधिकार है जो किसी आविष्कार के लिए एक सीमित समय के लिए (आमतौर पर 20 वर्ष) दिया जाता है।
  2. ट्रेडमार्क (Trademark): यह एक ऐसा चिन्ह है जो एक उद्यम के वस्तुओं या सेवाओं को अन्य उद्यमों से अलग पहचान देने में सक्षम होता है।
  3. औद्योगिक डिज़ाइन (Industrial Design): यह किसी उत्पाद के सौंदर्य या अलंकरण से संबंधित पहलू को दर्शाता है।
  4. भौगोलिक संकेत (Geographical Indication): यह उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला चिन्ह है जिनमें किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र के कारण विशेष गुण या प्रतिष्ठा होती है।
  5. कॉपीराइट (Copyright): यह उन अधिकारों को दर्शाता है जो रचनाकारों को उनके साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक कार्यों में प्राप्त होते हैं।

बौद्धिक संपदा अधिकारों की चुनौतियाँ (Challenges of Intellectual Property Rights)

  1. पेटेंट बैकलॉग: पेटेंट आवेदनों में वृद्धि के बावजूद, पेटेंट की परीक्षा और स्वीकृति में देरी एक महत्वपूर्ण समस्या बनी हुई है।
  2. IP उल्लंघन: कमजोर प्रवर्तन तंत्र के कारण नकली उत्पादों और पायरेसी का व्यापक स्तर पर होना।
  3. कम पेटेंट व्यावसायीकरण: उद्योग और अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग की कमी के कारण भारत में दाखिल किए गए कई पेटेंट का व्यावसायीकरण नहीं हो पाता।
  4. वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत में नवाचार विदेशी आवेदकों द्वारा हावी है, जो यह दर्शाता है कि घरेलू अनुसंधान और विकास (R&D) निवेश कम हैं।

भारत में IP पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की पहलें

  1. SIPP: स्टार्टअप्स को IP सेवाएं और संसाधन देकर उनकी सुरक्षा और व्यावसायीकरण में मदद करना।
  2. राष्ट्रीय IPR नीति (2016): नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना।
  3. IPR नीति दिशानिर्देश: शैक्षणिक संस्थानों के IP अधिकारों के स्वामित्व, नियंत्रण और राजस्व साझा करने के नियम।
  4. NIPAM: 10 लाख छात्रों को IP और इसके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना।

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