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मोल्दोवा ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर आधिकारिक रूप से ISA का सदस्य बनने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु:
- समझौते पर हस्ताक्षर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मोल्दोवा के उप-प्रधानमंत्री मिहाई पोपसोई के बीच ISA में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
- अर्मेनिया का जुड़ना: अर्मेनिया 21 नवंबर, 2024 को ISA का 104वां पूर्ण सदस्य बना।
- ISA का उद्देश्य:
- ISA एक संधि–आधारित अंतर–सरकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक बदलाव लाना है।
- इसका उद्देश्य 2030 तक सौर ऊर्जा के व्यापक उपयोग के लिए 1000 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश जुटाना है।
भारत की भूमिका:
- ISA की अध्यक्षता: भारत वैश्विक स्तर पर स्थायी ऊर्जा भविष्य के निर्माण में नेतृत्व कर रहा है।
- प्रमुख परियोजनाएँ:
- मलावी: संसदीय भवन का सौरकरण।
- फिजी: सौर ऊर्जा से संचालित स्वास्थ्य केंद्र।
- सेशेल्स: सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोरेज सुविधा।
- किरिबाती: सौर पीवी रूफटॉप सिस्टम।
- तकनीकी प्रशिक्षण: ISA सदस्य देशों के विशेषज्ञों को सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
मोल्दोवा का उद्देश्य:
- ऊर्जा लक्ष्य: 2030 तक मोल्दोवा का लक्ष्य है कि 30% से अधिक राष्ट्रीय ऊर्जा खपत को नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा किया जाए।
- ISA की भूमिका: ISA की सदस्यता मोल्दोवा को 510 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं के विकास में मदद करेगी।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA):
- ISA एक संधि–आधारित अंतर–सरकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक बदलाव लाना है।
- मुख्यालय: गुरुग्राम, भारत
- उत्पत्ति: 2015 में COP21 सम्मेलन (पेरिस) के दौरान विचारित।
- उद्देश्य (Aim): भारत और फ्रांस के बीच एक सहयोगी पहल, जिसका लक्ष्य सौर ऊर्जा समाधान के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटना है।
- मिशन:
- ISA का मार्गदर्शन ‘Towards 1000’ रणनीति से होता है, जिसका लक्ष्य है:
- USD 1,000 बिलियन का निवेश सौर ऊर्जा में 2030 तक जुटाना।
- 1,000 मिलियन लोगों तक ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करना।
- 1,000 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा स्थापित करना।
- ISA का मार्गदर्शन ‘Towards 1000’ रणनीति से होता है, जिसका लक्ष्य है:
- सदस्यता (Membership): 105 सदस्य देश और 16 हस्ताक्षरकर्ता देश।
ISA का महत्व (Significance):
- सौर आधारित शीतलन तकनीक:
- सतत और कम वैश्विक–गर्मी क्षमता वाली तकनीकों को बढ़ावा देता है।
- छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करता है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: प्रतिवर्ष 1,000 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन को कम करने में सहायक।
- भारत की भूमिका को मजबूत करना: स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा सुरक्षा और 2070 तक नेट–जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान।
- वैश्विक सौर ऊर्जा बाजार: सौर ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उपयोग को प्रोत्साहित कर, लागत में कमी और सहयोगी विकास सुनिश्चित करता है।