Download Today Current Affairs PDF
संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड (Third Launch Pad – TLP) की स्थापना को मंजूरी दी है।
भारतीय अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली की वर्तमान पृष्ठभूमि:
- दो लॉन्च पैड्स पर निर्भरता:
- वर्तमान में, भारतीय अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली पूरी तरह दो लॉन्च पैड्स पर निर्भर है:
- पहला लॉन्च पैड (FLP):
- यह 30 साल पहले PSLV के लिए तैयार किया गया था।
- PSLV और SSLV के लिए लॉन्च समर्थन प्रदान करता है।
- दूसरा लॉन्च पैड (SLP):
- यह मुख्य रूप से GSLV और LVM3 के लिए स्थापित किया गया था।
- यह PSLV के लिए स्टैंडबाय के रूप में भी कार्य करता है।
- पहला लॉन्च पैड (FLP):
- वर्तमान में, भारतीय अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली पूरी तरह दो लॉन्च पैड्स पर निर्भर है:
- SLP की परिचालन क्षमता:
- SLP पिछले 20 वर्षों से संचालन में है।
- इसने चंद्रयान-3 जैसे राष्ट्रीय मिशनों के साथ-साथ PSLV और LVM3 के कुछ वाणिज्यिक मिशनों के लिए लॉन्च क्षमता को बढ़ाया है।
तीसरे लॉन्च पैड (TLP) के बारे में:
उद्देश्य: तीसरे लॉन्च पैड (TLP) का लक्ष्य आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में उन्नत लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना है।
- यह ISRO के नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल्स (NGLV) को समर्थन प्रदान करेगा।
- यह दूसरा लॉन्च पैड का बैकअप भी होगा और भविष्य के भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान और अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों के लिए लॉन्च क्षमता को बढ़ाएगा।
श्रीहरिकोटा को TLP के लिए चयन के मुख्य कारण:
- पूर्वी तट पर स्थित: पृथ्वी की घूर्णन गति का लाभ।
- भूमध्य रेखा के निकट: पेलोड क्षमता में वृद्धि और कम लागत।
- सुरक्षा: समुद्री व विमानन मार्गों से दूर।
- निर्जन क्षेत्र: उड़ान मार्ग समुद्र के ऊपर, संचालन में सुगमता।
कार्यान्वयन रणनीति:
- सार्वभौमिक डिज़ाइन: TLP को कई वाहन विन्यासों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा, जिसमें NGLV, LVM3 के साथ सेमिक्रायोजेनिक स्टेज और NGLV के उन्नत संस्करण शामिल हैं।
- उद्योग की भागीदारी: परियोजना में ISRO के पूर्व लॉन्च पैड अनुभव का उपयोग करते हुए उद्योग की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
- मौजूदा सुविधाओं का उपयोग: TLP श्रीहरिकोटा के मौजूदा लॉन्च कॉम्प्लेक्स सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करेगा।
- समयसीमा: परियोजना को 48 महीनों (4 वर्षों) के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है।
फंडिंग: इस परियोजना के लिए ₹3,984.86 करोड़ की कुल लागत की आवश्यकता है, जिसमें लॉन्च पैड और संबंधित सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
महत्व:
- भारत की अधिक बार लॉन्च करने की क्षमता को बढ़ाता है।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान और उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को मजबूत करता है।
- भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देता है और प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करता है।